एक प्रभावशाली मसीही अगुवा कैसे बने?

How to Be an Effective Christian Leader?

एक प्रभावशाली मसीही अगुवा कैसे बने? (How to Be an Effective Christian Leader?) इस विषय के द्वारा हम प्रभु यीशु के चरित्र के द्वारा लोगों की अगुवाई करना सीखेंगे। क्या आपके पास भी यह सवाल है कि एक प्रभावशाली मसीही अगुआ कैसे बने? प्रभु यीशु की तरह अगुवाई करना कैसे सीखें?

एक प्रभावशाली मसीही अगुआ कैसे बने?

एक प्रभावशाली अगुवा बनने के लिए भी हमारे पास सर्वोतम उदाहरण यीशु ही हैं। यदि हम एक प्रभावशाली मसीही अगुवा बनना है तो हमें प्रभु यीशु का अनुसरण करना होगा। उनका चरित्र, उनकी जीवन शैली से हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। प्रभावशाली मसीही अगुवाई के लिए हमारे जीवन में हमें इन तीन क्षेत्रों में काम करना होगा… जिसे हम अंग्रेजी के 3H से याद रख सकते हैं। अर्थात Head जो कि हमारा ज्ञान के लिए है। Heart जो कि हमारा चरित्र दर्शाता है। Hand जो कि हमारा कौशल दर्शाता है। हमें अपने चरित्र का विकास करना होगा, हमें अपने ज्ञान को बढ़ाना होगा और हमें अगुवाई करने के कौशल का विकास करना होगा।

  • Head (ज्ञान)
  • Heart (चरित्र)
  • Hand (कौशल)

बाइबल के ज्ञान के बिना एक अगुवा सच्चाई को प्रभावी ढंग से दूसरों तक पहुँचाने में सक्षम नहीं होगा और वह एक अगुवे के रूप में उसे मजबूत करने के लिए पवित्रशास्त्र में मौज़ूद विशाल संसाधनों को आकर्षित करने में भी सक्षम नहीं होगा। लेकिन चरित्र के बिना बाइबल का ज्ञान प्राप्त करना, एक घमंडी अगुवा निर्माण करेगा जो समय के साथ अपने नेतृत्व को बनाए रखने में सक्षम नहीं होगा। और यदि किसी व्यक्ति के पास बाइबल का ज्ञान और चरित्र तो हैं, लेकिन नेतृत्व कौशल की कमी है, तो उसके पास सौंपी गई कलीसिया विकसित नहीं होगी।

नेतृत्व कौशल में इन बातों का होना जरुरी है…

व्यक्ति के पास दूसरे लोगों के साथ जुड़ने का कौशल होना जरुरी है उसके पास दर्शन हो जिसको पूरा करने के लिए वह लक्ष्य निर्धारित करता हो ताकि लोगों को भी दर्शन को समझा सके और उसको पूरा करने के लिए लक्ष्य निर्धारित करना भी सिखा सके। एक अगुवे अपने समय का प्रबंधन करना आना चाहिए ताकि दूसरों को भी उनके समय को प्रबंधन सिखा सके। एक अगुवा समय का पाबंद होना चाहिए। एक अगुवे को दूसरे लोगों को समझना आना चाहिए, उनको तैयार करके उनको मुक्त करना आना चाहिए ताकि गुणन होता रहे। उसको कई अन्य कार्य करने के लिए प्रशासनिक और संचार कौशल में भी निपुण होना होगा।

एक ऐसे अगुवे के बारे में सोचें जिसकी आप बहुत प्रशंसा करते हैं…… आप उस व्यक्ति का सम्मान क्यों करते हैं? आप उस व्यक्ति के प्रति क्यों आकर्षित होते हैं?

एक प्रभावशाली मसीही अगुवा कैसे बने? How to Be an Effective Christian Leader
Photo by Jehyun Sung on Unsplash

महात्मा गांधी के बारे में सोचें, एक ऐसे नेता जिन्हें पूरी दुनियां में सम्मानित किया जाता है। उनके चरित्र, बिना कटुता के कारावास सहने की उनकी क्षमता, झगड़े के बजाय शांति की उनकी इच्छा और उन लोगों को क्षमा करने की उनकी इच्छा के कारण उनका बहुत सम्मान किया जाता है, जिन्होंने उनके साथ इतना गहरा अन्याय किया था।

चरित्र क्या है?

यह गुण, प्रकृति, स्‍वभाव या लक्षण हैं जो किसी व्यक्ति को बनाते हैं। यह आपके होने का मूल है, यह आपके हृदय से सम्बंधित है। प्रतिष्ठा वह है जो दूसरे आपके बारे में सोचते हैं; लेकिन चरित्र वह है जो वास्तव में आप हैं। इसके बारे में हम दो बातों पर चिंतन करेंगे:- चरित्र इतना महत्त्वपूर्ण क्यों है? चरित्र का विकास कैसे किया जा सकता है?

  • चरित्र का महत्व।
  • चरित्र का विकास।

आईये सर्वप्रथम चरित्र के महत्त्व के बारे में बात करें। चरित्र आखिर इतना जरुरी क्यों है?

चरित्र का महत्त्व।

परमेश्वर चरित्र को देखता है।

परमेश्वर चरित्र को देखता है। इस दुनियां की एक कड़वी सच्चाई यह है कि यह दुनियां किसी भी व्यक्ति का बाहरी आंकलन करती है। यहाँ पर पारिवारिक स्थिति, रंग-रूप इत्यादि से आपको मापा जाता है। जैसे कि आप नौकरी इत्यादि के लिए आवेदन करते हैं तो आप ने क्या प्राप्त किया है इससे आपका मूल्यांकन किया जाता है, आपकी कदकाठी कैसी है, आपकी टाइपिंग स्पीड कैसी है इत्यादि।

लेकिन आपको रचने वाला परमेश्वर आपको अन्दर से देखता है। ध्यान दें कि जब शमूएल को राजा के लिए यिशै के पुत्रों में से अभिषेक करना था तो वह भी बाहरी आंकलन कर रहा था। उस वक्त परमेश्वर ने उसको चिताया कि “न तो उसके रूप पर दृष्‍टिकर, और न उसके कद की ऊँचाई पर, क्योंकि मैं ने उसे अयोग्य जाना है; क्योंकि यहोवा का देखना मनुष्य का सा नहीं है; मनुष्य तो बाहर का रूप देखता है, परन्तु यहोवा की दृष्‍टि मन पर रहती है।” (1 शमूएल 16:7) HINOVBSI

यहोवा का देखना मनुष्य का सा नहीं है; मनुष्य तो बाहर का रूप देखता है, परन्तु यहोवा की दृष्‍टि मन पर रहती है।” (1 शमूएल 16:7) HINOVBSI

दूसरी घटना जो राजा आसा के बारे में हैं। उसने भी शुरुआत में तो पूरे ह्रदय से परमेश्वर की खोज की, पर अंत में उसने भी अपनी इच्छा के अनुसार जीना, चुनाव करना शुरू कर दिया। जिस वजह से उसका चरित्र भ्रष्ट हो गया। जब हनानी दर्शी उसको चिताने लगा कि परमेश्वर की दृष्टि सारी पृथ्वी पर उस व्यक्ति पर रहती है जिसका मन परमेश्वर की ओर निष्कपट रहता है और परमेश्वर भी ऐसे व्यक्ति की सहायता में अपनी सामर्थ्य दिखाता है। (2 इतिहास 16:9)

राजा दाऊद जिसे एक ऐसा व्यक्ति कहा जाता था जिसके लिए परमेश्वर कहता था कि मुझे एक मनुष्य, यिशै का पुत्र दाऊद, मेरे मन के अनुसार मिल गया है; वही मेरी सारी इच्छा को पूरी करेगा। (प्रेरितों के काम 13:22) इसलिए हमारा चरित्र इतना महत्वपूर्ण हो जाता है। क्योंकि परमेश्वर हमारा आंकलन इससे नहीं करता है कि हमारे पास कितना ज्ञान है या हम कितने सक्षम हैं, पर परमेश्वर की दृष्टि हमारे मन पर रहती है कि हमारा मन निष्कपट है कि नहीं, या हम परमेश्वर की इच्छा को पूरी करने का प्रयास करते हैं कि नहीं।

अपनी पुस्तक आध्यात्मिक नेतृत्व में, J. Oswald Sanders लिखते हैं, “हमारे प्रभु ने याकूब और यूहन्ना को यह स्पष्ट कर दिया था कि परमेश्वर के राज्य में उच्च पद उनके लिए आरक्षित है जिनके ह्रदय – यहां तक कि उन गुप्त स्थानों में भी जहां कोई और जांच नहीं करता है – योग्य हैं।” अपने आप से पूछें कि जब परमेश्वर आपके हृदय में देखता है तो वह क्या देखता है? क्या वह एक ईश्वरीय व्यक्ति को देखता है? चरित्र इसलिए इतना महत्वपूर्ण है क्योंकि…

हमारे अनुयायी हमारे चरित्र को देखते हैं।

हमारे अनुयायी हमारे चरित्र को देखते हैं। वचन यह स्पष्ट करता है कि यह महत्त्व नहीं रखता है कि आपके पास कितना धन है, पर आपका नाम अर्थात आप कैसे व्यक्ति हैं यह जरूर महत्त्व रखता है। (नीतिवचन 22:1) एक अगुवे में चरित्र उसके अनुयायियों में विश्वास को पैदा करता है, जो अधिक स्वेच्छा से अगुवे के दर्शन को अपनाएगा। माइल्स मुनरो ने लिखा – “दूसरों के लिए आप पर विश्वास करने का एकमात्र तरीका यह है कि आप छोटी चीज़ों पर विश्वासयोग्य हैं, अपने उद्देश्य के लिए प्रतिबद्ध हैं, और अपने उद्देश्य के लिए मरने को तैयार हैं।” इस विश्वास और भरोसे के बिना प्रभावी नेतृत्व असंभव है।

“नेतृत्व केवल विश्वास के आधार पर कार्य करता है।” – John C. Maxwell

इसी प्रकार जॉन सी मैक्सवेल भी कहते हैं कि “नेतृत्व केवल विश्वास के आधार पर कार्य करता है।” आप कितने भरोसे के लायक व्यक्ति हैं? क्या आप छोटी से छोटी बातों में भी विश्वासयोग्य हैं? जब आपके अनुयायी आपकी ओर देखते हैं तो क्या वे एक चरित्रवान व्यक्ति, एक ऐसा व्यक्ति देखते हैं जिस पर आँखें बंद करके भी भरोसा कर सकते हैं? चरित्र इसलिए इतना महत्वपूर्ण है क्योंकि…

चरित्र मसीही अगुवापन की सफलता को निर्धारित करता है।

चरित्र सफल मसीही नेतृत्व की नींव है। नेतृत्व प्रभाव है और दूसरों को प्रभावित करने की क्षमता चरित्र के साथ बिल्कुल निकटता से जुड़ी हुई है। रिक रेनर कहते हैं, “आपका प्रभाव उतना ही मजबूत है जितना कि आपका निजी जीवन।” आप का निजी जीवन कैसा है? क्या आप अकेले में भी वैसे ही हैं जैसा आप बाहर प्रदर्शित करते हैं? ठोस चरित्र के बिना नेतृत्व में दीर्घकालिक सफलता असंभव है। आप प्रतिभा और आकर्षण पर अल्पकालिक सफलता का निर्माण कर सकते हैं, लेकिन ठोस चरित्र के बिना आप लंबे समय तक चलने वाले काम का निर्माण नहीं कर सकते।

माइल्स मुनरो कहते हैं, “आपके चरित्र की गुणवत्ता आपके नेतृत्व प्रभावशीलता का माप है। सच्चे नेतृत्व को उन बुनियादी गुणों से अलग नहीं किया जा सकता है जो अच्छे चरित्र का निर्माण करते हैं।” कुछ अगुवों में शीर्ष पर पहुंचने की क्षमता तो होती है लेकिन वहां पर बने रहने के लिए उनके जीवन में चरित्र की कमी होती है। इसलिए वे बहुत जल्दी वहां से फिसल कर गिर जाते हैं। तीमुथियुस और तीतुस को लिखते हुए पौलुस ने बताया कि चरित्र एक अगुवे के लिए कितना जरुरी है। (1तीमुथियुस 3:1-13, तीतुस 1:5-16) चरित्र में गिरावट होने की वजह से आज मसीहत को काफी नुकसान पहुँच रहा है।

चरित्र इस बात को निर्धारित करता है कि आप कितनी दूर जाएंगे, आप कब तक जाएंगे और कितने आपके साथ जाएंगे। हमारा चरित्र अगुवापन का ह्रदय है। इसलिए नीतिवचन का लेखक कहता है कि सबसे अधिक अपने ह्रदय की रक्षा कर क्योंकि जीवन का मूल स्त्रोत वही है। (नीतिवचन 4:23) तो फिर ये सवाल उठता है कि चरित्र का विकास कैसे करें?

चरित्र का विकास कैसे करें?

चूंकि एक अगुवे के जीवन में चरित्र परम आवश्यक है, इसलिए आपको ध्यान से सोचना चाहिए कि आपका चरित्र कैसे विकसित होता है। चरित्र का विकास एक जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है, जिसमें निरंतर आपको कार्य करने की आवश्यकता होती है। दुर्भाग्य से, किताबें पढ़ने या चरित्र विकास सेमिनार आदि में भाग लेने से आपके चरित्र का विकास नहीं होता है। यह आपको केवल ऐसे चुनाव करने के लिए उकसा सकता है जो आपके चरित्र का निर्माण करेंगे।

“जीवन में आने वाली हर गिरावट का कारण चरित्र की कमजोरी है” -Robb Thompson

आपका व्यक्तिगत चरित्र विकास आपके हाथ में है, और इसके लिए कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता है। फिर भी, हमारे चरित्र को विकसित करने के कई तरीकों को देखना मददगार होता है।

चरित्र हमारे दैनिक चुनावों के माध्यम से विकसित होता है।

मैक्सवेल लिखते हैं, “प्रतिभा एक उपहार है, लेकिन चरित्र एक विकल्प है।” आप रोजाना हजारों विकल्पों का सामना करते हैं। जैसे क्या पहनना है?, क्या खाना है? कहाँ जाना है? किसकी संगति करनी है? आदि, लेकिन आप रोजाना हजारों विकल्प बनाते भी हैं जो आपके जीवन को दिशा देते हैं और आपके चरित्र को आकार देते हैं। आप सच बोलना या झूठ बोलना चुनते हैं, आप गुस्से में या प्यार में जवाब देना चुनते हैं; आप क्षमा करना या कठोर बनना आदि चुनते हैं।

एक प्रभावशाली मसीही अगुवा कैसे बने? How to Be an Effective Christian Leader
Contributed by Sweet Publishing

बहुत बार हमारे चरित्र का विकास इसलिए नहीं हो पाता है क्योंकि हमें दूसरों के काम में अड़ंगा डालने की आदत जो है। पौलुस हमें निर्देश देता है कि हमें चुपचाप अपना-अपना कामकाज करने और अपने-अपने हाथों से कमाने का प्रयत्न करना चाहिए ताकि आपको आदर भी प्राप्त हो। (1थिस्सलुनीकियों 4:11-12) आपको अपने आपको अनुशासित करने की आवश्यकता है। माइल्स मुनरो लिखते हैं, “सच्चे अगुवे आत्म-अनुशासन के उर्वरक के साथ चरित्र की खेती करते हैं।”

अपने आप से पूछें कि पिछले हफ्ते आपने कौन से ऐसे विकल्प चुने जिससे आपके चरित्र को आकार मिला है? या फिर इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि कल के लिए एक बेहतर चरित्र के निर्माण के लिए आपको आज कौन से विकल्प चुनने की आवश्यकता है?

चरित्र का विकास हमारे जीवन में आने वाली मुश्किलों से होता है।

जब जिंदगी में सब कुछ ठीक चल रहा हो, तो सही रवैया रखना और सही काम करना आसान होता है। लेकिन चरित्र का विकास तब होता है जब आप कठिन समय में कष्ट या परिक्षण से गुजरते हैं। वास्तव में, परीक्षण के समय आसानी से चरित्र का पता किया जा सकता है। जब आपके जीवन पर दबाव डाला जाता है, तो आपको पता चल जाएगा कि आप वास्तव में कौन हैं। जैसे नींबू को निचोड़ने पर उसका कड़वा रस निकल जाता है। सोने को आग में डालकर उसकी अशुद्धियाँ निकल जाती हैं, वैसे ही परीक्षण में मालूम हो जाता है कि हमारा चरित्र कैसा है।

कठिन समय न केवल यह प्रकट करता है कि आप कौन हैं बल्कि आपको चरित्र में विकसित होने के अवसर भी प्रदान करते हैं। पौलुस रोमियों को लिखते हुए कहते हैं कि हमें क्लेशों में भी घमंड करना चाहिए क्योंकि यहाँ पर अवसर है कि क्लेश से आपके जीवन में धीरज उत्पन्न होता है और धीरज से खरा निकलना उत्पन्न होता है और खरे निकलने से आशा उत्पन्न होती है; और आशा से लज्जा नहीं होती क्योंकि पवित्रआत्मा जो हमें दिया गया है उसके द्वारा परमेश्वर का प्रेम हमारे मन में डाला गया है। (रोमियों 5:3-5) इसलिए हमें हमारे जीवन में प्राप्त हर अवसर को चरित्र के विकास में इस्तेमाल करना चाहिए।

चाहे जीवन में दुःख हो चाहे सुख हो, हमारे चरित्र का विकास होते रहना चाहिए। जैसा कि हमने बात कर लिया है कि परमेश्वर हमारे चरित्र को देखता है। बहुत बार, हम यह समझने के बजाय कि परमेश्वर हमें ऐसी परिस्थितियों के माध्यम से क्या सिखाना चाहता है, हम अपनी परिस्थितियों से राहत पाने के लिए परमेश्वर को पुकारते हैं। हमें परमेश्वर को जरुर पुकारना चाहिए पर साथ ही साथ हमें परमेश्वर से साहस मांगना चाहिए कि हम हर परिस्थिति में विश्वासयोग्य बने रहें। और हमें यह भी मांगना चाहिए कि हमारे जीवन में आत्मिक फल का विकास हो।

चरित्र के विकास में समय लगता है।

ठोस चरित्र एक क्षण का नहीं बल्कि जीवन काल का परिणाम है। यह हाथ रखने या एक दिवसीय सेमिनार/मीटिंग/चंगाई सभा में भाग लेने के माध्यम से प्राप्त नहीं होता है। यहां कोई छोटा रास्ता (shortcut) नहीं है; इसे विकसित करने के लिए समय की आवश्यकता है।

जब परमेश्वर ने मूसा को प्रशिक्षित करना चाहा, तो वह उसे 40 वर्ष के लिए जंगल में ले गया। एक राष्ट्र का नेतृत्व करने के लिए तैयार होने से पहले यूसुफ ने 13 साल गुलामी में काम किया। दाऊद ने एक भगोड़े के रूप में वर्षों तक राजा शाऊल से छिपकर बिताया, इससे पहले कि परमेश्वर उसका उपयोग करने के लिए तैयार हो। यीशु ने अपने शिष्यों के जीवन को आकार देने में 3 साल का निवेश किया। पौलुस ने 3 साल तक रेगिस्तान में इंतजार किया, इससे पहले कि परमेश्वर ने उसे इस्तेमाल किया।

जब परमेश्वर गोभी पैदा करते हैं तो उन्हें 3 महीने लगते हैं; जब वह एक दृढ़ लकड़ी का पेड़ पैदा करता है तो उसे 50 या उससे अधिक साल लगते हैं। आप किस प्रकार के व्यक्ति बनना पसंद करेंगे?

चरित्र निर्माण का सूत्र या फ़ॉर्मूला।

यह चरित्र विकास का सूत्र है। सही चुनाव + कठिनाइयाँ + समय = चरित्र। आपको अपने दैनिक जीवन में सही चुनाव करने हैं, इसके साथ आपको हर कठिनाइयों में विश्वासयोग्य बने रहना है, इसमें समय लगता है, आपको धीरज धरना है तब जाकर आपके जीवन में चरित्र निर्माण होता है।

सही चुनाव + कठिनाइयाँ + समय = चरित्र।

कुछ समय निकालें और अपने जीवन का मूल्यांकन करें। आप किन चरित्र दोषों की पहचान कर सकते हैं? उन्हें एक कागज पर सूचीबद्ध करें और उन पर काम करने की योजना बनाएं। आपको अपने जीवन में अभी कौन से विकल्प चुनने की आवश्यकता है जो आपके चरित्र को और मजबूत कर सकते हैं?

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Anand Vishwas
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आशा है कि यहां पर उपलब्ध संसाधन आपकी आत्मिक उन्नति के लिए सहायक उपकरण सिद्ध होंगे। आइए साथ में उस दौड़ को पूरा करें, जिसके लिए प्रभु ने हम सबको बुलाया है। प्रभु का आनंद हमारी ताकत है।

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