"मसीहत परमेश्वर के साथ एक रिश्ता है।"

आशा है कि यहां पर उपलब्ध संसाधन आपकी आत्मिक उन्नति के लिए सहायक उपकरण सिद्ध होंगे। आइए साथ में उस दौड़ को पूरा करें, जिसके लिए प्रभु ने हम सबको बुलाया है। प्रभु का आनंद हमारी ताकत है।

बाइबल अध्ययन करना क्यों महत्वपूर्ण है?

बाइबल अध्ययन करना क्यों महत्वपूर्ण है?

परमेश्वर के वचन का नियमित अध्ययन हमें इस योग्य बनाता है कि हम जीवन में आने वाली शैतान की चालाकियों को समझें और उसका सामना करें। परमेश्वर के वचन का अध्ययन हमें सक्षम बनाता है कि हम विरोधियों को उचित रीति से प्रतिउत्तर दे सकें। परमेश्वर का वचन हमें परमेश्वर के साथ रिश्ते को मजबूत बनाने में मदद करता है। परमेश्वर के वचन का अध्ययन हमें आत्मिक रीति से बढ़ाता है और परिपक्व बनाता है। परमेश्वर का वचन हमें सेवा करने के लिए तैयार करता है। परमेश्वर का वचन हमें सही और गलत शिक्षा का मूल्यांकन करने में मदद करता है।

read more
बाइबल विश्वासियों लिए क्या महत्व रखती है?

बाइबल विश्वासियों लिए क्या महत्व रखती है?

हमें याद रखने की आवश्यकता है कि Bible हर एक विश्वासी के लिए महत्वपूर्ण है: परमेश्वर के साथ घनिष्ठता और एकता के लिए, मसीही जीवन में वृद्धि और परिपक्वता के लिए और सेवा करने की तैयारी के लिए।

read more
आपका हृदय कहाँ पर लगा है? (Where Is Your Heart?)

आपका हृदय कहाँ पर लगा है? (Where Is Your Heart?)

आपका हृदय कहाँ पर लगा है? (Where Is Your Heart?) आज आपका हृदय कहां पर है? आपके जीवन में आप किन चीजों को महत्व देते हैं? आप किससे प्यार करते हैं? आज आपके लिए जरूरी क्या है? आप अपनी प्राथमिकताओं को निर्धारित कैसे करते हैं? आपके दिन भर का कार्यकाल या पूरे महीने का...

read more

आप अपना मन कहाँ लगाते हैं?

क्योंकि एज्रा ने यहोवा की व्यवस्था का अर्थ जान लेने, और उसके अनुसार चलने, और इस्राएल में विधि और नियम सिखाने के लिये अपना मन लगाया था। – एज्रा 7:10

Study It (Know)

एज्रा ने अपना मन परमेश्वर के वचन का अर्थ जान लेने में लगाया, इसलिए उसने इसका अध्ययन किया। क्या आपके पास आज समय है परमेश्वर के वचन का अर्थ जानने के लिए, अर्थात इसके अध्ययन के लिए?

Practice It (Be)

एज्रा ने अपना मन परमेश्वर के वचन का अभ्यास करने में लगाया। उसने इसे सबसे पहले अपने जीवन में लागू किया। क्या आप भी वचन के अनुसार जी रहे हैं?

Teach It (Do)

एज्रा ने परमेश्वर के वचन को सिखाने में भी मन लगाया। अर्थात जिसका उसने अर्थ जाना, उसके बाद अपने जीवन में लागू किया तब जाकर दूसरों को भी सिखाया। क्या आप भी परमेश्वर के वचन को सिखा रहे हैं?