"मसीहत परमेश्वर के साथ एक रिश्ता है।"

आशा है कि यहां पर उपलब्ध संसाधन आपकी आत्मिक उन्नति के लिए सहायक उपकरण सिद्ध होंगे। आइए साथ में उस दौड़ को पूरा करें, जिसके लिए प्रभु ने हम सबको बुलाया है। प्रभु का आनंद हमारी ताकत है।

नामधारी विश्वासी और शिष्य में भिन्नताएं?

नामधारी विश्वासी और शिष्य में भिन्नताएं?

मेरा लक्ष्य आपको भटकाना नहीं है वास्तव में एक शिष्य भी एक विश्वासी हैं क्योकि उसने यीशु को अपना प्रभु करके स्वीकार किया है और उस पर मन को फिराकर विश्वास भी किया है। परन्तु कुछ ऐसे समूह हैं जो कह सकते हैं कि हम भी यीशु के ऊपर विश्वास करते हैं पर वे अपने कामों के द्वारा इसका इंकार करते हैं अर्थात उनके फलों से उनकी जीवन शैली से आप उनको पहचान पाएंगे कि वे एक नामधारी विश्वासी हैं।

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मसीह में बने रहने का क्या अर्थ है? (Abiding In Christ)

मसीह में बने रहने का क्या अर्थ है? (Abiding In Christ)

मसीह में बने रहने का क्या अर्थ है? (Abiding In Christ) (John 15:1-8) आपने दाखलता और डालियों का दृष्टांत तो कई बार पढ़ा होगा, पर क्या आपने जानने की कोशिश की कि क्यों मसीह ने इस दृष्टांत का उपयोग किया? मैं क्यों ये कह रहा हूं? आज के समय विश्वासियों का जीवन देखकर! उससे...

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नूह का जहाज़ क्या सन्देश देता है? (The Ark Of Noah)

नूह का जहाज़ क्या सन्देश देता है? (The Ark Of Noah)

नूह का जहाज़ क्या सन्देश देता है? (Life Lessons From The Ark Of Noah) आज के युग के लिए चेतावनी। नूह का जहाज आज के समय के लिए प्रभु यीशु का प्रतिरूप है। बाइबल में प्रभु यीशु मसीह को बहुत प्रकार के उदाहरणों से प्रकट किया गया है। आज हम देखेंगे कि किस प्रकार वह नूह के...

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आप अपना मन कहाँ लगाते हैं?

क्योंकि एज्रा ने यहोवा की व्यवस्था का अर्थ जान लेने, और उसके अनुसार चलने, और इस्राएल में विधि और नियम सिखाने के लिये अपना मन लगाया था। – एज्रा 7:10

Study It (Know)

एज्रा ने अपना मन परमेश्वर के वचन का अर्थ जान लेने में लगाया, इसलिए उसने इसका अध्ययन किया। क्या आपके पास आज समय है परमेश्वर के वचन का अर्थ जानने के लिए, अर्थात इसके अध्ययन के लिए?

Practice It (Be)

एज्रा ने अपना मन परमेश्वर के वचन का अभ्यास करने में लगाया। उसने इसे सबसे पहले अपने जीवन में लागू किया। क्या आप भी वचन के अनुसार जी रहे हैं?

Teach It (Do)

एज्रा ने परमेश्वर के वचन को सिखाने में भी मन लगाया। अर्थात जिसका उसने अर्थ जाना, उसके बाद अपने जीवन में लागू किया तब जाकर दूसरों को भी सिखाया। क्या आप भी परमेश्वर के वचन को सिखा रहे हैं?