"मसीहत परमेश्वर के साथ एक रिश्ता है।"
आशा है कि यहां पर उपलब्ध संसाधन आपकी आत्मिक उन्नति के लिए सहायक उपकरण सिद्ध होंगे। आइए साथ में उस दौड़ को पूरा करें, जिसके लिए प्रभु ने हम सबको बुलाया है। प्रभु का आनंद हमारी ताकत है।
मेरा आदर कहाँ? (Where Is My Honor?) मलाकी 1:6-14
मेरा आदर कहां? कहीं आप भी परमेश्वर का निरादर तो नहीं कर रहे? क्या परमेश्वर ये सवाल उदासी में नहीं पूछ रहे? आकाशमण्डल उस परमेश्वर की महिमा का वर्णन करता है। इंसान को छोड़कर आज हर चीज परमेश्वर के उद्देश्य को पूरा कर रही है। परमेश्वर ने इन्सान को अपनी महिमा के लिए बनाया है पर अफ़सोस, आज बहुत से लोग उकता गये हैं।
प्रभु यीशु और नीकुदेमुस की वार्तालाप से सबक।
प्रभु यीशु ने ना सिर्फ अपने 12 चेलों के साथ समय बिताया और उनके जीवन को प्रभावित किया बल्कि जिसके साथ भी प्रभु यीशु ने थोड़ा सा समय भी बिताया उनका जीवन बदल गया।
तुम पृथ्वी के नमक हो। (The Salt of the Earth)
प्रभु यीशु अपने अनुयाइयों को दुनियां का नमक कहते हैं, और साथ ही साथ हमें चेतावनी भी देते हैं कि यदि नमक अपना गुण खो देता है अर्थात अपनी लवणता, तो वह किसी काम का नहीं है।
आप अपना मन कहाँ लगाते हैं?
क्योंकि एज्रा ने यहोवा की व्यवस्था का अर्थ जान लेने, और उसके अनुसार चलने, और इस्राएल में विधि और नियम सिखाने के लिये अपना मन लगाया था। – एज्रा 7:10
Study It (Know)
एज्रा ने अपना मन परमेश्वर के वचन का अर्थ जान लेने में लगाया, इसलिए उसने इसका अध्ययन किया। क्या आपके पास आज समय है परमेश्वर के वचन का अर्थ जानने के लिए, अर्थात इसके अध्ययन के लिए?
Practice It (Be)
एज्रा ने अपना मन परमेश्वर के वचन का अभ्यास करने में लगाया। उसने इसे सबसे पहले अपने जीवन में लागू किया। क्या आप भी वचन के अनुसार जी रहे हैं?
Teach It (Do)
एज्रा ने परमेश्वर के वचन को सिखाने में भी मन लगाया। अर्थात जिसका उसने अर्थ जाना, उसके बाद अपने जीवन में लागू किया तब जाकर दूसरों को भी सिखाया। क्या आप भी परमेश्वर के वचन को सिखा रहे हैं?