लक्ष्य निर्धारण महत्वपूर्ण क्यों है? (Goal Setting)

Why Goal Setting Is Important? लक्ष्य निर्धारण महत्वपूर्ण क्यों है? अपने लिए लक्ष्य निर्धारित कैसे करें?

लक्ष्य निर्धारण महत्वपूर्ण क्यों है? (Why Goal Setting Is Important?) मसीह में मेरे प्रियों, आज हम अपने जीवन के लिए लक्ष्य निर्धारण के महत्व को समझेंगे। इस दुनियां में जब हम हर चीज को, जीव जंतुओं को, पेड़-पौधों को सुव्यवस्थित तरीके में पाते हैं, तो इतना अंदाजा आसानी से लगाया ही जा सकता है कि परमेश्वर ने ही इन सबको बड़े ही बुद्धिमानी के साथ, सूक्ष्मता के साथ, सुंदरता के साथ, योजना के साथ और एक उद्देश्य के साथ बनाया है। 

यदि आप अपने जीवन के लिए स्वयं योजना नहीं बनाते हैं तो अधिक संभावना है कि आप किसी दूसरे की योजना में गिर जायेंगे, और अंदाजा लगाइए कि उन्होंने आपके लिए क्या योजना बनाई होगी? बहुत ज्यादा नहीं। – Jim Rohn

आज मैं आपके साथ कुछ ऐसी बातें भी साझा करूंगा जिन बातों के द्वारा मुझे मेरे अगुवों ने प्रेरित किया है और करते हैं, ताकि मैं भी अपने जीवन के उद्देश्य को समझ सकूं और एक ऐसा जीवन जीऊं, जिसके लिए मुझे बाद में पछताना न पड़े। क्योंकि मसीह ने हमें इसलिए बुलाया है कि हम उस पदार्थ को पकड़ने के लिए अपनी दौड़ को जारी रखें। (फिलिप्पियों 3:12 ) हम लक्ष्यहीन के जैसे नहीं दौड़ें, बल्कि वैसे दौड़ें कि जीतें। (1 कुरिन्थियों 9:24-27)

लक्ष्य निर्धारण महत्वपूर्ण क्यों है? (Goal Setting)
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इस दुनियां में परमेश्वर ने ऐसी कोई वस्तु नहीं बनाई है जिसका कि कोई उद्देश्य न हो, बल्कि परमेश्वर ने हर एक चीज को एक उद्देश्य के साथ बनाया है। जैसा कि आप जानते ही हैं कि हम सभी हमारे घर में जो भी वस्तुएं इकठ्ठा करते हैं, वे एक उद्देश्य के साथ इकट्ठी की जाती हैं। क्योंकि कोई भी ऐसी वस्तु को इकट्ठा क्यों करेगा जिसका कोई उद्देश्य ही न हो। जब हम वस्तुओं के उद्देश्यों को जानते हैं, तो क्या परमेश्वर ने हम मनुष्यों को बिना लक्ष्य के या बिना उद्देश्य के रखा है? मैं दावे के साथ और बाइबलीय दृष्टिकोण से कह सकता हूं, कदापि नहीं।

जिन लोगों ने भी महान कार्य किए हैं, उनका एक महान लक्ष्य था, उन्होंने एक ऐसे लक्ष्य पर अपना ध्यान केंद्रित किया था; जो उच्च था, जो कभी कभी असंभव प्रतीत होता था। – Orison Swett Marden

हम सबको भी परमेश्वर ने एक उद्देश्य के लिए ही बनाया है। जब हमें परमेश्वर ने एक उद्देश्य के साथ बनाया है तो फिर हमें अपने जीवन में इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयास करना होगा। आपको भी उन लक्ष्यों के लिए, योजनाओं को बनाना होगा। 

क्योंकि लक्ष्य एक ऐसा “मानचित्र” (Map) है, जो आपको परमेश्वर द्वारा दिए गए उद्देश्य की ओर मार्गदर्शन करेगा, उन्हें निर्धारित किए बिना आप भी उस स्थान में घूमते रहेंगे जहां आपको जाने की आवश्यकता है।

हर किसी का अपना माउंट एवरेस्ट होता है, जिसे चढ़ने के लिए उन्हें इस धरती पर रखा गया था। – Seth Godin

लक्ष्य निर्धारित करना Unspiritual नहीं है।

बहुत से लोग इस प्रकार गलत सोचते हैं कि लक्ष्य निर्धारित (Goal Setting) करना आध्यात्मिक नहीं है, क्योंकि यह विश्वास की कमी को दर्शाता है। योजना बनाना सही नहीं है, इसके बजाय लोगों को उनकी अगुवाई करने के लिए परमेश्वर की प्रतीक्षा करनी चाहिए।

ठीक है, परमेश्वर नहीं चाहता है कि हम निर्देशन के लिए उससे परामर्श किए बिना, अपने घमंड में आगे बढ़ें, लेकिन परमेश्वर यह भी नहीं चाहता है कि हम नाटक करके बैठे रहें। क्योंकि परमेश्वर ने हमें दान-वरदान और प्रतिभाएं भी दी है। उसका वचन हमें बताता है कि हमें भले कामों को करने के लिए सृजा गया है। (इफिसियों 2:8-10, रोमियो 12:4-8, मत्ती 25:14-30)

हम में से अधिकांश लोगों के लिए बड़ा खतरा यह नहीं है कि हमारा लक्ष्य बहुत ऊंचा है और हम इससे चूक जायेंगे, लेकिन खतरा यह है कि यह बहुत ही छोटा है और हम आसानी से पहुंच जाते हैं। – Michelangelo

हां, परमेश्वर को खोजे बिना आगे बढ़ना या बैठे रहना और कुछ भी ना करना; भय या विश्वास की कमी के कारण हो सकता है। हालांकि लक्ष्य निर्धारित (Goal Setting) करना और परमेश्वर के साथ परामर्श करना दर्शाता है कि आप उस पर भरोसा करते हैं और मानते हैं कि जब आप आगे बढ़ रहे हैं तो वह आपकी अगवाई करने में सक्षम है।

जैसे जैसे आप अपने उद्देश्य में आगे बढ़ते हैं, वैसे परमेश्वर आपके लिए अधिक जानकारी प्रकट करता है। उसके साथ अपना संवाद जारी रखें और रास्ते में उसके द्वारा प्रदान किए जाने वाले सड़क संकेतों पर भी ध्यान दें। उसके वचन और पवित्र आत्मा की अगुवाई में चलते रहें, परमेश्वर आपको दिखाएगा कि कब आप उसकी इच्छा के अंदर हैं और कब उसकी इच्छा से बाहर हैं।

लक्ष्य निर्धारित करना बहुत जरूरी क्यों है?

क्योंकि लक्ष्य निर्धारण न करना जीवन में निरंकुशता लाता है। जहाँ लोगों के जीवन में लक्ष्य नहीं, वहां लोग अनियंत्रित हो जाते हैं, यहाँ वहाँ भटकते रहते हैं अथवा नाश हो जाते हैं। (नीतिवचन 29:18) लक्ष्य निर्धारित (Goal Setting) करना इसलिए जरुरी है क्योंकि लक्ष्य जीवन में दिशा देता है। लक्ष्य आपको आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है। लक्ष्य आपको केंद्रित करता है। लक्ष्य निर्णय लेने की प्रक्रिया को आसान बनाता है। लक्ष्य से प्रगति को आसानी से मापा जा सकता है। लक्ष्य जवाबदेह (Accountable) बनाता है। लक्ष्य सम्मान पैदा करता है। लक्ष्य अभिलाषाओं को गहरा बनाते हैं।

लक्ष्य का निर्धारण करना, अदृश्य को दृश्य में लाने के लिए आपका पहला कदम है। – Tony Robbins

लक्ष्य निरंतरता बढ़ाते हैं। लक्ष्य निर्धारित (Goal Setting) करने से आपको दीर्घकालिक दर्शन और अल्पकालिक प्रेरणा मिलती है। यह आपको अपना समय और आपके संसाधनों को व्यवस्थित करने में मदद करता है ताकि आप अपने बचे हुए जीवन का निर्माण कर सके।

लक्ष्य क्या होता है?

लक्ष्य एक प्रणाली या किसी व्यक्ति का वांछित परिणाम होता है, जो कि कल्पित विकास में वांछित अंतिम बिंदु प्राप्त करने के लिए और उसके लिए योजना बनाने के लिए प्रतिबद्ध (Committed) करता है। कई लोग समय सीमा निर्धारित करके एक सीमित समय के भीतर लक्ष्य तक पहुंचने का प्रयास करते हैं।

दूसरे शब्दों में कहें तो भविष्य के लिए आप जो भी योजना बनाते हैं चाहे वह कुछ भी हो, वह एक लक्ष्य है।

हमारे लक्ष्यों को केवल एक योजना के माध्यम से ही प्राप्त किया जा सकता है, जिसमें हमें विश्वास करना चाहिए, और जिस पर हमें सख्ती से कार्य करना चाहिए। क्योंकि सफलता का कोई दूसरा रास्ता नहीं हैं। – Pablo Picasso

तो आप अगली बार जब भी साप्ताहिक काम करने की योजना बना रहे हो तो हमेशा ध्यान रखें कि छोटे-छोटे कार्य लक्ष्य के रूप में होते हैं। हो सकता है कि ये छोटे-छोटे कार्य कभी -कभार महत्वहीन लग सकते हैं; पर ये आपको आपके लक्ष्य के और करीब ले जाने में एक अहम् भूमिका निभाते हैं।

लक्ष्य निर्धारण में असफलता क्यों मिलती है?

जहां कुछ लोग अपने लक्ष्यों को बनाने में और उनको पूरा करने में सफलता को प्राप्त करते हैं, वहीं कुछ लोग अपने लक्ष्य को बनाने में और उनको पूरा करने में असफल भी होते हैं। इनके कुछ कारण होते हैं, जैसे कि कमजोर योजना बनाना, गलत निर्णय लेना और जानकारी का अभाव होना इत्यादि।

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जब आप एक साथ दो या दो से अधिक इच्छित लक्ष्यों को पूरा करने का प्रयास करते हैं, तब एक संघर्ष उत्पन्न हो सकता है। ऐसी परिस्थिति में आपको अपने मूल्यों की प्राथमिकता निर्धारित करना है और यह तय करना है कि कौन सा लक्ष्य अत्यंत आवश्यक एवं महत्वपूर्ण है।

असफल होने पर क्या करें?

  • दोबारा कोशिश करें।
  • लक्ष्य को बदल डालें।
  • या फिर असफलता को विकास का एक अवसर जाने।

बिना योजना के लक्ष्य सिर्फ एक कामना है।

एक सफल लक्ष्य निर्धारण (Goal Setting) करने वाला वह है जो मुश्किल परिस्थिति में भी उस लक्ष्य को त्यागता नहीं है बल्कि वह परमेश्वर से प्रार्थना करता है, परमेश्वर पर भरोसा रखता है कि परमेश्वर भी उसके लिए कार्य करेगा।

लोग लक्ष्य निर्धारण क्यों नहीं करते हैं?

असफलता का डर भी लोगों को लक्ष्य निर्धारण (Goal Setting) करने से दूर ले जाता है, कुछ लोगों को उपहास का डर रहता है कि कहीं अगर मैं अपने लक्ष्य से चूक जाऊं तो लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे? लोग मेरा मजाक उड़ाएंगे। कुछ लोग इसलिए लक्ष्य निर्धारण नहीं करते क्योंकि वे अपने जीवन के प्रति लापरवाह होते हैं।

कुछ लोग इसलिए लक्ष्य निर्धारण नहीं करते हैं क्योंकि उनमें आत्मविश्वास की कमी होती है और कुछ लोग इसलिए भी नहीं करते हैं क्योंकि वे कठिन परिश्रम नहीं करना चाहते हैं। कुछ लोग लक्ष्य का निर्धारण इसीलिए भी नहीं करते हैं क्योंकि उन्हें मालूम ही नहीं है कि उनके जीवन के लिए उन्हें लक्ष्य बनाना चाहिए। कुछ लोग अपने आराम के क्षेत्र (Comfort Zone) से बाहर निकलना ही नहीं चाहते हैं इसीलिए वे लक्ष्य बनाने में संकोच करते हैं।

जीवन क्षणिक है, नाजुक है और किसी का इंतजार नहीं करता। अपने लक्ष्यों को, सपनों को आगे बढ़ाने के लिए कभी भी सही समय नहीं होगा। – Unknown

एक दार्शनिक ने एक बार कहा कि बिना चुनौती के जीवन जीने योग्य नहीं है। उसी प्रकार एक लक्ष्यहीन जीवन आपके जीवन को बोझिल कर देगा और यह आपको कहीं भी नहीं ले जाएगा। लक्ष्यरहित जीवन बादल के समान है जिसकी दिशा हवा से बदल जाती है, जिसका अपना कोई गंतव्य नहीं होता है। लक्ष्यहीन जीवन एक ऐसे पत्र के जैसा है जिसे बिना पते (Address) के लेटर बॉक्स में डाल दिया गया हो। जरा कल्पना करें कि उस लेटर के साथ क्या होगा?

बिना लक्ष्य के जीवन ऐसा है कि आप बसस्टॉप में खड़े तो हैं लेकिन आपको मालूम नहीं कि जाना कहाँ है? आपके पास दो ही विकल्प हैं या तो वापस घर जाएँ या फिर किसी भी बस में बैठ जाएँ और यहाँ से वहां, वहां से यहाँ भटकते फिरें। मुझे मालूम है कि एक मसीही होने के नाते आप बिल्कुल भी ऐसा नहीं करेंगे क्योंकि आप अपने जीवन के लिए परमेश्वर की योजना को और उद्देश्य को जानते हैं।

याद रखें कि लक्ष्य निर्धारण (Goal Setting) एक अनुशासन है, जो अपने आप घटित नहीं होता है, इसके लिए इरादे, योजना और प्रयास की आवश्यकता होती है।

अनेक विश्वासी तथा अगुवे ऐसे हैं जो अपने व्यक्तिगत जीवन तथा सेवकाई के लिए लक्ष्य निर्धारित किए बिना ही सेवकाई में आ जाते हैं। अथवा हो सकता है कि वे सेवाकार्य में अनेक वर्षों से लगे हुए हो या दशकों से, परंतु वे यह महसूस करते हैं कि जीवन बहता जा रहा है, और अभी तक कुछ हासिल भी नहीं किया है।

लक्ष्य निर्धारण और बाइबल

लक्ष्य निर्धारण एक बाइबल आधारित निर्देश है। क्या आपने अपने जीवन के लिए लक्ष्य तय किया है? आपके जीवन का लक्ष्य क्या है? आपके जीवन का दर्शन क्या है? यदि आप जानते हैं तो उसे लिख लें।

क्या लक्ष्य को लिखना या बनाना बाइबल आधारित है? पढ़ें हबक्कूक 2:2 यहोवा ने मुझसे कहा, “दर्शन की बातें लिख दे; वरन पटियों पर साफ साफ लिख दे कि दौड़ते हुए भी वे सहज से पढ़ी जाएँ।” लक्ष्य निर्धारण वचन आधारित सिद्धांत है। कई बार लोग इसे मैनेजमेंट और बिजनेस वालों के लिए आवश्यक समझते हैं। लेकिन अपने जीवन में लक्ष्य को निर्धारित करना, परमेश्वर के लक्ष्य और योजना को पूरा करने के लिए अतिआवश्यक है।

पवित्रशास्त्र हमें लक्ष्य निर्धारण (Goal Setting) करने के कई उदाहरण देता है। जैसे कि नहेम्याह के लिए पुनःनिर्माण लक्ष्य। (नहेम्याह 6:15,16) प्रेरितों या विश्वासियों के लिए अन्यजातियों तक पहुंचने का लक्ष्य। (प्रेरितों 20:24) खोए हुओं को बचाने का लक्ष्य। (मती 18:11, यूहन्ना 4:34) नूह के लिए परमेश्वर का लक्ष्य था कि वह जल प्रलय से अपने आपको, अपने परिवार को, अन्य जीव-जंतुओं को और बीजों आदि को बचाए।

युसूफ मिस्र में इसलिए भेजा गया ताकि उसके पिता के घराने को और मिस्र को अकाल से बचाया जा सके। मूसा के लिए परमेश्वर का निर्धारित लक्ष्य था कि इजराइलियों को मिस्र की गुलामी से छड़ाए। रानी एस्तेर भी राजभवन में इसलिए पहुंचाई गई थी ताकि समय आने पर अपने लोगों को बचाया जा सके। मोर्दकै का भी यही लक्ष्य था कि हामान से यहूदियों की रक्षा करे। यीशु इसलिए दुनियां में आए ताकि मनुष्य जाति उद्धार प्राप्त करे और परमेश्वर के साथ मेलमिलाप करे। (मती 18:11, यूहन्ना 4:34)

जिस प्रकार हमारे स्कूल के समय में कक्षा का समय निर्धारित होता था उसी प्रकार हम कई बार घरों में भी अपने बिस्तर के सामने अपना समय सारणी चिपका देते थे ताकि हमें स्मरण रहे कि हमने अपने समय को कैसे बिताना है। लक्ष्य निर्धारण करना दिखाता है कि कोई भी व्यक्ति अपने जीवन के प्रति कितना गंभीर है।

लक्ष्य निर्धारण की कला।

समय के हिसाब से लक्ष्य को विभिन्न वर्गों में बांटा जा सकता है व्यापक रूप से लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए उन्हें तीन वर्गों में श्रेणीबद्ध किया जा सकता है। 

  1. लघु अवधि लक्ष्य – अधिक से अधिक 1 वर्ष का समय।
  2. मध्यम अवधि लक्ष्य – 1 से 5 वर्ष तक का समय।
  3. दीर्ध अवधि लक्ष्य – 5-10 साल के समय अवधि के लिए।

ठीक से निर्धारित लक्ष्य बताता है कि हम आधे रास्ते तक पहुंच गए हैं। – Zig Ziglar

जिस प्रकार हम धन का प्रबंधन अपनी आने वाली आवश्यकतों के अनुसार करते हैं उसी प्रकार हम अपने जीवन के बाकि क्षेत्रों के लिए भी लक्ष्य निर्धारित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए हम लघु अवधि के लिए बैंको में RD, FD और दीर्ध अवधि के लक्ष्य के लिए PPF इत्यादि में धन का निवेश करते हैं , उसी प्रकार हमें दूसरे क्षेत्रों के लिए लक्ष्य बना सकते हैं।

लक्ष्यों की प्राथमिकता का निर्धारण।

उच्च प्राथमिकता लक्ष्य – जो अत्यधिक महत्वपूर्ण और दर्शन और मिशन को पूरा करने के लिए अत्यंत आवश्यक है, उच्च प्राथमिकता लक्ष्य कहलाते हैं। स्पष्ट रूप से यही वे लक्ष्य है जो सबसे पहले लागू किए जाने चाहिए।

द्वितीय श्रेणी के लक्षण – ऐसे लक्ष्य जो तुरंत ध्यान नहीं खींचते हैं परंतु महत्वपूर्ण हैं, ऐसे लक्ष्य द्वितीय श्रेणी में आते हैं।

विलंबित लक्ष्य – ऐसे लक्ष्य जो बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है उन्हें विलंबित रखा जा सकता है। कभी-कभी विलंबित लक्ष्य खुद ही समाप्त हो जाते हैं और हो सकता है कि वह आप के मिशन को भी प्रभावित न करें।

लक्ष्य निर्धारण कैसे करें?

सुनिश्चित करें कि आपका लक्ष्य आपके आदर्शों और परमेश्वर द्वारा आपके लिए तय उद्देश्यों के अनुरूप है। कोई भी दो लक्ष्य एक दूसरे के विरोधाभासी ना हो। लक्ष्य सकारात्मक होने चाहिए। लक्ष्य को पूर्ण विस्तार पूर्वक लिखा जाना चाहिए।

लक्ष्य निर्धारण महत्वपूर्ण क्यों है? (Goal Setting)
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लक्ष्य ऊंचा और बड़ा होना चाहिए। अपने लक्ष्य और स्वयं का प्रतिदिन मूल्यांकन करें। सोचें कि क्या आपकी दिनचर्या आपको धीरे-धीरे लक्ष्य की ओर ले जा रही है या लक्ष्य से दूर कर रही हैं। यदि आपकी दिनचर्या आपके लक्ष्य से आपको दूर करती जा रही है तो आपको आवश्यक बदलाव करना होगा।

लक्ष्य निर्धारण की प्रक्रिया।

प्रार्थना करें और पवित्र आत्मा से सहयोग मांगे कि आपका मार्गदर्शन करें। अपने लक्ष्य का मानसिक चित्रण करें। अपने उद्देश्य को एक कागज में लिख लें, या हो सके तो चार्ट या बेनर में लिख लें ताकि प्रतिदिन आपका ध्यान उस पर जाये। अपने लक्ष्य पर मनन करें। अपने लक्ष्य को छोटे-छोटे लक्ष्यों या खंडों में तोड़ें। छोटे लक्ष्य की पूर्ति के लिए आवश्यक क्रियाओं को लिखें। उन संसाधनों की सूची बनाएं जो उन क्रियाओं को पूरा करने के लिए आवश्यक है।

जवाबदेही (Accountability) के लिए किसी अगुवे को जिम्मेदारी दें, और उन्हें अनुमति दें ताकि वे किसी भी समय आपकी उन्नति के बारे में पूछ सकें, सलाह दे सकें और आपको आगे बढ़ने के लिए उत्साहित कर सकें। पूरे महीने के लिए लक्ष्य बनाने के लिए Planner का इस्तेमाल करें।

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सफल लक्ष्य निर्धारण के लिए चार सुझाव।

  1. मूल्यांकन करें और प्रतिबिंबित करें।
  2. अपने सपनों और लक्ष्य को परिभाषित करें।
  3. अपने लक्ष्यों को SMART बनाएं।
  4. जवाबदेह (Accountable) बनें।

SMART लक्ष्य।

Specific

अपना लक्ष्य निर्धारित करते समय सुस्पष्ट रहें। अनुमान लगाने के लिए कोई जगह न छोड़ें। हम में से अनेक लोग ऐसे लक्ष्य निर्धारित करते हैं जो अस्पष्ट और अनिश्चित होते हैं। उदाहरण के लिए आप बड़े जोरदार ढंग से परमेश्वर की महिमा करना चाहते हैं परंतु यदि आप कोई भी लक्ष्य निर्धारित नहीं करते हैं तो इसका कोई भी अर्थ नहीं होगा।

Measurable

एक ऐसा लक्ष्य निर्धारित करें जिससे आप अपने लक्ष्यों की प्रगति की दिशा को माप सकें। लक्ष्य मापनेयोग्य होने चाहिए। आप दीर्घावधि के लक्ष्य निर्धारित कर उन्हें लघु अवधि में बांट सकते हैं।

Attainable

अपने आप से पूछें कि क्या यह लक्ष्य प्राप्त करने योग्य है? यदि नहीं तो फिर से इस पर पुनः विचार करें। उच्च लक्ष्य स्थापित करने और न पाने योग्य लक्ष्य स्थापित करने में बड़ा अंतर है। परमेश्वर हमें लक्ष्य प्राप्त करने के लिए अपनी सामर्थ्य देता है परंतु उसने हमें यह समझने के लिए बुद्धि भी दी है और विश्वास भी दिया है ताकि इनकी मदद से हम लक्ष्य को प्राप्त कर सकें।

एक हासिल न किया जाने वाला लक्ष्य ऐसा लगेगा कि मैं भारत की सारी कलीसियाओं को परमेश्वर का वचन सिखाऊंगा। यह व्यावहारिक रूप से असंभव है। दूसरी ओर से एक हासिल किया जा सकने वाला लक्ष्य होगा कि मैं अपनी कलीसिया में 20 युवाओं का एक समूह बनाकर उनके लिए बाइबल अध्ययन का आयोजन कर उन्हें परमेश्वर का वचन सिखाऊंगा।

Realistic

अपने लक्ष्य को यथार्थवादी बनाएं। महत्व और अर्थ के साथ एक लक्ष्य को बनाएं। कुछ लक्ष्य ना सिर्फ अप्राप्य होते हैं वे अवास्तविक भी होते हैं। जैसे कि मैं संसार के सभी गरीबों की सेवा करना चाहता हूं। परंतु एक प्राप्त करने योग्य और वास्तविक लक्ष्य होगा कि 10 सालों के अंत तक मेरे गांव में एक भी गरीब नहीं रहेगा।

Time Bound

अपने लक्ष्य के लिए एक समय सीमा को निर्धारित करें क्योंकि बिना समय सीमा के लक्ष्य भुला दिए जाते हैं। लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इसके साथ एक समय सीमा का भी बंधन होना बहुत जरुरी है। अपनी दिनचर्या में उसके लिए समय निर्धारित करें।

हमारा लक्ष्य, हमारे जीवन के सभी क्षेत्रों के मध्यनजर होने चाहिए। उसमें आपका आत्मिक जीवन और आपकी सेवकाई, आपका चरित्र, आपका स्वभाव, आपके कार्य और आपका व्यवसाय, समाज, आपका परिवार, आपकी आर्थिक स्थिति, आपका स्वास्थ्य, आपका शौक, आपकी शिक्षा इत्यादि शामिल है। ये सभी लक्ष्य इन सभी क्षेत्रों के अनुसार विभाजित किए जा सकते हैं।

परमेश्वर के बिना जीवन का उद्देश्य नहीं, बिना उद्देश्य के जीवन का कोई अर्थ नहीं और बिना किसी अर्थ के जीवन में कोई आशा नहीं – Rick WARREN

आपका लक्ष्य निर्धारण (Goal Setting) करना आपको अनुशासित, धैर्यवान और मसीह के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए तैयार करता है इसलिए आपके जीवन का लक्ष्य, परमेश्वर निर्धारित उद्देश्य को पूरा करने वाला होना चाहिए। परमेश्वर ने आपको उद्देश्य के साथ रचा है लेकिन उन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए लक्ष्य बनाना आपका काम है। अपने जीवन के लिए लक्ष्य निर्धारण करके आप उसे एक दिशा देते हैं। आशा है कि इस लेख के द्वारा बहुत लोग आशीष प्राप्त करेंगे और गंभीरता से अपने जीवन में लागू करेंगे।

शालोम

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Anand Vishwas
Anand Vishwas
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