"मसीहत परमेश्वर के साथ एक रिश्ता है।"
आशा है कि यहां पर उपलब्ध संसाधन आपकी आत्मिक उन्नति के लिए सहायक उपकरण सिद्ध होंगे। आइए साथ में उस दौड़ को पूरा करें, जिसके लिए प्रभु ने हम सबको बुलाया है। प्रभु का आनंद हमारी ताकत है।
कलीसिया (CHURCH) क्या है? और इसका अस्तित्व क्यों है?
कलीसिया (CHURCH) क्या है? और इसका अस्तित्व क्यों है? (Understanding the CHURCH) "कलीसिया" (Church) मूल यूनानी शब्द Ekklēsia (Ecclesia) का अनुवाद है। बहुत दुःख की बात है कि आज बहुत से लोग कलीसिया को एक इमारत के रूप में समझते हैं, जबकि बाइबल के अनुसार कलीसिया (Church)...
विश्वास न करने वाले विश्वासी
विश्वास न करने वाले विश्वासी। (Unbelieving Believers) By Leonard Ravenhill. परमेश्वर ज्ञान और व्यक्तित्व का आदर नहीं करता है वह केवल विश्वास का आदर करता है। विश्वास परमेश्वर का आदर करता है। विश्वास परमेश्वर को जहां ले जाना चाहता है परमेश्वर वहां जाता है। विश्वास, जैसा मैं मानता हूं आप समझ गए होंगे, परमेश्वर को थाम लेता है। विश्वास हमारी अयोग्यता को परमेश्वर के सर्वसामर्थी गुण से जोड़ देता है।
क्या फर्क पड़ता है? (What Difference Does It Make?)
क्या फर्क पड़ता है? (What Difference Does It Make?) हर एक छोटी सी छोटी बात फर्क डालती है, सेवक होने के नाते आपकी एक छोटी से छोटी हरकत भी बहुत फर्क डालती है, आपके निर्णय बहुत फर्क डालते हैं, आपका चालचलन बहुत फर्क डालता है, आपका केन्द्रित जीवन बहुत फर्क डालता है, आपका समय का उचित प्रबंधन फर्क डालता है, आपके धन का उचित प्रबंधन फर्क डालता है, आपके विश्वास के छोटे-छोटे कदम फर्क डालते हैं, छोटी से छोटी जिम्मेदारी को वफ़ादारी के साथ निभाना फर्क डालता है।
आप अपना मन कहाँ लगाते हैं?
क्योंकि एज्रा ने यहोवा की व्यवस्था का अर्थ जान लेने, और उसके अनुसार चलने, और इस्राएल में विधि और नियम सिखाने के लिये अपना मन लगाया था। – एज्रा 7:10
Study It (Know)
एज्रा ने अपना मन परमेश्वर के वचन का अर्थ जान लेने में लगाया, इसलिए उसने इसका अध्ययन किया। क्या आपके पास आज समय है परमेश्वर के वचन का अर्थ जानने के लिए, अर्थात इसके अध्ययन के लिए?
Practice It (Be)
एज्रा ने अपना मन परमेश्वर के वचन का अभ्यास करने में लगाया। उसने इसे सबसे पहले अपने जीवन में लागू किया। क्या आप भी वचन के अनुसार जी रहे हैं?
Teach It (Do)
एज्रा ने परमेश्वर के वचन को सिखाने में भी मन लगाया। अर्थात जिसका उसने अर्थ जाना, उसके बाद अपने जीवन में लागू किया तब जाकर दूसरों को भी सिखाया। क्या आप भी परमेश्वर के वचन को सिखा रहे हैं?