प्रकाशितवाक्य की सात कलीसियाओं से सीख

प्रकाशितवाक्य की सात कलीसियाओं से सीख (Seven Churches Of Revelation)

Posted by Anand Vishwas

May 23, 2020

प्रकाशितवाक्य की सात कलीसियाओं से सीख।

प्रकाशितवाक्य की सात कलीसियाओं से सीख। (Seven Churches Of Revelation) बाइबल में प्रकाशितवाक्य 1:11 के अनुसार पतमुस नामक यूनानी टापू पर प्रभु यीशु मसीह यूहन्ना को दर्शन देते हैं और कहते हैं कि इनको पुस्तक में लिख दे और सातों कलीसियाओं के पास भेज दे अर्थात इफिसुस और स्मुरना और पिरगमुन और थुआतीरा और सरदीस और फिलदिलफिया और लौदीकिया को।

Table of Contents

इस संदर्भ में ये प्रत्येक शहर में रहने वाले मसीही समुदाय या स्थानीय कलीसिया को संदर्भित करते हैं। इसका मतलब यह कदापि नहीं है कि यह संदेश सिर्फ तत्कालीन कलीसिया के लिए ही था। पर इसकी सच्चाई, इसके सिद्धांत आज हमारे लिए भी लागू होते हैं आइए यह जानते हैं कि परमेश्वर ने उन सातों कलीसियाओं को क्या संदेश दिया।

1) इफिसुस को संदेश। (प्रकाशितवाक्य 2:1:7)

प्रकाशितवाक्य की सात कलीसियाओं से सीख। (Seven Churches Of Revelation)
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पहला सा प्रेम छोड़ने वाली कलीसिया।

यह संदेश परमेश्वर प्रभु यीशु की ओर से था। प्रकाशितवाक्य 1:20

इफिसुस की प्रशंसा में – प्रभु कहते हैं कि मैं जानता हूं

  • तेरे काम को
  • तेरे परिश्रम को
  • धीरज को
  • यह भी कि तू बुरे लोगों को देख नहीं सकता है, क्योंकि वे लोग सिर्फ दिखावा करते हैं,
  • धीरज रखता है
  • मेरे नाम के लिए दुःख उठाते थका नहीं
  • नीकुलियों के कामों से घृणा करना।

इफिसुस की कलीसिया की कमी।

यहां प्रभु इफिसुस को एक चेतावनी देते हैं कि तुझ में एक कमी है जिसमें कि तुझे सुधार करना है। और वो है कि तूने अपना पहला सा प्रेम छोड़ दिया है। अर्थात जिस प्रकार तू मुझसे पहले प्रेम करता था वह प्रेम अब तुझ में नहीं है।

सुधार करने के लिए निर्देश।

प्रभु आगे कहते हैं कि सुधार करने के लिए पहले इस बात को याद कर कि तू कहां से गिरा है और अपने पापों से मन फिरा और जैसे तो पहले काम करता था वैसे ही काम कर।

चेतावनी।

अगर तू मन न फिराएगा तो तेरे पास आकर तेरी दीवट को उसके स्थान से हटा दूंगा। अर्थात जो जिम्मेदारी तुझे दी गई है उसको मैं किसी और को दूंगा।

कालातीत संदेश।

मेरे प्रिय, इफिसुस की कलीसिया को जो संदेश प्रभु यीशु मसीह ने दिया उससे हम आज यह सीख सकते हैं कि प्रभु हमारे परिश्रम को, हमारे कामों को, हमारे धीरज को भी जानता है। वह उत्साह जो प्रभु के प्रति है उसको भी वह जानता है, वह जानता है कि हम बुराई को सह नहीं सकते, देख नहीं सकते हैं। परमेश्वर यह भी जानता है कि हम उसके लिए दुख उठाते-उठाते थक नहीं गए हैं।

हो सकता है कि हमने भी बहुत कष्ट उठाए होंगे प्रभु के लिए। पर मेरे प्रिय, फिर भी कहीं ना कहीं आज हमें अपने आप को जांचने की जरूरत है। कहीं हमने भी अपना पहला सा प्रेम तो नहीं छोड़ दिया?

जिस वक्त हमने प्रभु यीशु मसीह को ग्रहण किया था, जैसा प्रेम हम उस वक्त किया करते थे परमेश्वर से, जो लगातार संगति, लगातार उत्साह के साथ हम आगे बढ़ना बढ़ रहे थे, लोगों को उत्साहित कर रहे थे, सुसमाचार सुना रहे थे, मेरे प्रिय, कहीं आज हमने वह पहला सा प्रेम छोड़ तो नहीं दिया है? कहीं हम भी इस दुनियां में खो तो नहीं गए हैं?

हमें प्रभु यीशु मसीह की चेतावनी को याद रखना है कि हमें मन फिराना है वापस जाना है, जहां से हम गिरे हैं। वैसा ही काम करना है, सच्चाई से प्रेम करना है, एक दूसरे से प्रेम करना है सुसमाचार का प्रचार करना है। और इस बात को हमेशा याद रखना है कि प्रभु यीशु सब कुछ जानता है। अंत में वह आपको प्रतिफल भी देगा। (प्रकाशितवाक्य 2:1:7)

2) स्मुरना को संदेश (प्रकाशितवाक्य 2:8-11)

प्रकाशितवाक्य की सात कलीसियाओं से सीख (Seven Churches Of Revelation)

एक विश्वासयोग्य कलीसिया।

इस कलीसिया को भी प्रभु कहते हैं, कि मैं ही प्रथम और अंतिम हूं, जो मर गया था अब जीवित हो गया है। हम देख सकते हैं कि परमेश्वर ही पहला है और आखिरी है और वो जीवित परमेश्वर है। अब वही जीवित परमेश्वर इस कलीसिया को यह संदेश देता है कि मैं जानता हूं…

  • तेरे कष्टों को, क्लेशों को, दरिद्रता को जानता हूं।
  • उनकी निंदा को भी जानता हूं जो अपने आप को भक्त कहते हैं पर है नहीं।

प्रभु की ओर से प्रोत्साहन।

आत्मिक दृष्टि से धनी है, जो दुख तुझे झेलने होंगे उनसे मत डर। तुम परखे जाओगे, तुम्हें क्लेश उठाना पड़ेगा। प्राण देने तक विश्वासी रह, तो मैं जीवन का मुकुट दूंगा।

कालातीत संदेश।

सर्वप्रथम हमें इस बात को भी याद रखने की आवश्यकता है, यह संदेश प्रभु परमेश्वर का है जो प्रथम और अंतिम है। जो हमारे लिए मारा गया था, गाड़ा गया था, उसके बाद तीसरे दिन जी उठा था और आज भी जिंदा परमेश्वर है। वह परमेश्वर हमारे दुखों को, हमारे क्लेशों को, हमारी गरीबी को जानता है, और प्रभु यह भी जानता है कि हम आत्मिकता में कितने धनी है।

प्रभु हमें उत्साहित करता है कि हमें दुखों से, सताव से नहीं डरना है बल्कि अगर सत्य के लिए या प्रभु यीशु मसीह के ऊपर विश्वास रखने के लिए जेल में भी जाना है तो उससे भी नहीं डरना है। अपने परखने से नहीं डरना है, प्राण देने तक हमें विश्वासी रहना है, अंत तक हमें विश्वासयोग्य रहना है। और प्रभु हमें यह भी उत्साह देते हैं कि यदि हम जय पाते हैं तो हमारी दूसरी मृत्यु से भी हानि नहीं होगी।

3) पिरगमुन की कलीसिया को सन्देश। (प्रकाशितवाक्य 2:12-17)

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समझौता करने वाली कलीसिया।

प्रभु कहता है की जिसके पास दोधारी और तेज तलवार है, कि मैं जानता हूं कि जहां तू रहता है, वहां शैतान का सिंहासन है। तू मेरे नाम पर स्थिर रहता है, मुझ पर विश्वास करने से उस वक्त भी पीछे नहीं हटा जिस वक्त तुमने सताव सहा।

कमी।

तेरे यहां कुछ ऐसे लोग हैं जो भी बिलाम की शिक्षा को मानते हैं, जिसने बालाक को इजराएलियों के सामने ठोकर का कारण रखना सिखाया और मूर्तियों पर चढ़ाई हुई वस्तुएं खाई कि व्यभिचार करें। तेरे यहां भी निकुलियों की शिक्षा को मानने वाले लोग हैं। अर्थात पिरगमुन की कलीसिया, झूठी शिक्षा के साथ एक समझौता करने वाली कलीसिया थी, झूठी शिक्षा को प्रमोट कर रही थी, झूठी शिक्षा के बहकावे में आ गई थी।

निर्देश।

मन फिरा, पश्चाताप कर, लौट के आ।

कालातीत संदेश।

मेरे प्रिय, सर्वशक्तिमान परमेश्वर सब कुछ जानता है कि हम कितना विश्वासयोग्य हैं। फिर भी हमारे जीवन में कुछ ऐसी बातें हो सकती हैं जहां हम झूठी शिक्षा के साथ समझौता करते होंगे। आज हमारे आस-पास मसीही के नाम से भी कई झूठे शिक्षक हैं उनकी कई झूठी शिक्षाएं हैं।

हम अपने आप को संभाले और लालच से बचा कर रखें क्योंकि यहां पर बिलाम का उदाहरण दिया गया है जिसने की अधर्म की कमाई को प्रिय जाना। (2 पतरस 2:15)

बड़े दुख की बात यह है कि आज भी बहुत से लोग भी बिलाम की तरह अपने अधर्म की कमाई के लिए झूठी शिक्षाओं के साथ समझौता कर रहे हैं। प्रभु की चेतावनी को याद रखें कि मन फिरा, नहीं तो मैं तेरे पास शीघ्र ही आकर अपने मुख की तलवार से लडूंगा।

4) थुआतीरा को सन्देश (प्रकाशितवाक्य 2:18:29)

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एक भ्रष्ट कलीसिया।

इस कलीसिया को भी मन को परखने वाला प्रभु यही कहते हैं कि मैं जानता हूं…

  • तेरे काम
  • तेरे प्रेम
  • विश्वास सेवा
  • धीरज
  • यह भी जानता हूं कि तेरे पिछले काम पहलों से बढ़कर है।

कमी

झूठे भविष्यवक्ताओं को रहने देना, जो परमेश्वर से दूर ले जाने का काम करते हैं और मन नहीं फिराते हैं।

निर्देश।

जो तुम्हारे पास है उसको मेरे आने तक थामे रहो।

कालातीत संदेश।

इस कलीसिया से हम सीख सकते हैं कि हमें झूठी शिक्षाओं के साथ समझौता नहीं करना है उन तरीकों में वापस नहीं जाना है जिनसे हमें बाहर बुलाया गया है। पवित्र शास्त्र बाइबल ने हमें पहले ही बताया है कि अंत के दिनों में कई झूठे भविष्यवक्ता लोगों को बहकाएंगे। और कई समझौता करने के लिए तैयार हो जाएंगे। आज भी बहुत से लोग एक बार परमेश्वर की कलीसिया में आकर अपने पहले के विश्वास में लौट रहे हैं।

आध्यात्मिक समझौता आध्यात्मिक भ्रष्टाचार की ओर ले जाता है। 

पहले भी ऐसा हुआ था, आज भी हो रहा है, और आज हमें सतर्क रहने की जरूरत है।

5) सरदीस को सन्देश (प्रकाशितवाक्य 3:1-6)

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मृत कलीसिया

चेतावनी, डांट और प्रोत्साहन

इस कलीसिया के लिए परमेश्वर का संदेश यह था कि तू जीवित तो कहलाता है पर है मरा हुआ। जागृत हो और उन वस्तुओं को जो बाकी रह गई है जो मिटने को हैं दृढ़ कर क्योंकि मैंने तेरे किसी काम को अपने परमेश्वर के निकट पूरा नहीं पाया। स्मरण कर कि तूने कैसी शिक्षा पाई थी और सुनी थी, उसमें बना रह, मन फिरा।

यदि जागृत ना रहेगा तो मैं चोर के समान आ जाऊंगा और तू कदापि ना जान सकेगा कि मैं किस घड़ी तुझ पर आ पडूंगा। पर कुछ लोग हैं जिन्होंने अपने आप को अशुद्ध नहीं किया वे मेरे साथ श्वेत वस्त्र पहने हुए घूमेंगे क्योंकि वे इस योग्य है।

कालातीत संदेश।

हम इस निष्कर्ष पर पहुंच सकते हैं कि हमें अपने जीवन से सुस्ती को निकालना है जागृत होना है, और जो जिम्मेदारी दी गई है उसको परमेश्वर के निकट पूरा करना है। क्योंकि शुरू से हमें ऐसी ही शिक्षा मिली थी सुनी थी उसी में बने रहना है।

अगर हम अभी भी अपना जीवन को सुस्ती में बिताएंगे तो प्रभु यीशु चेतावनी देते हैं कि मैं चोर के समान आ जाऊंगा अर्थात अचानक आ जाऊंगा। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कलीसिया प्रभु यीशु के दूसरे आगमन का इंतज़ार कर रही है। और हमें प्रतिदिन पवित्रता में बढ़ते जाना है, तभी हम प्रभु के साथ चलेंगे।

6) फिलदिलफिया को संदेश (प्रकाशितवाक्य 3:7-13)

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छोटी और विश्वासयोग्य कलीसिया।

प्रभु, जो सत्य है और जो दाऊद की कुंजी रखता है इसके खोले को कोई बंद नहीं कर सकता और बंद किए हुए को कोई खोल नहीं सकता; वह इस कलीसिया को यह संदेश देता है कि मैं तेरे कामों को जानता हूं। मैंने एक द्वार तेरे सामने खोल रखा है जिसे कोई बंद नहीं कर सकता तेरी सामर्थ थोड़ी सी तो है फिर भी तूने मेरे वचन का पालन किया है और मेरे नाम का इनकार नहीं किया।

मैं उनको जो झूठ बोलते हैं या दिखावा करते हैं उनको तेरे वश में कर दूंगा और ऐसा करूंगा कि वह आकर तेरे पैरों पर गिरेंगे और उन्हें मालूम हो जाएगा कि मैं ने तुझसे कितना प्रेम रखा है।

तूने मेरे धीरज के वचन को थामा है इसलिए मैं भी तुझे परीक्षा के उस समय बचा रखूंगा जो पृथ्वी पर रहने वालों के परखने के लिए सारे संसार पर आने वाला है मैं शीघ्र आने वाला हूं जो कुछ तेरे पास है उसे थामें रह कि कोई तेरा मुकुट छीन ना ले।

कालातीत संदेश।

इस संदेश से भी हम सीख सकते हैं कि प्रभु परमेश्वर पवित्र है, सत्य हैं, और वह बहुत सामर्थी है। जिस रास्ते को उसने खोला है, उसको कोई बंद नहीं कर सकता है और जो उसने बंद किया है, उसको कोई खोल नहीं सकता है।

वह जानता है कि हमारे पास कितनी ताकत है वह जानता है कि हम उसके वचन का पालन करते हैं कि हम उसके नाम का इंकार नहीं करते हैं, और वह हमारे जीवन में ऐसा कार्य करेगा कि लोग जान लेंगे कि वह हमसे कितना प्रेम करता है। बस हमें धीरज के वचन को थाम के रखना है ताकि परमेश्वर भी हमें परीक्षा के समय बचा रखेगा जो पृथ्वी पर रहने वाले के जीवन में आने वाली है।

7) लौदीकिया को संदेश (प्रकाशितवाक्य 3:14-22)

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एक गुनगुनी कलीसिया।

डांट, चेतावनी और सलाह।

इस कलीसिया के लिए प्रभु कहते हैं कि जो विश्वासयोग्य और सच्चा गवाह है और परमेश्वर की सृष्टि का मूल कारण है; वह कहता है कि मैं तेरे कामों को जानता हूं, तू ना तो ठंडा है ना गरम। अच्छा तो यह होता कि तू या ठंडा या गरम होता इसलिए कि तू गुनगुना है ना ठंडा है ना गर्म है। मैं अपने मुंह से तुझे उगने पर हूं, तू कहता तो है कि मैं धनी हूं, धनवान हो गया हूं मुझे किसी वस्तु की घटी नहीं है पर यह नहीं जानता कि तू कितना अभागा और तुच्छ, कंगाल अंधा और नंगा है।

इसलिए तुझे एक सुझाव है कि आग में ताया हुआ सोना मुझसे मोल के कि तू धनी हो जाए, श्वेत वस्त्र ले ले कि पहनकर तुझे अपने नंगेपन की लज्जा ना हो, और अपनी आंखों में लगाने के लिए सुरमा ले कि तू देखने लगे क्योंकि मैं जिन जिन से प्रेम करता हूं उन सब को उलाहना और ताड़ना देता हूं। इसलिए सरगर्म हो और मन फिरा। देख मैं द्वार पर खड़ा हुआ खटखटाता हूं। यदि कोई मेरा शब्द सुनकर द्वार खोलेगा तो मैं उसके पास भीतर आकर उसके साथ भोजन करूंगा और वह मेरे साथ।

कालातीत संदेश।

प्रभु यीशु मसीह विश्वासयोग्य है, सच्चा गवाह है, और सृष्टि का मूल कारण है वह हमारे कामों को जानता है हमारे जीवन की परिस्थितियों को जानता है हमारी सुस्ती को भी जानता है। हो सकता है कि हम भी इस कलीसिया की तरह कहने लग जाए कि आज हमारे पास धन संपत्ति है हम धनवान हैं हमें किसी चीज की कमी नहीं है पर मेरे प्रिय, हम नहीं जानते होंगे कि हम आत्मिक रीति से कितने अभागे तुच्छ, कंगाल, अंधे और नंगे हो गए हैं। परमेश्वर हमारे आत्मिक स्थिति को बेहतर रीति से जानता है।

और प्रभु यहां पर स्पष्ट कर देते हैं कि जिन से वह प्रेम करते हैं उनको डांटते भी हैं और चेतावनी भी देते हैं कि मन फिराएं और परमेश्वर के पास लौट आए। वह तो हमारे हृदय के द्वार पर खटखटाता है, यदि कोई भी उसका शब्द सुनकर द्वार खोलेगा तो वह भीतर आकर उसके साथ वास करेगा।

लौदीकिया एक महत्वपूर्ण आर्थिक केंद्र था और काफी धनवान शहर भी था। शायद इसी भौतिक सम्पन्नता के कारण वहां की कलीसिया आत्मिक निर्धनता की दशा में पहुँच गई थी। अपनी भौतिकता में संतुष्ट रहते हुए वे अपनी आत्मिक दशा के प्रति अंधे हो गए थे। इस कलीसिया के लिए कोई प्रशंसा का शब्द नहीं कहा गया है। परन्तु केवल प्रश्चाताप करने के लिए कहा गया है। (प्रकाशितवाक्य 3:19) वे मसीह के साथ अपने घनिष्ठ सम्बंध से इतने भटक चुके थे कि यीशु कहता है कि वह द्वार पर खड़ा खटखटा रहा है और यदि उसे अन्दर आमंत्रित किया जाए तो वह अन्दर आकर उनके साथ भोजन करने के लिए तैयार है।

निष्कर्ष

आज जब हमने इन सातों कलीसिया के बारे में अध्ययन किया तो इसका मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि यह सिर्फ उस वक्त की कलीसियाओं के लिए एक संदेश था।

मेरे प्रिय, आज भी हमारी कलीसियाओं की दशा कुछ ऐसी ही है। आज इस सुधार, डांट, चेतावनी या सलाह को हमें अपने जीवन में लेना है। आज हमें भी अपने आप को जांचने की जरूरत है, कहीं हमने भी पहला सब प्रेम तो नहीं छोड़ दिया? कहीं हम भी समझौता तो नहीं कर रहे हैं झूठी शिक्षाओं के साथ? क्या हम भी भ्रष्ट तो नहीं हो गए हैं इस दुनियां में रहते हुए? क्या हम भी मृत तो नहीं हो गए हैं क्या हम भी गुनगुने तो नहीं हो गए हैं।

एक दूसरे से बिल्कुल अलग इस सातों कलीसियाओं में चल रहा आत्मिक युद्ध स्पष्ट दिखाई देता है। इन सातों कलीसियाओं में से जो जय पाएंगे, उन्हें इनाम दिया जाएगा और इस इनाम का केंद्र स्वयं मसीह है। जिन युद्धों का सामना हम कर रहे हैं ये युद्ध उनके समान ही हैं, फिर भी हमारी विश्वासयोग्य रहने की जरुरत किसी भी प्रकार से उनसे कम नहीं है। जब हम जय पाते हैं तो हमारे इनाम का केंद्र भी वही है जो उनका था अर्थात यीशु मसीह के साथ एक स्वतंत्र और सनातन समबन्ध का आनंद लेना।

आज क्या हम विश्वासयोग्यता के साथ अपने जीवन को जी रहे हैं?

4 Comments

  1. Anand

    Thanks

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  2. SHYAM KAUSHAL

    This teaching help me to think about myself where I m what I need to improve. I also got encouragement. God Bless you.

    Reply
  3. Gandaira soy

    Good doctrine God bless you all of company.

    Reply
    • Anand Vishwas

      All Glory to God.

      Reply

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anandvishwas

Anand Vishwas

आशा है कि यहाँ पर उपलब्ध संसाधन आपकी आत्मिक उन्नति के लिए सहायक उपकरण सिद्ध होंगे। आइए साथ में उस दौड़ को पूरा करें, जिसके लिए प्रभु ने हमें बुलाया है।