परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य बने रहें।

परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य बने रहें। (Be Faithful With What God Has Given You)

Posted by Anand Vishwas

February 7, 2021

परमेश्वर के प्रति विश्वासयोग्य बने रहें। (Be Faithful With What God Has Given You) परमेश्वर ने आपको जो भी सौंपा है आपको उसमें विश्वासयोग्य बने रहना है। स्वर्ग और पृथ्वी जो कुछ भी उसमें है सब परमेश्वर का है। जगत और उसमें निवास करने वाले भी। (Psalms 24:1) आप अपने नहीं हो क्योंकि आपको परमेश्वर ने दाम देकर खरीदा है। (1 Corinthians 6:20)

आज आपके पास चाहे जो भी है और कितना ही क्यों ना हो वो सब कुछ आपको परमेश्वर ने दिया है। हम इस पृथ्वी पर भंडारी है। जो सब कुछ हमें सौंपा गया है वो सिर्फ हमारा या हमारे लिए नहीं है। परमेश्वर स्वयं विश्वासयोग्य है और उसके पुत्र होने के नाते हमसे भी यही अपेक्षा करता है कि हम भी जीवन के हर एक क्षेत्र में, हर एक चीज के लिए विश्वासयोग्य बने रहें।

चाहे हमें परमेश्वर ने परिवार दिया हो, बच्चे दिए हों, योग्यताएं दी हों, कौशल दिए हों, लोग दिए हों, समय दिया है, हमें सांसे दी हैं अथवा धन संपति दिया हो; हम उसके भी भंडारी है और वह सब परमेश्वर का है। परमेश्वर समस्त भूमंडल पर राज करता है। (Daniel 2:20-23, 4:17)

परमेश्वर ने हर एक को उसकी योग्यता के अनुसार दिया है। जो थोड़े में विश्वासयोग्य है वह बहुत में भी विश्वासयोग्य रहेगा। यदि वह उसमें विश्वासयोग्य रहे तो परमेश्वर का वचन कहता है कि उसे और भी दिया जाएगा। (Matthew 25:14-30) जैसा कि हमने बाइबल के आर्थिक सिद्धांतों के बारे में देखा है कि परमेश्वर ने बाइबल में 2350 से अधिक बार धन सम्पत्ति के बारे में बताया है। आप समझ ही गए होंगे कि ये मुद्दा कितना गंभीर है?

परमेश्वर चुनाव का मौका देते हैं।

आपको स्मरण होगा कि जब एक युवक जो कि धन सम्पत्ति को अधिक महत्व देता था यीशु के पास आया था, तो यीशु ने उससे क्या कहा? और उसकी प्रतिक्रिया क्या थी? यीशु ने उससे कहा कि सब कुछ बेचकर कंगालों को दे और तुझे स्वर्ग में धन मिलेगा और आकर मेरे पीछे हो ले। यह बात उसको रास नहीं आई कि एक तो यीशु के पीछे जाऊं भी और ऊपर से सब कुछ बेच भी दूं। इस बात से निराश होकर वह चला गया, क्योंकि वह बहुत धनी था। (मत्ती 19:16-30, मरकुस 10:17-31)

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तब यीशु ने अपने चेलों से यही कहा था कि धनवानों का स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करना कठिन है, ऊंट सुई के नाके में से निकल सकती है पर धनवानों का स्वर्ग में प्रवेश कठिन है। इस बात ने शिष्यों को भी झकझोर दिया कि ये तो बड़ी कठिन बात है। तब यीशु ने कहा कि परमेश्वर के लिए कुछ भी कठिन नहीं है।

पछतावे के लिए कोई मौका नहीं।

धनवान और लाजर के बारे में भी आपने सुना ही है धनवान जो कि बिना किसी की परवाह किए बगैर ही जी रहा था। (पढ़ें Luke 16:19-31) मौजमस्ती में जी रहा था। और इधर लाजर को लोग उसकी डेवड़ी पर इसलिए छोड़ जाते थे कि शायद ये धनवान व्यक्ति उसे कुछ मदद करे, खाने को दे या फिर मरहम पट्टी करवाए। और ये श्रीमान जी अपनी ही दुनियां में खोए हैं। इधर लाजर इस दुनियां से प्रस्थान करते हैं और कुछ ही दिनों के बाद धनवान भी कूच कर जाते हैं।

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दूसरी जगह जब अग्नि की पीड़ा में धनवान जी तड़प रहे होते हैं तो एक बूंद पानी के लिए भी तरस जाते हैं। पीड़ा में तड़पते हुए उनकी नजर ऊपर की ओर लाजर पर पड़ती है तो लाजर को चैन से बैठा देखकर, मांग करते हैं कि एक बूंद पानी तो लाकर मेरी जीभ को ठंडक दें।

उधर से ये जवाब सुनकर कि ऐसा संभव नहीं है कोई इधर से उधर और उधर से इधर नहीं आ सकता है, तो ये जनाब निवेदन करते हैं कि लाजर कम से कम मेरे परिवार या भाइयों तक तो जाए और उनको यहां का मंजर बताए ताकि वो भी इस जगह में न आए। इसका भी जवाब उसको यह मिलता है कि यह भी संभव नहीं है जब वे लोग जो व्यवस्था या भविष्यवक्ताओं की बात नहीं सुनते हैं तो लाजर जब यहां से वहां जाएगा तोभी वे विश्वास नहीं करेंगे।

जी पछतावे के लिए कोई जगह नहीं है। और ऐसा भी नहीं है कि धनवान लोग स्वर्ग जाएंगे ही नहीं। यहां पर कुछ लोग गलत समझ बैठते हैं। समस्या ये नहीं थी कि वो धनवान था, समस्या थी उसकी आत्मकेंद्रित जीवन शैली, समस्या था उसका धन के प्रति रवैया कि ये तो मेरी ही मेहनत का है इस पर सिर्फ मेरा ही अधिकार है।

जिस वजह से वह उस व्यक्ति की मदद भी नहीं कर पाया, जिसे गांव वाले उसकी डेवढ़ी पर इस आशा से छोड़ देते थे कि शायद उसकी कुछ मदद करे। परन्तु इस जनाब ने तो ठान लिया था कि जो भी मेरे पास है उसे दूसरों को देने की आवश्यक्ता नहीं। ये जनाब भूल गए थे कि परमेश्वर ही हमें धन संपति प्राप्त करने के लिए सामर्थ देता है। (Deuteronomy 8:17,18)

इसके उदाहरण से हम सिर्फ यही नहीं सीखते हैं कि आत्मकेंद्रित नहीं जीना है पर इसमें हमारे लिए कई सबक हैं जैसे कि स्वर्ग और नरक में बारे में, वहां के सुकून और पीड़ा के बारे में, ये भी कि कोई जो इस दुनियां से चला गया उसके बाद वो चाह कर भी अपने परिवार जनों के लिए कुछ भी नहीं कर सकता है। यानि कि पछतावे के लिए कोई स्थान नहीं।

और एक सीख कि वहां एक बूंद पानी के लिए भी तरसेंगे। अगर अभी भी हम लापरवाह होते हैं उस जीवन जल के लिए जो हमारे पास सौंपा गया है, उसको दूसरों तक पहुंचाने में, तो बाद में मौका नहीं मिलेगा इस बात को भी ध्यान में रखें। जीवन जल आपके पास है ये सिर्फ आपके लिए नहीं है बल्कि दूसरों के लिए भी आपको सौंपा गया है।

जिसके पास पुत्र है उसके पास जीवन है जिसके पास पुत्र नहीं उसके पास जीवन भी नहीं है। (1 John 5:12) कितनी बड़ी त्रासदी है कि अगर हम लापरवाह होते हैं तो बाद में अवसर ही नहीं है।

आपका क्या विचार है? जो कुछ भी आपके पास सौंपा गया है वो सिर्फ आपके लिए नहीं है। बल्कि दूसरों की मदद के लिए भी है।

अपने लिए स्वर्ग में धन इकट्ठा करो।

यहां जो कुछ भी दिखाई देता है वो सब कुछ एक दिन नष्ट हो जाएगा परन्तु जो कुछ भी स्वर्ग में है वो कभी नष्ट न होगा। संसार और उसकी अभिलाषाएं मिटती जाती है पर जो प्रभु की इच्छा पर चलता है सर्वदा बना रहेगा। (1 John 2:15-17) यीशु ने कहा कि अपने लिए स्वर्ग में धन इकट्ठा करो। क्योंकि जहां तुम्हारा धन होगा वहीं तुम्हारा मन होगा। यहां तो चोर कीड़ा काई धन को नष्ट कर सकते हैं पर वहां अर्थात् स्वर्ग में कोई उसको बर्बाद नहीं कर पाएगा। (Matthew 6:19-21)

“जितना कमा सकते हो कमाओ, जितना बचा सकते हो बचाओ और जितना खर्च कर सकते हो करो।”

जॉन वेस्ली

अपना भरोसा धन पर मत रखिये।

पवित्र शास्त्र में कोई मनाही नहीं है कि आप धन नहीं कमा सकते या इकट्ठा नहीं कर सकते, लेकिन यह सिर्फ इतना कहता है कि अपना भरोसा धन पर मत रखिये। यह आपकी असुरक्षा को लाता है और धन का प्रेम आपको परमेश्वर से दूर ले जाता है।

धन कोई अदल बदल का तटस्थ औपचारिक माध्यम नहीं है। यीशु ने कहा “तुम परमेश्वर और धन दोनों की सेवा नहीं कर सकते” (Matthew 6:24) धन में ईश्वर बनने की सारी योग्यता है। यह सुरक्षा, आज़ादी, सामर्थ, प्रभाव, ओहदा और शौहरत जैसी चीजें प्रदान कर सकता है। यह प्रेरणादायक समर्पण और एकल दिमाग में अन्य मानसिकता के लिए सक्षम है।

“हमारा हृदय केवल परमेश्वर की उपासना कर सकता है और एक ही के प्रति समर्पित हो सकता है।”

डेट्रिच बैहौफर

स्मरण रखें कि जिसे बहुत दिया गया है, उससे बहुत माँगा जायेगा; और जिसे बहुत सौंपा है, उससे बहुत लिया जायेगा। (Luke 12:48) धन के बारे में कई लोगों का रवैया है कि हमारा तो जीवन इसी से चलता है। एक बार यीशु के पास एक व्यक्ति अपने भाई की शिकायत लेकर आता है कि उससे कहे मेरे पिता की सम्पति मेरे साथ बाँट ले। तब यीशु ने उनसे एक कही कि “चौकस रहो, और हर प्रकार के लोभ से अपने आपको बचाकर रखो; क्योंकि किसी का जीवन उसकी सम्पति की बहुतायत से नहीं होता।”

तब उन्हें समझाने के लिए उन्हें एक दृष्टान्त कहना पड़ा कि एक बार किसी धनवान व्यक्ति की भूमि में बहुत फसल हुई, जिसके बाद वो मन में विचार करने लगा कि अब क्या करूं? क्योंकि मेरे पास तो इतनी जगह नहीं है जहाँ में इसका इस फसल का भंडारण कर सकूँ? सोचते सोचते एक उसने निर्णय लिया कि मैं अपनी पुरानी बखारियों को तोड़कर उनसे बड़ी बखारियां बनाऊंगा और वहां अपना सारा अन्न और सम्पति रखूंगा; फिर अपने प्राण से कहूँगा कि तेरे पास बहुत वर्षों के लिए धन सम्पति है; चैन कर खा, पी और सुख से रह। यही वो विचार है जो कई लोग इस प्रकार सोचते हैं।

परन्तु परमेश्वर ने कहा कि हे मुर्ख! आज ही रात तेरा प्राण तुझसे ले लिया जाएगा, तब जो तूने इकट्ठा किया है वह किसका होगा? ऐसे ही वह व्यक्ति परमेश्वर की दृष्टि में धनी नहीं है जो अपने लिए बिना अनंतकालीन सोच के धन बटोरता है। (Luke 12:13-21) इसलिए याद रखना जरुरी हो जाता है कि जो कुछ भी हमारे पास है, वो हमें सौंपा गया है और हमसे ये आशा की जाती है कि हम विश्वासयोग्य बने रहें।

प्रभु मुझे ज्ञान दीजिए कि मैं धन को कैसे सम्भालूँ, और विश्वासयोग्य बना रहूं जो मुझे सौंपा गया है। मेरी सहायता कीजिये कि मैं अपने व्यक्तिगत जीवन में एक अच्छा उदाहरण बनूँ कि मैं स्वयं का लाभ न देखूँ बल्कि एक अच्छा जीवन जीऊँ, परिश्रम करने वाला बनूँ और लोगों के प्रति उदार हृदय वाला व्यक्ति बनूँ।

अगर आप को और भी जानना है कि हम धन का उपयोग कैसे करें तो Biblical Finance जरूर पढ़ें…

1 Comment

  1. Yogesh Jangam

    God bless you

    Reply

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anandvishwas

Anand Vishwas

आशा है कि यहाँ पर उपलब्ध संसाधन आपकी आत्मिक उन्नति के लिए सहायक उपकरण सिद्ध होंगे। आइए साथ में उस दौड़ को पूरा करें, जिसके लिए प्रभु ने हमें बुलाया है।