प्रार्थना अनंत को छू लेती है। (Prayer Grasps Eternity) यह लेख “आत्म जागृति में देरी क्यों?” (Why Revival Tarries? By Leonard Ravenhill) नामक पुस्तक से लिया गया है। जो लियोनार्ड रेवनहिल द्वारा लिखा गया है। इसमें हम आज प्रार्थना के महत्व को जानेंगे कि प्रार्थना एक मसीही व्यक्ति के लिए कितनी महत्वपूर्ण है। सच में आज जो लोग प्रार्थना नहीं कर रहे हैं वो अपने जीवन तथा परमेश्वर के लोगों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
कोई भी व्यक्ति अपने प्रार्थनामय जीवन से श्रेष्ठ नहीं होता है। जो पासवान प्रार्थना नहीं कर रहा है वह अपने कर्तव्यों से खिलवाड़ कर रहा है; जो लोग प्रार्थना नहीं कर रहे हैं वे यहां वहां भटक रहे हैं। किसी व्यक्तियों की योग्यताओं का प्रदर्शन स्थल मंच बन सकता है; परंतु प्रार्थना की कोठरी में किसी भी प्रकार का प्रदर्शन नहीं है।
आज की कलीसिया कई बातों में कंगाल है, परंतु प्रार्थना के क्षेत्र में वह अति कंगाल है। हमारे पास कई व्यवस्था करने वाले हैं, परंतु विलाप करने वाले बहुत कम हैं, पैसा देने वाले बहुत हैं, परंतु प्रार्थना करने वाले बहुत कम हैं। पासवान बहुत हैं, परंतु प्रार्थना में मल्लयुद्ध करने वाले बहुत कम हैं। डरने वाले बहुत हैं, परंतु आंसू बहाने वाले बहुत कम हैं। फैशन बहुत है, परंतु करुणा बहुत कम है। बाधा डालने वाले बहुत हैं, परंतु योद्धा बहुत कम हैं। इन क्षेत्रों में असफलता का अर्थ है, हम पूर्ण रीति से असफल हैं।
हालाँकि, हमारी प्रार्थना को एक ऐसी ऊर्जा के साथ दबाया और आगे बढ़ाया जाना चाहिए जो कभी थकती नहीं है, एक दृढ़ता जिसे नकारा नहीं जाएगा, और एक ऐसा साहस जो कभी विफल नहीं होता है। – E. M. Bounds
सफल मसीही जीवन के लिए दो बातें अति आवश्यक हैं, और वे हैं दर्शन तथा बोझ। दोनों प्रार्थना में उत्पन्न होते हैं और प्रार्थना में इनका पोषण होता है। वचन की सेवकाई कुछ के लिए है; परंतु प्रार्थना की सेवकाई जो सबसे बड़ी सेवकाई है – सब के लिए है।
आत्मिक अपरिपक्व लोग कहते हैं, “मैं आज रात नहीं जाऊंगा, यह तो केवल प्रार्थना सभा है।” हो सकता है अधिकांश प्रचार से शैतान को बहुत कम डर है, परंतु अपने पिछले अनुभवों के कारण उसको अपनी सारी नारकीय सेना, प्रार्थना करने वाले परमेश्वर के लोगों के विरुद्ध लगानी पड़ती है। आधुनिक मसीही “बांधने और खोलने” के विषय में बहुत कम जानते हैं। जबकि अधिकार हमारे पास है – “जो कुछ तू पृथ्वी पर बांधेगा” क्या आपने कभी यह कार्य किया है? (मती 16:19) परमेश्वर अपनी प्रतिज्ञाओं से पीछे नहीं हटता है; परंतु परमेश्वर के लिए अधिक करने के लिए, हमें परमेश्वर के साथ अधिक रहना पड़ेगा।
जिस तेजी से यह संसार नर्क की ओर जा रहा है उसकी तुलना में हमारा सबसे तेज़ उड़ने वाला वायुयान भी कछुवे के तुल्य है। लेकिन ओह! हम में से बहुत कम को याद होगा कि पिछली बार कब हमने विश्व को हिला देने वाली जागृति के लिए परमेश्वर के सामने ठहर कर अपनी रात की नींद त्यागी थी। क्या हमारा कठोर हृदय विचलित नहीं होता? आधुनिक समय के प्रचार में जिसमें वचन की महान सच्चाइयों का अस्पष्ट भावार्थ है, इसके द्वारा हम, क्रिया को अभिषेक, हिलने डुलने को उत्पति और शोरगुल को जागृति समझने की भूल कर बैठते हैं।
पाप करने वाला व्यक्ति प्रार्थना करना छोड़ देगा, और प्रार्थना करने वाला व्यक्ति पाप करना छोड़ देगा। – लियोनार्ड रेवनहिल
प्रार्थना का रहस्य गुप्त में प्रार्थना करना है। (मती 6:6) पाप करने वाला व्यक्ति प्रार्थना करना छोड़ देगा, और प्रार्थना करने वाला व्यक्ति पाप करना छोड़ देगा। हम भिखारी और दिवालिया हो गए हैं, परंतु हमने टूटना और झुकना नहीं सीखा है। प्रार्थना साधारण है और उसी समय गंभीर भी। “प्रार्थना बातचीत का इतना सरल रूप है, जिसे अपरिपक्व होंठ भी कर सकते हैं।” परंतु इतनी कठोर भी है कि मनुष्य के मस्तिष्क में जो शब्दों का भंडार है उसे खाली कर देती है।
कोठरी में सभी क्षय शुरू होते हैं; परमेश्वर के साथ बहुत गुप्त बातचीत के बिना कोई भी दिल नहीं पनपता, और कुछ भी इसके अभाव में सुधार नहीं कर सकता। -Berridge
प्रार्थना में नियाग्रा जलप्रपात की भांति धुंआधार शब्दों का उपयोग करने का अर्थ नहीं है कि इससे परमेश्वर प्रभावित होता है या कार्य करने के लिए बाध्य हो जाता है। पुराने नियम की एक महान मध्यस्थी प्रार्थना की कोई भाषा नहीं थी – “उसके होंठ तो हिलते थे परंतु उसका शब्द न सुन पड़ता था।” (1 शमूएल 1:13) यहां कोई वाक्य चतुराई नहीं है। यहां ऐसी आँहें हैं जिनका वर्णन नहीं किया जा सकता। (रोमियों 8:26)
क्या हम नए नियम की मसीहत के स्तर से इतने गिर चुके हैं कि हमें अपने पुरखाओं के ऐतिहासिक विश्वास के विषय में नहीं मालूम है? हमें तो केवल हमारे साथियों का उन्माद भरा विश्वास ही मालूम है। जैसे धन व्यापारी के लिए महत्वपूर्ण है वैसे ही प्रार्थना विश्वासी के लिए महत्वपूर्ण है।
जैसे धन व्यापारी के लिए महत्वपूर्ण है वैसे ही प्रार्थना विश्वासी के लिए महत्वपूर्ण है। – लियोनार्ड रेवनहिल
क्या कोई इस बात को नकार सकता है कि आज की आधुनिक कलीसिया की मुख्य चिंता पैसा नहीं है? फिर भी जो पैसे की चिंता आधुनिक कलीसियाओं को खाए जा रही है वह चिंता नए नियम की कलीसिया में नगण्य थी। हमारा जोर पैसे पर है, उनका प्रार्थना पर था। जब हम पैसा देते हैं तो हमें स्थान मिल जाता है, जब वे प्रार्थना करते थे तो स्थान हिल जाता था। (प्रेरितों 4:31)
प्रार्थना मुख्य रूप से उनके जीवन का व्यवसाय था। -Biographer of Edwin Payson
यह सच है कि नए नियम के समान पवित्र आत्मा से प्रेरित नरक को कंपा देने वाली तथा संसार को तोड़ देने वाली प्रार्थना उन दिनों में अधिक लोग करते थे, परंतु आज के समय में बहुत ही कम लोग करते हैं।
ऐसी प्रार्थना के एवज में कुछ नहीं है। इसे हम करें – या मरें।
(Taken from the book, Why Revival Tarries? By Leonard Ravenhill)
मुझे लगता है कि आप प्रार्थना के महत्व को समझ गए होंगे। मुझे विश्वास है कि इन डांट भरी बातों ने आपको नम्रता के साथ पश्चाताप के लिए प्रेरित किया होगा। यह गंभीर विषय है जिसके प्रति आज हम सबको गंभीर होने की आवश्यकता है। आइए हम प्रभु के समीप जाएं और कहें, प्रभु आप हमारी भी सहायता करें ताकि हम प्रार्थना की गंभीरता और जरूरत को समझ सकें और निरंतर आपसे प्रार्थना में लिपटे रहें।