क्यों एक मसीही को स्वर्गीय वस्तुओं पर अपना मन लगाना चाहिए?
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स्वर्गीय विचारों के लिए प्रेरणा। (Set Your Mind on Things Above) क्यों एक मसीही को स्वर्गीय वस्तुओं पर अपना मन लगाना चाहिए? मसीही होने के नाते हमारे विचार और अभिलाषाएं बहुत महत्व रखती हैं। ये हमारे जीवन के बारे में सब कुछ बयां कर देती है। जैसा कि यीशु ने कहा, “जहां तुम्हारा धन होगा, तुम्हारा मन भी वहीं होगा।” (मती 6:21) अर्थात जो चीजें हमारे लिए महत्वपूर्ण होंगी हमारा सारा ध्यान, मन उधर ही होगा। यदि परमेश्वर का राज्य हमारे लिए महत्वपूर्ण है तो हम अपने जीवन में परमेश्वर के राज्य को ही प्राथमिकता देंगे। यदि परमेश्वर का राज्य हमारे लिए महत्वपूर्ण है तो परमेश्वर की राज्य की उन्नति के लिए प्रयासरत रहेंगे।
यीशु ने हमें पहले ही बता दिया है कि हमें किसकी खोज करना है? जी हाँ, परमेश्वर चाहता है कि हम उसके राज्य और धार्मिकता की खोज में रहें। हम अपने मन को परमेश्वर के राज्य और धार्मिकता पर लगाएं। हम उन वस्तुओं की खोज में न रहें जो नश्वर हैं बल्कि हम उन वस्तुओं की खोज करें या उन पर मन लगाएं जिनका मूल्य अनंत हैं। (लूका 12:22-31)
अत: जब तुम मसीह के साथ जिलाए गए, तो स्वर्गीय वस्तुओं की खोज में रहो, जहाँ मसीह विद्यमान है और परमेश्वर के दाहिनी ओर बैठा है। पृथ्वी पर की नहीं परन्तु स्वर्गीय वस्तुओं पर ध्यान लगाओ, क्योंकि तुम तो मर गए और तुम्हारा जीवन मसीह के साथ परमेश्वर में छिपा हुआ है। जब मसीह जो हमारा जीवन है, प्रगट होगा, तब तुम भी उसके साथ महिमा सहित प्रगट किए जाओगे। – कुलुस्सियों 3:1-4 HINOVBSI
इस लेखांश (कुलुस्सियों 3:1-4) के द्वारा पौलुस चाहता है कि कुलुस्सियों के विश्वासी यह समझें कि उनके विचार महत्व रखते हैं। पौलुस चाहता है कि वे इस बात को पहचानने के लिए थोड़ा रुकें और जांच करें कि वह क्या है जिसके बारे में वे सोचते हैं और अभिलाषा करते हैं। उनका ध्यान किन बातों में है? वो किन चीजों को खोजते रहते हैं? क्या जो वे खोज रहे हैं उस असलियत के साथ मेल खाता है, जो प्रभु ने उनके लिए किया है? क्या वे इस असलियत को जानते हैं कि वे इस वक्त कहां पर हैं? या क्या वे इस बात को जानते हैं कि वे कहां जा रहे हैं?
यह लेखांश आज हमें सिखाता है कि विश्वासी होने के नाते हमारा मसीह के साथ मिलाप एक भूतकाल, वर्तमान और भविष्य की सच्चाई है, जिसे हमारे विचारों और उसके प्रति लगाव को निर्धारित करना चाहिए। (कुलुस्सियों 3:3-4) मसीह के साथ हमारे मिलाप से हमें प्रोत्साहित होना चाहिए कि हम अपने हृदय और मनों को स्वर्गीय बातों पर लगाएं ना कि पृथ्वी की बातों पर। हम ये देखेंगे कि क्यों एक मसीही को स्वर्गीय वस्तुओं पर अपना मन लगाना चाहिए? सबसे पहले हम देखते हैं कि विश्वासी का मसीह के साथ मिलाप एक भूतकाल सच्चाई है।
क्योंकि विश्वासी का मसीह के साथ मिलाप एक भूतकाल सच्चाई है।
पौलुस कुलुस्सियों के विश्वासों को चाहता है कि वे याद रखें कि वे मसीह के साथ संसार की आदि शिक्षा की ओर से मर चुके हैं। (कुलुस्सियों 2:20, 3:3) अब उन्हें सांसारिक लोगों की तरह अपना जीवन व्यतीत नहीं करना चाहिए, जैसे कि यह न छूना, उसे न चखना, उसे हाथ नहीं लगाना इत्यादि। ये वस्तुएं तो काम में लाते लाते इसलिए नष्ट हो जाएंगी क्योंकि ये मनुष्यों की आज्ञाओं और शिक्षाओं के अनुसार हैं। पौलुस आगे बताता है कि इन विधियों में अपनी इच्छा के अनुसार गढ़ी हुई भक्ति की रीति, आत्म-हीनता और शारीरिक योगाभ्यास के भाव से ज्ञान का नाम तो है, परंतु शारीरिक लालसाओं को रोकने में इनसे कुछ भी लाभ नहीं होता है। (कुलुस्सियों 2:20-23)
जब मसीह मरा तो परमेश्वर ने मनुष्य के पुराने पापपूर्ण स्वभाव को उसके साथ मरा हुआ गिना। मसीह में विश्वासी की मृत्यु, उसके पुराने स्वभाव की मृत्यु है। पुराने तरीकों और पुराने पापपूर्ण जीवन की मृत्यु में मसीह के साथ मिलाप विश्वासियों के लिए एक भूतकाल सच्चाई है। अर्थात यह कार्य हो चुका है। (कुलुस्सियों 3:10-12)
पौलुस यह भी चाहता है कि वे जाने कि वे मसीह के साथ जिलाए गए हैं। (कुलुस्सियों 3:1) यह एक दूसरी भूतकाल की घटना है। यह उनके नए जीवन से संबंधित है जो उनको उसके पुनरुत्थान के जीवन के कारण प्रभु यीशु मसीह में दिया गया है। अब विश्वासी आगे को उसके पापों में नहीं मरा है बल्कि एक नए जीवन के लिए जिलाया गया है। मसीह की मृत्यु और पुनरुत्थान उन सबको जो यीशु के ऊपर विश्वास करते हैं यह वायदा देती है कि पुरानी बातें मर चुकी हैं, वे अब नई हो गई हैं। (2 कुरिंथियों 5:17) उसके बाद हम देखते हैं कि क्यों एक मसीही को स्वर्गीय वस्तुओं पर अपना मन लगाना चाहिए?
क्योंकि विश्वासी का मसीह के साथ मिलाप एक वर्तमान सच्चाई है।
पौलुस उन्हें पूरी तरह से प्रोत्साहित करते हुए बताता है कि अब विश्वासी का जीवन मसीह में छिपा हुआ है। (कुलुस्सियों 3:3) इस समय मसीह उनका जीवन है। मसीही व्यक्ति अभी मसीह के साथ परमेश्वर के दाहिने बैठा है। पौलुस इस बात को कुरिंथ की कलीसिया को भी उत्साहित करने के लिए कहता है कि यीशु देह अर्थात कलीसिया का सिर है और हम सब उसकी देह के अंग हैं। अर्थात अब हमें उसके अधीन होकर चलना है। अब हमें ये याद रखना चाहिए कि हम उसमें जोड़े गए हैं। यही सत्य पौलुस इफिसियों की कलीसिया से भी कहता है कि वे स्वर्गीय स्थानों में मसीह के साथ बिठाए गए हैं।
इसलिए पौलुस उनके लिए यह प्रार्थना भी करता है कि परमेश्वर पिता उन्हें इस बात को समझने के लिए ज्ञान और प्रकाश की आत्मा दे। उनकी मन की आंखें (आत्मिक आंखें) ज्योतिर्मय हों। वे जान लें कि उनको किस बुलाहट से बुलाया गया है। वे इस बात को जान लें कि पवित्र लोगों के साथ कैसे वो मीरास के भागी बन गए हैं। पौलुस इस बात के लिए भी प्रार्थना करते हैं कि मसीही लोग परमेश्वर के महान कार्य को भी देखें जो उन्होंने मसीह में सब विश्वासियों के लिए किया है अर्थात उन्हें भी मसीह के साथ जिलाया गया और अपने साथ स्वर्गीय स्थानों में सभी अधिकारों के ऊपर बिठाया है। (इफिसियों 1:15-23)
हम सारे विश्वासियों के लिए यह एक आश्चर्यजनक सच्चाई है कि अब हमारा जीवन मसीह में है। पौलुस चाहता है कि वे समझें कि पुरानी बातें बीत गई है और नई हो गई हैं। अब परमेश्वर सिर्फ उसे देखता है जो नया बनाया गया है। जब परमेश्वर एक विश्वासी को देखता है तो वह यीशु को देखता है। अंत में क्यों एक मसीही को स्वर्गीय वस्तुओं पर अपना मन लगाना चाहिए?
क्योंकि विश्वासी का मसीह के साथ मिलाप एक भविष्यकाल की सच्चाई है।
जब मसीह प्रकट होगा तब एक विश्वासी को भी महिमा सहित मसीह के साथ प्रकट किया जाएगा। (कुलुस्सियों 3:4) पौलुस चाहता है कि विश्वासी ये समझे कि उनके भविष्य में क्या होने वाला है। विश्वासी होने के नाते वे मसीह की महिमा को साझा करेंगे। वे उसके साथ होंगे, जब वह महिमा में वापस आएगा। इसलिए विश्वासियों का जीवन अभी चाहे कितना भी मुश्किल या कठिन क्यों ना हो लेकिन उनका भविष्य आनंदमय होगा। यह संसार परमेश्वर की संतान का केंद्र नहीं होना चाहिए क्योंकि उसकी नागरिकता इस संसार की नहीं, बल्कि स्वर्ग की है। विश्वासी एक दिन बदल जाएंगे कि यीशु के जैसे बन जाएं। (फिलिप्पियों 3:20)
इसलिए विश्वासियों को अपने विचारों और लगाव या इच्छाओं को मसीह और उसके राज्य की बातों में लगाना चाहिए ना कि पृथ्वी की बातों पर। पौलुस ने ये शब्द इसलिए लिखे क्योंकि वह चाहता था कि कुलुस्से के लोग इस बात को जाने कि परमेश्वर एक विश्वासी के विचारों और अभिलाषाओं की चिंता करता है। पौलुस ने इन विश्वासियों को तीन कारण दिए हैं कि क्यों उनके पास मसीह केंद्रित विचार और अभिलाषा होनी चाहिए।
पौलुस उसने याद दिलाता है कि ये ही तीन सच्चाईयां हैं जो उनको मसीह और उसके राज्य और उसके प्रभुत्वसंपन्न शासन और उसके अधिकार पर रहने के योग्य बनाती हैं। ये वे सुंदर सच्चाईयां हैं जिनका मूल्य अनंत है। पौलुस उन्हें याद दिलाता है कि जो लोग मसीह के साथ मिल चुके हैं, उनके लिए ये सांसारिक विचार और चिंताएं और अभिलाषाएं उनके जीवन की विशेषताएं नहीं हैं। क्योंकि वे तो मसीह के साथ स्वर्गीय स्थानों में विद्यमान हैं।
तब परमेश्वर की शान्ति, जो सारी समझ से परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरिक्षत रखेगी। – फिलिप्पियों 4:7 HINOVBSI
बहुत बार हमारे लिए यह आसान हो जाता है कि हम दिन भर अपने बच्चों, नौकरी या अपने आर्थिक विषयों के विचारों को अपने मन में रुका रहने दें। चिंता और भय हमारे विचारों पर राज्य करना शुरू कर सकते हैं। या फिर हम टीवी के कार्यक्रम को देखना चुन सकते हैं, या फिर पूरा दिन स्मार्टफोन पर, जो कि हमारी आत्मिक बढ़ोतरी नहीं करते हैं बल्कि हमारे अशुद्ध और सांसारिक विचारों और अभिलाषाओं का मनोरंजन करता है।
पौलुस हमें बताता है कि मसीह के साथ हम भी सांसारिक शिक्षाओं के लिए मर चुके हैं। (कुलुस्सियों 2:16-23) अब हमें सांसारिक व्यवहार और पुराने जीवन की विशेषताओं को अपने जीवन से उतार फेंकना है और मसीह के साथ हमारे नए जीवन में निरंतर नए स्वभाव और व्यवहार को पहन लेना है। (कुलुस्सियों 3:5-17)
सारांश
अब यह हमारे लिए व्यावहारिक हो जाता है। परमेश्वर चाहता है कि हम इस बिंदु पर अपने विचारों और अभिलाषाओं के प्रति सतर्क रहें। वह चाहता है कि हम तुरंत ही इस बात पर ध्यान केंद्रित करें कि हम एक नई सृष्टि हैं। पुरानी बातें बीत गई हैं। हमारा जीवन मसीह में छुपा हुआ है और अब मसीह ही हमारा जीवन है। यीशु को जीवित और शासन करने वाले के रूप में, हमारे मन को उस पर लगाना हमें आशा देता है और परमेश्वर भरोसा करने के लिए बुलाता है ना की चिंता करने के लिए। इस बात से हमें अब उत्साहित होना चाहिए और अपने मन को मसीह पर लगाना चाहिए जो कि शुद्ध और पवित्र है।
परमेश्वर चाहता है कि उसकी संतान यह ध्यान में रखे कि वे किन चीजों के बारे में सोचते हैं और अपने मन को किन बातों पर लगाते हैं। यह परमेश्वर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अपने आप को जांचें कि आज आपका मन कहां पर लगा रहता है? क्या आपका मन अभी भी उन चीजों पर जाता है जो कि अशुद्ध और अपवित्र हैं? प्रभु से मांगे कि आप को दिखाएं कि आप अपने मन को किन बातों पर लगाते आ रहे हैं।
यदि आप परमेश्वर की संतान हैं तो आप नए बनाए गए हैं। उसने अपना जीवन आपको दिया है। एक दिन आप उसकी महिमा को साझा करेंगे। प्रार्थना करें और परमेश्वर की ओर देखने के लिए बल मांगे और सहायता मांगें उस वक्त जब आपके विचार और अभिलाषाएं सांसारिक होना शुरू कर देती हैं। परमेश्वर से मांगे अब ये सच्चाईयां आपके लिए अनमोल और जीवन बदलने वाली बन जाएं।
शालोम