प्रार्थना कैसे करें? (How to Pray?)

प्रार्थना कैसे करें? (How to Pray?)

Posted by Anand Vishwas

October 24, 2020

प्रार्थना कैसे करें? (How to Pray?) (Matthew 6:5-15) यदि हम वचन में देखें तो प्रार्थना मसीही जीवन का एक दैनिक कार्यकलाप है। तभी प्रभु यीशु ने कहा कि जब तू प्रार्थना करे तो कपटियों के जैसे प्रार्थना न करना। अब सवाल ये भी उठता है कि कपटी लोग प्रार्थना कैसे करते हैं?

इसका जवाब में प्रभु ने आगे कहा कि…. कपटी लोगों को दिखावा करना अच्छा लगता है। ऐसे लोग आराधनालयों या सड़कों पर भी प्रदर्शन करने से नहीं चूकते हैं।

कपट का मतलब है, एक दोहरा या दोरंगी जीवन। ऐसा जीवन जो वास्तविकता में होता कुछ और है और दिखता कुछ और है।

यीशु मसीह ने शास्त्रियों और फरीसियों को इस कारण ताड़ना भी दिया क्योंकि वो भी एक दोहरा जीवन जीते थे। वे लोगों को अपना जीवन ऐसा दिखाते थे जैसे कि वे काफी पवित्र और धर्मी हैं, जबकि वास्तव में ऐसा तो था ही नहीं।

प्रार्थना करते वक्त ध्यान रखें?

प्रभु यीशु ने बताया कि प्रार्थना, दान, उपवास ये गुप्त में ही होने चाहिए अर्थात जब हम प्रार्थना करें तो गुप्त में प्रार्थना करें, सड़कों या आराधनालयों में प्रदर्शन करने की जरूरत नहीं है। दान दें तो गुप्त में दें, और उपवास करें तो ढिंढोरा पीटते न रहें।

प्रार्थना गुप्त में करें।

प्रभु यीशु ने आगे कहा कि जब तू प्रार्थना करे तो कोठरी में जा और दरवाजा बंद करके अपने स्वर्गीय पिता से प्रार्थना करें जो गुप्त में भी देखता है और प्रतिफल देता है।

बक बक न करें।

प्रभु यीशु ने जो दूसरी बात कही कि जब हम प्रार्थना करें तो ज्यादा बक बक करने की भी आवश्कता नहीं है। ऐसा नहीं है कि जितना हम ज्यादा लंबी प्रार्थना करेंगे उतनी जल्दी प्रार्थना सुनी जाएगी।

क्योंकि कुछ लोग हैं जो समझते हैं कि ज्यादा बोलने से प्रार्थना सुनी जाएगी। इसलिए प्रभु यीशु ने अपने अनुयायियों को पहले ही हिदायत दे दी है कि तुम उनके समान न बनों।

प्रार्थना कैसे करें? (How to Pray?)
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प्रार्थना करते वक्त ये स्मरण रखें कि परमेश्वर आपकी जरूरतों को जानता है।

प्रभु यीशु ने कहा कि तुम्हारा स्वर्गीय पिता मांगने से पहले ही जानता है कि तुम्हें क्या क्या आवश्कता है? इसलिए प्रभु ने अपने अनुयायियों को कहा कि वे इस प्रकार से प्रार्थना करें…

“हे हमारे पिता , तू जो स्वर्ग में है; तेरा नाम पवित्र माना जाए। ‘तेरा राज्य आए। तेरी इच्छा जैसी स्वर्ग में पूरी होती है, वैसे पृथ्वी पर भी हो। ‘हमारी दिन भर की रोटी आज हमें दे। ‘और जिस प्रकार हम ने अपने अपराधियों को क्षमा किया है, वैसे ही तू भी हमारे अपराधों को क्षमा कर। ‘और हमें परीक्षा में न ला, परन्तु बुराई से बचा; क्योंकि राज्य और पराक्रम और महिमा सदा तेरे ही हैं।” आमीन। मत्ती 6:9‭-‬13 HINDI-BSI

पहले क्षमा करें।

प्रभु यीशु ने कहा कि जब भी हम प्रभु के निकट प्रार्थना करने को जाएं तो अपने भाई से पहले ही सुलह कर लें। यदि किसी ने हमारे विरूद्ध कोई अपराध भी किया हो तो उसे भी क्षमा कर लें, नहीं तो हम भी क्षमा की उम्मीद न रखें। (मती 6:14-15)

आइए हम इसे तलवार विधि से देखें….

तलवार विधि

तलवार विधि से बाइबल अध्ययन कैसे करें? (Sword Method)

इस लेखांश में हम परमेश्वर के बारे में क्या सीखते हैं?

  • परमेश्वर गुप्त में भी देखता है।
  • परमेश्वर प्रतिफल देता है।
  • परमेश्वर मांगने से पहले ही हमारी आवश्यकताओं को जानता है।
  • परमेश्वर हमारा स्वर्गीय पिता है।
  • परमेश्वर पवित्र है।
  • परमेश्वर स्वर्ग और पृथ्वी का मालिक है।
  • परमेश्वर हमारी दैनिक जरूरतों की पूर्ति करता है।
  • परमेश्वर क्षमा करने वाला है।
  • परमेश्वर सुरक्षा देने वाला है।
  • राज्य, पराक्रम और महिमा परमेश्वर के ही हैं।

इस लेखांश में हम मनुष्य के बारे में क्या सीखते हैं?

  • मनुष्य कपट यानि दिखावा भी करता है।
  • मनुष्य को दिखावा करना अच्छा लगता है।
  • मनुष्य सोचता है कि मैं जितना ज्यादा शब्द प्रार्थना में इस्तेमाल करूंगा, उतनी जल्दी मेरी प्रार्थना सुनी जाएगी।
  • मनुष्य जैसा अपने लिए चाहता है उसे दूसरे के साथ भी वैसा व्यवहार करने की जरूरत है।

क्या इस लेखांश में किसी पाप का जिक्र है जिसे हमें त्यागने की आवश्यकता है?

  • कपट करना या दिखावा करना भी पाप है।
  • बक बक करना भी अच्छा नहीं है, अर्थात ये सोचकर प्रार्थना में ज्यादा शब्दों का इस्तेमाल करना कि मैं जितना अधिक बोलूंगा उतना मेरी प्रार्थना सुनी जाएगी।

क्या इस लेखांश में कोई आज्ञा या उदाहरण है जिसे हमें अपने जीवन में लागू करना चाहिए?

  • प्रार्थना हमारा दैनिक कार्यकलाप होना चाहिए।
  • हमें गुप्त में प्रार्थना करनी चाहिए।
  • बक बक नहीं करना चाहिए।
  • हमें प्रभु यीशु द्वारा प्रार्थना करने के नमूने के अनुसार प्रार्थना करना चाहिए। मती 6:9-13 क्योंकि उसमें सारी आपूर्ति पाई जाती है।

कुछ जरूरी बातें।

प्रार्थना क्या है? – परमेश्वर के साथ बातचीत।
हम प्रार्थना क्यों करें? (मती 6:13) परमेश्वर की इच्छा पूरी होने के लिए। परमेश्वर हमारी सुनता है।
प्रार्थना कैसे करें?केवल परमेश्वर से बातचीत करते हुए।
प्रतिदिन की रोटी आज हमें दे – दैनिक जरूरतों के लिए प्रार्थना करें।
हमारे अपराधों को क्षमा कर – माफी के लिए प्रार्थना करें।
हमें बुराई से बचा – सुरक्षा के लिए प्रार्थना करें।

अभी तक हमने प्रार्थना के बारे बहुत सी बातें देख ली हैं। कि क्यों, कैसे और क्या प्रार्थना करें? ये विषय इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि प्रार्थना मसीही जीवन में परमेश्वर के साथ घनिष्ठता में बढ़ने के लिए एक उपयोगी उपकरण है।

जब भी आप प्रार्थना करें तो इन बातों को हमेशा ध्यान में रखें जो प्रभु यीशु ने प्रार्थना के विषय में हमें सिखाई हैं।

शालोम।

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