मसीह में मेरी पहचान क्या है? (Who Am I In Christ?)

What is my identity in Christ?

मसीह में मेरी पहचान क्या है? (Who Am I In Christ? What is my identity in Christ?) मसीह में मेरे प्रिय, मैं आशा करता हूँ कि आप मसीही जीवन का आनंद ले रहे होंगे, क्योंकि यह जिंदा परमेश्वर के साथ एक निरंतर बढ़ने वाला संबंध है। पर मसीही जीवन में यह भी बहुत महत्वपूर्ण है, कि मुझे (हर एक विश्वासी को) व्यक्तिगत रूप से अपनी पहचान मालूम हो कि मैं मसीह में कौन हूँ?

पिछले लेख में हमने देखा कि प्रभु यीशु मसीह इस धरती पर क्यों आया? यह जानना हमारे मसीही जीवन के लिए अति महत्वपूर्ण है कि वह वचन को पूरा करने के लिए आया, लोगों को बचाने के लिए आया, सुसमाचार को सुनाने के लिए आया, खोए हुए को ढूंढने और उनका उद्धार करने के लिए आया, परमेश्वर की इच्छा को पूरी करने के लिए आया, न्याय करने के लिए आया, हमें बहुतायत का जीवन देने के लिए आया, पूरी दुनियां को बचाने के लिए आया, शैतान के कामों को नाश करने के लिए आया, और सत्य को प्रमाणित करने के लिए आया।

मसीह में मेरी पहचान क्या है? (Who Am I In Christ? What is my identity in Christ?)

अब हम जानेंगे कि अगर यीशु इन कारणों से आया, जिसमें कि मेरा व्यक्तिगत जीवन प्रभावित होता है, तो अब मेरे लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि अब मैं मसीह में क्या हूँ? मैं मसीह में कौन हूँ? या मसीह में मेरी क्या पहचान है? मेरी जिम्मेदारी क्या है? आज जब हम इस दुनियां में देखते हैं कि हर कोई अपनी पहचान को कायम करने में लगा हुआ है।

मेरे प्रिय, मैं आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि आपको अपनी पहचान को कायम करने के लिए कुछ करने की जरूरत नहीं है, सिर्फ विश्वास करने की जरूरत है; क्योंकि परमेश्वर ने आपकी पहचान के लिए बहुत कुछ किया है आइए आज इसी विषय में जाने।

आइए पवित्रशास्त्र बाइबल के वचनों से जाने कि मैं मसीह में कौन हूँ? (Who Am I In Christ?) क्योंकि आप जानते ही हैं कि पवित्रशास्त्र हमारे लिए परमेश्वर का प्रेम पत्र है।

मैं मसीह में परमेश्वर की संतान हूँ।

जब हम मसीह में मेरी पहचान (Identity In Christ) के बारे में बात कर रहे हैं तो मुझे (हर एक विश्वासी को) ये मालूम होना चाहिए कि मैं मसीह में परमेश्वर की संतान हूँ। पवित्रशास्त्र बाइबल यूहन्ना 1:12-13 हमें बताता है कि जितनों ने प्रभु यीशु को ग्रहण किया, उन्हें परमेश्वर की संतान होने का अधिकार दिया गया है, अर्थात उनको जो यीशु के नाम पर विश्वास रखते हैं, वे अब परमेश्वर से उत्पन्न हुए हैं। वचन हमें स्पष्ट रीति से बताता है कि जितनों ने भी, याद रखिए यहां लिखा है “जितनों ने भी।”

यहां कोई पदवी नहीं है ना कोई सीमा, राष्ट्रीयता या जाति विशेषता की कोई बाधा। हम सभी परमेश्वर की संतान है मसीह में, क्योंकि जितनों ने उसको यानी प्रभु यीशु मसीह को ग्रहण किया वे सब परमेश्वर की संतान हो गए हैं।

इसी प्रकार गलातियों 3:26 भी हमें यही बताता है, हम सब उस विश्वास के द्वारा जो मसीह यीशु पर है, परमेश्वर की संतान हैं। और 28 आयत भी हमें बताती है कि अब हम सब मसीह यीशु में एक हैं। परमेश्वर ने हमें जगत की उत्पत्ति से पहले उसमें चुन लिया ताकि हम प्रेम में पवित्र और निर्दोष हों, और यीशु मसीह के द्वारा हम उसके लिए लेपालक पुत्र हों। (इफिसियों 1:4-5)

जी हां, परमेश्वर ने जगत की उत्पत्ति से पहले ही हमें चुन लिया है ताकि हम पवित्र और निर्दोष बने रहें और उसकी पुत्र के रूप में जीएं। 1 यूहन्ना 3:1 भी हमें इस प्रकार बताता है कि परमेश्वर पिता ने हमसे प्रेम किया है। बेशक आज आपको संसार नहीं जानता होगा पर आप तो परमेश्वर की अनमोल रचना हैं। संसार आपको इसलिए भी नहीं पहचानता है क्योंकि संसार ने प्रभु को भी नहीं पहचाना।

कितनी हिम्मत मिलती है न! जब हमें मालूम होता है कि मैं परमेश्वर की संतान हूँ। आप उसी परमेश्वर की संतान है जिसने इस सृष्टि को रचाया और आपको अपनी समानता और अपने स्वरूप में बनाया है।

मैं मसीह में नई सृष्टि हूँ।

जब कोई व्यक्ति यीशु मसीह को अपने परमेश्वर और उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार करता है, तो वह आत्मिक परिवर्तन से गुजरता है। इस परिवर्तन को “नई सृष्टि” बनना या “फिर से जन्म लेना” कहा जाता है। (2 कुरिन्थियों 5:17) यह पुराने स्वभाव को, जो पाप और परमेश्वर से अलगाव की विशेषता है, से एक नए स्वभाव में बदलाव का प्रतीक है। जो क्रूस पर यीशु के बलिदान के माध्यम से परमेश्वर के साथ संभव है।

मैं मसीह में क्षमा किया गया या छुड़ाया हुआ हूँ।

मसीह में मेरी पहचान (Identity In Christ) में मुझे ये भी मालूम होना चाहिए कि मैं मसीह में क्षमा किया गया या छुड़ाया हुआ हूँ। आप प्रभु यीशु के लहू के द्वारा छुड़ाए गए हैं। (यशायाह 52:3) “छुड़ाया गया” शब्द का इस्तेमाल एक दास को वापस खरीदने के लिए किया जाता था – एक कैदी जिसे दाम देकर मुक्त किया जाता था। परमेश्वर का वचन हमें स्पष्ट रीति से बताता है कि उसने हमारे अपराधों को हमसे दूर किया अर्थात हमें क्षमा किया है, और हमें पाप और श्राप से छुड़ाया गया है। अगर ऐसा है तो रोमियों 5:1 हमें बताता है, कि “हम विश्वास से धर्मी ठहरे इसलिए अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें।”

रोमियों की पत्री में 8:1 हमें बताता है अब जो मसीह यीशु में है उन पर दंड की आज्ञा नहीं, क्योंकि वे शरीर के मुताबिक नहीं वरन आत्मा के मुताबिक चलते हैं। यानी कि शरीर के मुताबिक चलने वालों के लिए अभी भी दंड का प्रावधान है, जब तक कि वे प्रभु यीशु मसीह के ऊपर विश्वास न कर लें। इफिसियों में पौलुस हमें बताता है कि हमको प्रभु यीशु के लहू से छुटकारा अर्थात अपराधों की क्षमा उसके उस अनुग्रह के धन के अनुसार मिला है। (इफिसियों 1:7)

प्रभु यीशु का महान बलिदान हमें फिर से परमेश्वर के सम्मुख आने का हियाव देता है। क्योंकि हम तो ईश्वर रहित हो गए थे। पर खुशखबरी यह है कि तुम जो पहले दूर थे मसीह के लहू के द्वारा निकट हो गए हो। (इफिसियों 2:12-13) आज जो प्रभु ने हमें अपने निकट बुलाया है इसके लिए प्रभु यीशु मसीह ने एक महान कीमत चुकाई है। क्योंकि वह पवित्र था उसने हमारे ही पापों को अपने ऊपर ले लिया ताकि हम उसमें धर्मी बन जाएं। (2 कुरिन्थियों 5:21)

हमारा निकम्मा चालचलन तो हमारे बाप दादा से चला आ रहा था क्योंकि वे भी उस सच्चे परमेश्वर से दूर हो गए थे जिसने उन्हें बनाया था, जो उनसे भी प्यार करता था। उन्होंने अपने हाथों के कामों द्वारा परमेश्वर की विरुद्ध कार्य किया, परमेश्वर के साथ विश्वासघात किया। हमारे पापों से छुटकारा नाशवान चीजों से नहीं हो सकता था इसके लिए निष्कलंक मेम्ने अर्थात प्रभु यीशु मसीह के बहुमूल्य लहू को बहना था कि हम पाप की दासता से छुड़ाए जाएं। (1 पतरस 1:18-19)

मैं मसीह में चुना हुआ हूँ।

वचन मुझे मसीह में मेरी पहचान (Identity In Christ) के बारे में ये भी बताता है कि मैं मसीह में चुना हुआ हूँ। परमेश्वर का वचन हमें स्पष्ट रीति से यह बताता है कि हमें परमेश्वर ने चुना है। इसलिए मैं कह सकता हूँ कि मैं परमेश्वर में चुना गया हूँ। उसने ना सिर्फ मुझे चुना बल्कि मुझे जिम्मेदारी देकर नियुक्त भी किया है कि मैं अपने जीवन के द्वारा फल लाऊं और उस परमेश्वर की महिमा करूँ, जिसके लिए कि उसने मुझे बनाया हुआ है। (यूहन्ना 15:16, इफिसियों 1:4)

परमेश्वर ने हमें चुनने के लिए संसार का पैमाना इस्तेमाल नहीं किया, क्योंकि आप जानते हैं कि संसार में उन्हीं लोगों को तवज्जो दी जाती है जो कि कुछ गुणवान हैं, रूपवान हैं, बुद्धिमान हैं। परंतु परमेश्वर का पैमाना संसार से अलग है। वचन हमें बताता है कि परमेश्‍वर ने संसार के मूर्खों को चुन लिया है। (1 कुरिन्थियों 1:27)

हमारे पास घमंड करने का कोई अवसर नहीं है। हमें तो परमेश्वर को सिर्फ धन्यवाद का बलिदान चढ़ाना है कि उसने हमें चुना है, जिसके हम योग्य नहीं थे। परमेश्वर ने हमें इसलिए चुना है कि हम सत्य पर विश्वास करें और उद्धार को प्राप्त करें। (2 थिस्सलुनीकियों 2:13)

प्रभु यीशु हमें उत्साहित करते हुए कहते हैं कि भले ही संसार हमसे प्रेम न करे, हमें निराश होने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि खुश होने की आवश्यकता है क्योंकि हम संसार के नहीं हैं और प्रभु ने हमें संसार में से चुन लिया है। (यूहन्ना 15:19) जैसा कि हमने परमेश्वर के वचन में पढ़ा है कि परमेश्वर ने हमें चुना और नियुक्त किया है।

यानी कि हमारे पास कुछ जिम्मेदारियां हैं, कुछ कार्य हैं जो हमें करने हैं और जिन्हें पहले से ही परमेश्वर ने हमारे करने के लिए तैयार किया है इस विषय में पतरस की पत्री में हम पाते हैं कि हम एक चुना हुआ वंश है, राज-पदधारी याजकों का समाज हैं और पवित्र लोग हैं और परमेश्‍वर की निज प्रजा हैं, जिसने हमें अन्धकार में से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है, ताकि हम उसके गुण प्रगट करें। (1 पतरस 2:9)

चुनाव हमेशा एक उद्देश्य के साथ होता है, परमेश्वर ने भी हमारे चुनाव को एक उद्देश्य के निमित्त किया है, पुराना नियम में हम पाते हैं कि परमेश्वर ने याजकों को मंदिर में सेवा टहल करने के लिए, प्रार्थना करने के लिए, लोगों की सेवा करने के लिए नियुक्त किया था। उन्हें अपने आप को पवित्र करना था और जो जिम्मेदारियां उनको दी गई थी उन्हें समय पर पूरा करना था। परमेश्वर ही उनका भाग था।

इसी प्रकार यदि परमेश्वर हमें याजकों का समाज कहता है तो हमारी भी जिम्मेदारी है कि हम लोगों का परमेश्वर के साथ मेल मिलाप करें, लोगों के लिए प्रार्थना करें, बलिदान तो स्वयं प्रभु यीशु मसीह ने दे दिया है। अगली बात जो पतरस में हम पाते हैं वह है पवित्र लोग, परमेश्वर की निज प्रजा।

हम उस लहू के द्वारा पवित्र किए गए हैं जो हमारे लिए, पूरी मानव जाति के लिए बहाया गया है। हम तो ईश्वररहित हो गए थे और अंधकार में चले गए थे। परमेश्वर ने हमें अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है ताकि हम उसके गुणों को प्रकट करें। याद रखिए ज्योति का काम है अंधकार को दूर करना।

बहुत से लोग आज अंधकार में है, परमेश्वर से दूर है। आज यह हमारी जिम्मेदारी बनती है कि हम उन लोगों का परमेश्वर के साथ मेल मिलाप करें। लोगों को परमेश्वर के समीप लाएं, ताकि वे भी ज्योति में आएं। आइए हम मिलकर उस ज्योति के गुणों को अपने जीवन से प्रकट करें।

मैं मसीह में आशीषित हूँ।

वचन मुझे मसीह में मेरी पहचान (Identity In Christ) के बारे में ये भी बताता है कि मसीह में मैं आशीषित हूँ। मैं आशीषित हूँ क्योंकि यीशु मसीह मेरे लिए श्रापित बना। उसने मेरे पापों को ले लिया और मुझे हर एक व्यवस्था के श्राप से आज़ाद किया और आशीष का वारिस बनने के लिए मुझे चुन लिया। परमेश्वर के वचन के अनुसार हमें मसीह में स्वर्गीय स्थानों में सब प्रकार की आत्मिक आशीष दी गई है। (इफिसियों 1:3)

उसने हमें अपनी ही महिमा और सदगुण के अनुसार बुलाया है जिसके द्वारा उसने हमें बहुमूल्य प्रतिज्ञाएँ दी हैं ताकि हम बुरी अभिलाषाओं से होने वाली सड़ाहट से मुक्त होकर ईश्‍वरीय स्वभाव के समभागी हो जाएँ। (2 पतरस 1:3‭-‬4) आप मसीह में धन्य हैं। (मती 5:1-11)

मैं मसीह में परमेश्वर का मंदिर हूँ।

वचन मुझे मसीह में मेरी पहचान (Identity In Christ) के बारे में ये भी बताता है कि मैं मसीह में परमेश्वर का मंदिर हूँ। हमें अपने शरीर को, अपने विचारों को, शुद्ध करने की आवश्यकता है क्योंकि हम जीवते परमेश्वर के मंदिर हैं। (1 कुरिन्थियों 3:16‭-‬17) परमेश्वर ने वादा किया है कि वो हममें बसेगा, हममें चला फिरा करेगा, वो हमारा परमेश्वर होगा और हम उसके लोग होंगे। (2 कुरिन्थियों 6:16)

मैं मसीह में भले कामों के लिए रचा गया हूँ।

वचन मुझे मसीह में मेरी पहचान (Identity In Christ) के बारे में ये भी बताता है कि मैं मसीह में भले कामों के लिए रचा गया हूँ। परमेश्वर ने आपकी रचना भले कामों को करने के लिए की है और उन कामों को परमेश्वर ने पहले से ही तैयार कर दिया है जो आपको करने हैं। (इफिसियों 2:10)

हमें प्रतिदिन भले कामों को करने के द्वारा एक दूसरों के लिए उदाहरण भी बनना है और अपने जीवन के प्रति भी हमें गंभीर होने की जरूरत है। जरा सोचिए यदि हमें इस दुनियां में 60 साल ही जीना है तो अब हमारे पास कितना समय बचा है उन भले कामों को करने के लिए? आप शायद मेरे साथ सहमत होंगे की इन 60 सालों में से लगभग आधा समय तो हमारा सोने (निद्रा) में जा चुका है।

कुछ समय यात्रा में, कुछ समय पढ़ाई में, कुछ शॉपिंग करते हुए, कुछ हमारे स्नानघर में, कुछ अपने आप को सजाने और संवारने में, कुछ रिश्तेदारी में, कुछ फोन पर बात करते हुए, कुछ टीवी या मूवीज़ देखते हुए, कुछ फालतू बातों को करते हुए, कुछ दूसरों की बुराई करते हुए निकल गया।

जरा सोचिए कि हम अपने जीवन में कितने गंभीर हैं। हमें भी मूसा की तरह प्रार्थना करने की आवश्यकता है जो इस प्रकार कहता है कि हे प्रभु मुझे दिन गिनने की समझ दें ताकि मैं बुद्धिमान हो जाऊँ। (भजन संहिता 90:12) सवाल यह है कि आपकी और मेरी प्रार्थना कैसी है? हमें अपने जीवन को गम्भीरता से जीने की आवश्यकता है। (तीतुस 2:7‭-‬8)

परमेश्वर हमें ऐसे बनाना चाहता है कि हम भले कामों के लिए हमेशा तैयार रहें। (तीतुस 2:14) तीतुस को पौलुस इस प्रकार प्रोत्साहित करता है कि जिन्होंने भी परमेश्वर पर विश्वास किया है वह भले भले कामों में लगे रहने का ध्यान रखें। ताकि निष्फल न रहें। (तीतुस 3:8‭, ‬14)

मैं मसीह में दुनियां का नमक और ज्योति हूँ।

वचन मुझे मसीह में मेरी पहचान (Identity In Christ) के बारे में ये भी बताता है कि मैं मसीह में दुनियां का नमक और ज्योति हूँ। हम पृथ्वी के नमक हैं और जगत की ज्योति हैं। (मत्ती 5:13‭-‬16) हमें अपने जीवन में नमक की तरह स्वाद रखना है, नमक की तरह घुलनशील बनना है मेरे कहने का तात्पर्य है मेल मिलाप से रहने वाला, नमक की तरह शुद्ध बनना है, याद रखिए नमक सबके लिए है, और यूनिक है, इसी प्रकार आपको, हम सबको परमेश्वर ने यूनिक बनाया है। नमक सबके लिए उपलब्ध भी है।

मसीह में मेरी पहचान क्या है? (Who Am I In Christ? What is my identity in Christ?)
Contributed by LUMO project

हम सभी को परमेश्वर ने अलग-अलग योग्यताओं से नवाज़ा है। परमेश्वर का वचन हमें जगत की ज्योति भी कहता है और ज्योति का काम है अंधकार को दूर करना। इसलिए जब हम अपनी योग्यता और बुलाहट के अनुसार अपने जीवन जीते हैं तो हमारे जीवन से परमेश्वर की महिमा होती है।

मैं मसीह में अधिकार के साथ भेजा गया हूँ।

वचन मुझे मसीह में मेरी पहचान (Identity In Christ) के बारे में ये भी बताता है कि मैं मसीह में अधिकार के साथ भेजा गया हूँ। परमेश्वर के जन! हो सकता है कि अभी तक हमने अपनी इच्छाओं से समय का इस्तेमाल किया हो, लेकिन स्वर्ग और पृथ्वी के अधिकारी ने हमें यह जिम्मेदारी दी है कि हम जाएं। सभी को प्रभु यीशु मसीह के चेले बनाएं। लोगों को बपतिस्मा दें और प्रभु यीशु मसीह की आज्ञाओं को मानना सिखाएं। (मती 28:18-20)

इस वचन के आधार पर प्रभु न सिर्फ हमें अधिकार के साथ भेजते हैं बल्कि वह हमेशा इस कार्य में साथ रहने का वादा भी करते हैं। हमेशा याद रखिए इस पूरी प्रक्रिया में प्रभु हमारे साथ में है। (मती 28:20, मरकुस 16:15‭-‬18) उसने न सिर्फ हमें भेजा है बल्कि शत्रु की सामर्थ पर भी अधिकार दिया है। (लूका 10:19‭-‬20)

मैं मसीह में सामर्थी हूँ।

वचन मुझे मसीह में मेरी पहचान (Identity In Christ) के बारे में ये भी बताता है कि मैं मसीह में सामर्थी हूँ। इस दुनियां में जीते हुए हो सकता है कि हम अपने जीवन की तुलना दूसरों के जीवन से करने लग जाएं और अपने आपको कई क्षेत्रों में कमजोर पाएं। पर मेरे प्रिय, मैं फिर से इस बात को दोहराना चाहता हूँ कि आपको परमेश्वर ने अद्वितीय बनाया है और आप मसीह में बलवंत हैं, उसकी सामर्थ्य हमारे ऊपर हर वक्त छाया करती रहती है। (फिलिप्पियों 4:13)

हमें सामर्थ देने के लिए स्वयं प्रभु पवित्र आत्मा हमारे साथ में है। (प्रेरितों 1:8, रोमियों 8:31, इफिसियों 1:6) बस हमें प्रभु के अधीन रहना है और शैतान का सामना करना है। (याकूब 4:7) क्योंकि हम परमेश्वर के हैं और विजयी हैं। (1 यूहन्ना 4:4)

यदि हम भी कूच करने से पहले पौलुस की तरह ये कहना चाहते हैं कि “मैं अच्छी कुश्ती लड़ चुका हूँ, मैंने अपनी दौड़ पूरी कर ली है, मैंने अपने विश्वास की रखवाली की है” तो मेरे प्रिय, हमें मालूम होना बहुत आवश्यक है कि आखिर मैं मसीह में कौन हूँ। (2 तीमुथियुस 4:7)

सारांश

मसीह में पहचान एक विश्वासी की कलीसिया में नई प्रकृति, परमेश्वर के साथ संबंध, उद्देश्य और स्थिति की समझ को समाहित करती है। यह मसीही जीवन को जीने और यीशु मसीह की शिक्षाओं और उदाहरण के आधार पर दुनियां को सकारात्मक तरीके से प्रभावित करने की नींव के रूप में कार्य करता है।

मसीही होने के नाते हम इस बात को याद रखें कि हम नई सृष्टि हैं, हम जीवते परमेश्वर की संतान हैं, हम क्षमा किए गए अर्थात छुड़ाए गए हैं, मसीह में जगत की उत्पति से पहले चुने गए हैं, हम मसीह में आशीषित हैं, हम पवित्र आत्मा के मंदिर हैं, हमें भले कामों के लिए रचा गया है, हम दुनियां के लिए नमक और ज्योति हैं, मसीह में हमारे पास आत्मिक अधिकार हैं और मसीह में हम सामर्थी हैं। हम इस दुनियां के नहीं हैं बल्कि परमेश्वर के हैं। इसलिए…

“अपने आप को पहचानो, क्योंकि आप मसीह में परमेश्वर की अनमोल रचना हैं।”

शालोम।

  1. धन्यवाद आपका फिर से याद दिलाने के लिए कि हम मसीह में क्या है. परमेश्वर वचनों के द्वारा हमें याद दिला रहा है कि हम आखिर में क्या है परमेश्वर के लिए…

  2. Thank you so much for Reminding our identity in Christ. Sometimes it happen we face identify issue, according to the Level of this world, how much successful we are then sometime worried. But we gave great hope in Christ. we are loved son of God and many blessings. God bless you…

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Anand Vishwas
Anand Vishwashttps://disciplecare.com
आशा है कि यहां पर उपलब्ध संसाधन आपकी आत्मिक उन्नति के लिए सहायक उपकरण सिद्ध होंगे। आइए साथ में उस दौड़ को पूरा करें, जिसके लिए प्रभु ने हम सबको बुलाया है। प्रभु का आनंद हमारी ताकत है।

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