आपका हृदय कहाँ पर लगा है? (Where Is Your Heart?)

आपका हृदय वहीं है जहां आपका समय और धन है। (Matthew 6:21)

आपका हृदय कहाँ पर लगा है? (Where Is Your Heart?) आज आपका हृदय कहां पर है? आपके जीवन में आप किन चीजों को महत्व देते हैं? आप किससे प्यार करते हैं? आज आपके लिए जरूरी क्या है? आप अपनी प्राथमिकताओं को निर्धारित कैसे करते हैं? आपके दिन भर का कार्यकाल या पूरे महीने का कार्यकाल कैसा रहता है? आप अपने समय का प्रबंधन कैसे करते हैं?

आपका हृदय कहाँ पर लगा है? (Where Is Your Heart?)
Contributed by René Pfitzner

परमेश्वर का वचन कहता है कि “जहां तुम्हारा धन होगा, तुम्हारा हृदय भी वहीं लगा रहेगा।” (मती 6:21) आपका धन कहाँ है, जहाँ आज आपका हृदय लगा है? प्रभु यीशु ने ऐसा क्यों कहा होगा?

क्योंकि जहां धन होगा…

  • वहीं पूरा ध्यान होगा।
  • प्राथमिकताएं उसी आधार पर तय होंगी।
  • सारा समय भी उधर ही निवेश किया जाएगा।
  • उसमें और धन भी निवेश किया जायेगा।

आमतौर पर आपका हृदय वहीं लगा होता है जहां पर आप अपने धन को रखते हैं, या जिसे आप अपना धन समझते हैं। वहीं आप अपना समय भी निवेश करेंगे। जहां भी आप अपना धन रखते हैं आपका मन भी वहीं लगा रहेगा। हो सकता है कि आप किसी व्यवसाय में दिलचस्पी रखते हों अगर ऐसा है तो आप वहां अपना धन का भी और समय का भी निवेश करेंगे। क्योंकि जहां आपने अपना समय या धन का निवेश नहीं किया है तो आप उस व्यवसाय की उन्नति के बारे में न तो सोच पाएंगे और न ही उसके लिए कोई योजना बनाएंगे। क्योंकि आप अपनी प्राथमिकताओं को जानते हैं।

आपकी प्राथमिकतायें क्या हैं?

कोई भी छोटा या बड़ा निर्णय व्यक्ति के मूल्यों को प्रकट करता है। वह व्यक्ति क्या प्राथमिकता देता है? कौन से निर्णय उस व्यक्ति की पसंद को प्रभावित करते हैं? जहां कोई व्यक्ति अपना निवेश करता है। वह इस बात का संकेतक भी होता है कि वह व्यक्ति वास्तव में चाहता क्या है? चाहे भौतिक धन और संचय हो, भूमिका हो या पद, खेल हो, शौक हो – ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो हमारा धन हो सकती हैं।

जहां भी आप अपना समय खर्च करते हैं इससे आपकी प्राथमिकताएं नजर आती हैं। अगर आप कहते हैं कि आप अपने बच्चों से प्यार करते हैं, तो क्या आप उनके साथ समय भी बिताते हैं? यदि नहीं तो फिर आप उनसे सच में प्यार नहीं करते हैं। आप कहते होंगे कि आप प्रभु यीशु से प्यार करते हैं परंतु यदि आपके पास उनके साथ बात करने के लिए, उनकी तारीफ करने के लिए और उनके वचनों को पढ़ने के लिए, उनके साथ संगति के लिए समय ही नहीं है तो आप उनसे प्यार नहीं करते हैं क्योंकि आपका ध्यान, धन, समय तो कहीं और जगह पर है। 

आपका हृदय वहीं है जहां आपका समय और धन है।

अगर आप जानना चाहते हैं कि किस व्यक्ति के लिए क्या महत्वपूर्ण हैं तो आप उनके बैंक स्टेटमेंट, उनका पूरे महीने का कलेंडर और उनका ब्राउजिंग हिस्ट्री या इन्टरनेट पर वे कितना समय बिताते हैं देख सकते हैं क्योंकि जिस तरीके से आप अपना धन और समय खर्च करते हैं ये दर्शाता है कि सचमुच में आपके लिए महत्वपूर्ण क्या है अथवा आप किसको महत्वपूर्ण समझते हैं?

आप कह सकते हैं कि “ये तो मेरे लिए सच में बहुत ही महत्वपूर्ण है।” लेकिन इस मामले में आप जो कहते हैं वह वास्तव में मायने नहीं रखता है यदि आप उस पर समय नहीं लगाते हैं और आप उस पर पैसा भी खर्च नहीं करते हैं, तो फिर आपका दिल भी वास्तव में वहां नहीं होगा।

जब आप परमेश्वर को देते हैं, जरा सोचिए कि आपका हृदय कहां है? क्या आपका हृदय उन बातों की ओर मुड़ता है जिसे परमेश्वर चाहता है? यदि आप परमेश्वर के साथ समय बिताते हैं, तो आप उसके हृदय को अर्थात उसकी इच्छा को भी जान पाएंगे। परमेश्वर के राज्य के लिए अपना समय और धन देना भी आराधना का एक कार्य है। यह एक ऐसा तरीका है जिससे आप अपने हृदय को परमेश्वर के साथ जोड़ते हैं क्योंकि आप जानते हैं कि वो आपका आत्मिक पिता है, वही आकाश और पृथ्वी और उनमें सब चीजों का स्वामी है।

क्या राजा दाऊद का हृदय अपने धन की ओर लगा था? आप उनके जीवन से इस बात को देख सकते हैं कि परमेश्वर ही उनका धन था। 

फिर भी ऐसे कई उदाहरण हैं जहां लोगों ने परमेश्वर से ज्यादा धन को अधिक महत्व दिया। हनन्याह और सफीरा ने धन को अधिक महत्व दिया। (प्रेरितों 5:1-11) उसके बाद उस धन के लोभ ने उन्हें पवित्रआत्मा से भी झूठ बोलने को उभारा। खैर, क्या परिणाम हुआ आप जानते ही हैं। 

धन के लोभ से ही उस धनवान का ध्यान अपनी डेवड़ी पर के जरूरतमंद की ओर भी नहीं गया। (लूका 16:19-31) धन के प्यार से ही वह व्यक्ति निराश होकर चला गया जिसको प्रभु यीशु ने अपने शिष्य बनने का न्यौता दिया था, वह अपने धन को खोना नहीं चाहता था क्योंकि उसका मन भी वहीं लगा हुआ था। उसके लिए प्रभु के साथ सम्बन्ध से ज्यादा कीमती तो सांसारिक धन था। (पढ़ें, मरकुस 10:17-22)

आपको यह तो मालूम ही है कि आप एक ही समय में दो स्वामियों की सेवा नहीं कर सकते। आप एक ही समय में परमेश्वर और धन दोनों की सेवा नहीं कर सकते हैं। (मती 6:24) क्या होगा कि परमेश्वर को ही अपना बहुमूल्य धन माना जाए? वास्तव में परमेश्वर हमारा सम्पूर्ण ध्यान चाहता है, वो चाहता है कि हम उसे सम्पूर्ण शक्ति, मन, बुद्धि और प्राण से प्रेम करे। आपको याद होगा जब इस्राएलियों ने राजा की मांग की, उस वक्त परमेश्वर को कितना दुःख हुआ। क्योंकि उन्होंने राजाओं के राजा का तिरस्कार किया, जीवन के सोते का मूल्य नहीं जाना जो कि उनसे इतना प्रेम करता था कि उनको अपनी गोदी में लिए फिरता था। 

हमें अपना हृदय कहां लगाना चाहिए?

परमेश्वर का वचन हमें सलाह देता है कि हमें अपने हृदय की चौकसी करनी है क्योंकि यह हृदय चंचल है और धोखा देने वाला है। (यिर्मयाह 17:9) वास्तव में कई मसीही लोग भी संसार को ही अपना सब कुछ मानते हैं, जबकि उनको तो मसीह को ही धन समझना चाहिए। 

स्वर्गीय वस्तुओं पर जहां स्वयं मसीह विद्यमान है। 

हमें अपने ध्यान को पृथ्वी पर की नहीं परन्तु स्वर्गीय वस्तुओं पर लगाना चाहिए। हमें अपने मन को मसीह पर लगाने की आवश्यकता है। (कुलुस्सियों 3:1,2) सब चीजें उसी के द्वारा उसी के लिए सृजी गई हैं। (कुलुस्सियों 1:16) जिसने उसको पा लिया उसने सब कुछ पा लिया है। जिसके पास यीशु है उनके पास जीवन है। (1 यूहन्ना 5:12)

बहुत बार हम सिर्फ भौतिक वस्तुओं के बारे सोचते हैं और उस पर अपना ध्यान लगाते हैं। वचन कहता है कि तुम न संसार से न संसार की वस्तुओं से प्रेम करो, क्योंकि ये सब वस्तुएं मिटने वाली हैं। ये वस्तुएं स्थाई नहीं हैं तो फिर हमें अपने मन को, अपने ध्यान को उस पर लगाना चाहिए जो सदैव बना रहता है।

आपको शायद याद होगा कि कुछ सालों पहले हमारे देश में किसी व्यक्ति को स्वप्न दिखा कि किसी जगह में धन गड़ा हुआ है, उसके बाद काफी समय तक अखबारों और टेलीविजन में यही समाचार चलता रहा। कुछ और लोग भी स्वप्न देख रहे थे कि यदि वो धन मिलेगा तो हमारे देश की अर्थव्यवस्था में काफी सुधार होगा, हमारे देश से गरीबी दूर होगी। अब तो सरकार भी वहां खुदाई करने के लिए जा पहुंची। काफी दिनों तक खुदाई चलती रही, इतने में कई लोग भी सामने आये जो इस जगह के वारिस होने का दावा करने लगे। पर क्या हुआ इतनी मेहनत करने के बाद भी धन नहीं मिला?

इससे ये बात तो बिल्कुल साफ हो जाती है कि धन काफी बहुमूल्य होता है। आज जिसके पास मसीह है वो बहुत धनवान है भले ही सांसारिक रीति से उसके पास कुछ भी न हो।

सारी सृष्टि का स्वामी हमारा परमेश्वर पिता है और हम उसके वारिस हैं। आज दशा कुछ ऐसी है कि कुछ लोगों को चंगाई चाहिए, चंगा करने वाला नहीं, कुछ को आशीषें चाहिए, आशीष देने वाला नहीं, कुछ को सृष्टि की वस्तुएं चाहिए पर सृष्टिकर्ता नहीं, कुछ को सांसारिक धन चाहिए न कि आत्मिक धन जो सर्वदा बना रहता है। सोचें कि आपके लिए आज कौन सा धन महत्व रखता है? 


एक बार एक राजा ने घोषणा कर दी कि नियुक्त समय में जो कोई भी उनके महल में आकर किसी भी वस्तु पर हाथ लगायेंगे वो वस्तु उस व्यक्ति की हो जाएगी। मालूम है कि क्या हुआ होगा? अब सभी उस नियुक्त समय का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे और योजना बना रहे थे कि किस चीज को छुआ जाये?

अब वो नियुक्त घड़ी आ पहुंची तो सभी फटाफट राजमहल की मनभावनी वस्तुओं पर हाथ लगाने लगे। जरा कल्पना कीजिये कि क्या हुआ होगा? मुझे तो लगता है कि चीजों को खींचने के लिए रसाकस्सी भी जरुर हुई होगी

अब एक छोटी लड़की धीरे धीरे राजा की ओर अपने कदम बढ़ाने लगी और राजा के पास पहुँच कर राजा को ही छू लिया। मेरे ख्याल से आप समझ गए होंगे कि यह कितना बुद्धिमतापूर्ण फैसला था। क्योंकि लोगों द्वारा सभी चीजों का चुनाव करने के बाद भी तो बहुत कुछ बचा था। अब उसका अगर राजा हो गया है तो सारी चीजें भी तो उसकी हो गयीं, है न?


प्रभु यीशु ने कहा कि “स्वर्ग का राज्य खेत में छिपे हुए धन के समान है, जिसे किसी मनुष्य ने पाया और छिपा दिया, और मारे आनन्द के जाकर अपना सब कुछ बेच दिया और उस खेत को मोल ले लिया। – मत्ती 13:44 HINDI-BSI

वचन कहता है कि स्वर्ग का राज्य खेत में छिपे धन के जैसा है जिसे किसी मनुष्य ने पाया और खुशी के मारे खेत में छिपा दिया और अपना सब कुछ बेच कर उस खेत को खरीदा जिसमें उसने वो धन छिपा रखा था।

आपका हृदय कहाँ पर लगा है? (Where Is Your Heart?)
Contributed by René Pfitzner

वो व्यक्ति जानता है कि कौन ज्यादा कीमती है। परमेश्वर के राज्य को प्राथमिकता देना शुरू कीजिए क्योंकि आपको परमेश्वर ने इसके लिए बनाया भी है और बुलाया भी है। (मती 6:33)

“जिस तरह से हम अपना समय बिताते हैं और जिस तरह से हम अपना पैसा खर्च करते हैं, यह दर्शाता है कि हमारे लिए वास्तव में क्या महत्वपूर्ण है।” – Rick Warren

मसीहियों को अपने और दूसरों के उद्धार के लिए उन चीजों को महत्व देना चाहिए और उन्हें संजोना चाहिए जो हमेशा के लिए बनी रहेंगी। हमें यह याद रखना चाहिए कि इन चीजों का शाश्वत मूल्य है, न कि केवल उन चीजों के लिए काम करना चाहिए जो जल जाएंगे या जंग खा जाएँगी।

आज आपका हृदय कहां है? आपका हृदय कहाँ पर लगा है? और कहां आप अपने हृदय को लगाना चाहते हैं? आज ही निर्णय लें कि आपके हृदय को कहां होना चाहिए? अपना समय और धन का निवेश वहां शुरू कर दीजिए, जल्दी ही आप पाएंगे कि आपका मन भी वहीं लगा होगा।

शालोम

  1. जय मसीह की आनन्द भाई,
    आपके इन प्रयासों और इन आर्टिकल से जो आपने इतनी मेहनत से तैयार की है मेरे लिए बहुत ही आशीष का कारण है। इस से मुझको प्रभु के काम में आगे बढ़ने और वचनों का प्रकाशन मिलता हैं। प्रभु आपको बहुत आशीष दे और आपको हमारे जीवन में एक आशीष का माध्यम बना कर रखे। आपके हर पोस्ट का इंतजार रहता है। मैं आपसे निवेदन करता हूं कि आप अपने हर पोस्ट को मुझसे शेयर करे।
    धन्यवाद।
    प्रभु में आपका भाई
    लॉरेंस माईकल

    • आपके स्नेह के लिए और अध्ययन के लिए धन्यवाद भाई। प्रभु में आप आत्मिक उन्नति करते जाएं और उसके राज्य में अपना योगदान देते रहें।

  2. धन्यवाद आनंद मामा, ये वचन पढ़के मैं आशीषित हुई। प्रभु आप को आशीष दे।

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Anand Vishwas
Anand Vishwashttps://disciplecare.com
आशा है कि यहां पर उपलब्ध संसाधन आपकी आत्मिक उन्नति के लिए सहायक उपकरण सिद्ध होंगे। आइए साथ में उस दौड़ को पूरा करें, जिसके लिए प्रभु ने हम सबको बुलाया है। प्रभु का आनंद हमारी ताकत है।

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