किससे डरना चाहिए? (Whom Shall We Fear?) क्या हमें अपने आत्मिक पिता से डरने की जरूरत नहीं? वचन स्पष्टता से बताता है कि हमें उससे नहीं डरना है जो सिर्फ शरीर को नुकसान पहुंचाता है पर हमें उससे डरने की आवश्यकता है जिसको कि हमारे शरीर और आत्मा दोनों को नरक में डालने का या नुकसान पहुंचाने का अधिकार है। (मती 10:28) राजा दाऊद भी कहते हैं कि परमेश्वर मेरी ज्योति और मेरा उद्धार है मैं किस से डरूं? (भजन 27:1)
Table of Contents
आज बहुत से लोग इसलिए दहशत में है क्योंकि एक बीमारी या सताव जो कि बड़ी तेजी से फैल रहा है। इसमें मैं सिर्फ यह जानता हूँ कि कुछ लोगों का डरना तो जायज भी है, क्योंकि वो सच्चे परमेश्वर को नहीं जानते हैं। लेकिन प्रभु यीशु की कलीसिया आज किस बात से डर रही है?
क्या वे भूल गए हैं कि हमें किस से डरने की आवश्यकता है? क्या वे भूल गए कि यदि परमेश्वर ही घर को न बनाए तो बनाने वाले का परिश्रम व्यर्थ है? यदि परमेश्वर ही सुरक्षा न दे, तो जितने मर्जी सुरक्षाकर्मी तैनात कर दो उनका जागना या सुरक्षा करना व्यर्थ ही होगा। (भजन 127:1)
आज इस बात को देखकर बहुत हैरानी होती है कि जगत में हलचल मचाने वाली कलीसिया भी आज सुस्त हो गई है। और निरन्तर प्रभु की अनाज्ञाकारिता में अपना जीवन बिता रही है। मेरे प्रिय, कृपया प्रेरितों की पुस्तक को एक बार फिर पढ़ें यदि आप आरम्भिक कलीसिया की जीवनशैली को भूल गए हों तो। याद रखिए जैसी कलीसिया की दिशा वैसे संसार की दिशा।
जैसी कलीसिया की दिशा वैसे संसार की दिशा – Leonard Revenhill
विश्वासियों को डरने की आवश्यकता क्यों नहीं है?
- क्योंकि अभी भी परमेश्वर के नियंत्रण से बाहर कुछ भी नहीं है।
- क्योंकि सच्ची सुरक्षा परमेश्वर ही देता है। (यशायाह 54:17, भजन 127:1)
हो सकता है कि कुछ लोग कहें कि हम तो सुसमाचार भी नहीं सुना सकते, बाहर नहीं जा सकते, संगति नहीं कर सकते, क्योंकि सरकार ने बाहर जाने को मना किया है। और परमेश्वर का वचन भी हमें शासकीय अधिकारियों के अधीनता में रहने को बोलता है। हमें बाहर नहीं जाना चाहिए, सुसमाचार नहीं सुनाना चाहिए, हमें अपनी बुद्धि का भी इस्तेमाल करना है।
और यदि कोई इस प्रकार से सोच रहा है तो उसकी जानकारी के लिए बता दूं कि परमेश्वर का वचन हमें हमारे नैतिक मूल्यों से समझौता न करने के लिए भी बहुत से उदाहरण देकर उत्साहित करता है।
क्या आप दानिय्येल और उसके दोस्तों को भूल गए जिन्होंने ये ठान लिया था कि वे समझौता नहीं करेंगे और राजा का स्वादिष्ट भोजन खाकर अपवित्र नहीं होंगे ? (दानिय्येल 1:8-15)
क्या आप शद्रक, मेशक और अबेदनगो को भी भूल गए? जिन्होंने राजा के द्वारा खड़ी कराई सोने की मूरत के सामने दंडवत नहीं किया उन्होंने भी तो इस बात में शासकीय अधिकारियों की अधीनता स्वीकार नहीं की। आखिर क्यों? क्योंकि वे अपने नैतिक मूल्यों को जानते थे और ये भी जानते थे कि वह कौन है जो मनुष्य के राज में भी राज करता है। इसके लिए वो कीमत चुकाने के लिए भी तैयार थे। (दानिय्येल 3:1-30)
वो अपने नैतिक मूल्यों के साथ समझौता नहीं कर सकते थे। दारा राजा के समय दानिय्येल के उस प्रार्थना की आदत को देखिए जिसको कोई राजाज्ञा या शासकीय अधिकारियों के फरमान यहां तक कि कई भूखे शेर भी रोक नहीं पाए और सभी जान पाए कि सच्चा परमेश्वर कौन है। (दानिय्येल 6:1-28)
क्योंकि वे लोग जानते थे कि परमेश्वर युगानुयुग धन्य हैं, बुद्धि और पराक्रम उसी के हैं, समयों और ऋतुओं को वहीं बदलता है, राजाओं का उदय और अस्त भी वही करता है। (दानिय्येल 2:20-22)
प्रेरितों को देखिए, इतना सताव और विरोध होने के बावजूद भी वे जानते थे कि मनुष्य की आज्ञा से बढ़कर परमेश्वर की आज्ञापालन करना हमारा कर्तव्य है। (प्रेरितों 5:29) क्या आप भी इतनी हिम्मत रखते हैं कि आप भी कह सके कि ये तो हमसे हो नहीं सकता, जो कुछ हमने देखा और सुना है वह न कहें। (प्रेरितों 4:19-20)
क्या परमेश्वर ने आपके जीवन में कोई उपकार नहीं किए हैं? काश आज भी दाऊद की तरह विश्वासी लोग कहते कि हे मेरे मन उसके किसी उपकार को न भूलना। (भजन 103:2)
क्या आज तक कोई परमेश्वर के सुसमाचार को रोक पाया है? (प्रेरितों 6:7) इतिहास के पन्नों को पलट कर देखिए जनाब! तो फिर आज आप के पास क्या बहाना है कि आप सुसमाचार न सुनाएं? आप को किसने रोक दिया कि मसीही जीवन ना जीएं?
क्या आप ये भी भूल गए कि आप जगत कि ज्योति हैं और पृथ्वी के नमक हैं? (मती 5:13-16) क्या आप ये भी भूल गए आप जीवते परमेश्वर की संतान हैं? (यूहन्ना 1:12) और क्या आप भूल गए कि आप याजकों का समाज, पवित्र लोग, परमेश्वर की प्रजा हैं जिसको परमेश्वर ने अंधकार में से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है ताकि आप उसके गुण प्रकट करो। (1 पतरस 2:9)
आपको किसने सुस्त कर दिया है? कहां पर आपका मन मतवाला हो गया है? आप कब तक झाड़ियों में फंसे रहना चाहते हैं जो कि आपको कभी बढ़ने नहीं देंगी? (मरकुस 4:7,18-19) सावधान!!! प्रभु यीशु ने पहले ही कह दिया था कि तुम्हारे मन खुमार, मतवालेपन और इस जीवन की चिंताओं में सुस्त न हो जाएं। यीशु ने पहले ही चिता दिया है कि वह दिन तुम पर भी फंदे के समान अचानक न पड़े क्योंकि वह सारी पृथ्वी के सब रहनेवालों पर इसी प्रकार आ पड़ेगा। (लूका 21:34-36)
- इसलिए जागते रहो।
- प्रार्थना करते रहो।
क्यों?
- ताकि आने वाली घटनाओं से बचने योग्य बनो।
- ताकि मनुष्य के पुत्र के सामने खड़े होने योग्य बनो।
शालोम