आत्म जागृति में देरी क्यों? (Why Revival Tarries?) आज आत्म-जागरण क्यों नहीं हो रहा है? आज संसार में इतना अंधकार क्यों है? क्यों आत्माएँ विनाश की ओर जा रही हैं? यदि मैं इन सवालों का जवाब दूँ तो मैं यही कह सकता हूँ… कि आत्म जागृति में देरी इसलिए है क्योंकि जिनको परमेश्वर ने जिम्मेदारी दी है वो लापरवाह हो गए हैं। आत्म जागृति में इसलिए देरी है क्योंकि आज प्रचारक महोदय भीड़ को प्रसन्न करने में लगे हुए हैं। आत्म जागृति में देरी इसलिए है क्योंकि प्रार्थना में प्रभु के पास आने के लिए समय ही नहीं है।
आत्म जागृति में देरी आज इसलिए है क्योंकि परमेश्वर की महिमा को चुराया जा रहा है। आत्म जागृति में इसलिए देरी है क्योंकि जिनको जिम्मेदारी दी गई है वे सो रहे हैं। आत्म जागृति में देरी इसलिए है क्योंकि इस उड़ाऊ संसार में, कलीसिया भी उड़ाऊ हो गई है। आत्म जागृति में देरी इसलिए है क्योंकि विश्वासी, विश्वास ही नहीं करते हैं। आत्म जागृति में देरी इसलिए है क्योंकि उन्होंने परमेश्वर को अपना राजा होने से ठुकरा दिया है। आत्म जागृति में देरी इसलिए भी है क्योंकि अब सेवकों का स्वामी, धन बन गया है। आत्म जागृति में देरी इसलिए है क्योंकि कलीसिया में पश्चातापी व्यक्तियों की कमी है।
मेरी हार्दिक इच्छा है कि हर एक सेवक जन और विश्वासी जन “आत्म जागृति में देरी क्यों?” नामक पुस्तक को जरुर पढ़ें। इस पुस्तक की प्रतियां पाने के लिए मैंने काफी प्रयास किए, पर ये पुस्तक मुझे कहीं भी मिल नहीं पाई है। क्योंकि मैं चाहता था कि कम से कम हर प्रभु का सेवक इस पुस्तक को जरूर पढ़े। इस पुस्तक को हिंदी में Blessing Youth Mission के द्वारा प्रकाशित किया गया था।
मैं आपके सामने इस पुस्तक को, जैसे यह लिखी गई है वैसे ही पेश करना चाहता हूं। हाँ इस पुस्तक में कुछ ऐसे शब्द हैं जो आम व्यक्ति को समझ भी नहीं आयेंगे और ये उनको भी समझ नहीं आयेंगे जिन्होंने कभी पूरी बाइबल को पढ़ा नहीं है। मेरी प्रार्थना है कि आप इस पुस्तक (Why Revival Tarries?) के एक-एक शब्दों को समझ पाएं। मैं आपको उत्साहित करना चाहता हूं कि जब इस पुस्तक में किसी व्यक्ति का, या घटना का जिक्र हो तो अपनी बाइबल को जरूर खोलें, तभी आपको संदर्भ समझ आ पाएगा।
आत्म जागृति में देरी क्यों? (Why Revival Tarries? By Leonard Ravenhill) नामक यह पुस्तक बताती है कि आज आत्मिक जागृति में देरी क्यों हो रही है। ये एक ऐसी पुस्तक है जिसने बाइबल के बाद दूसरे स्थान पर मेरे जीवन को बदल कर रख दिया है। जब कभी मैं सेवा करते-करते सुस्ती महसूस करता हूँ, तो इस पुस्तक के लेखक की डांट मुझे फिर से आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती है। इसलिए मैं इस पुस्तक को भी अपने लिए एक रिचार्ज स्टेशन समझता हूं।
इस पुस्तक को इंग्लैंड के मसीही भाई लियोनार्ड रेवनहिल के द्वारा लिखा गया था। 1958 में अंग्रेजी के प्रथम संस्करण को प्रकाशित करने पर अपनी प्रस्तावना में उन्होंने लिखा…
“यहां मैं साधारण रोटियां और मछलियां भेंट कर रहा हूं। एक साधारण भोजन जिसमें मिर्च मसाले नहीं है। एक नाविक को एक बार मैंने एक सैनिक को मारते देखा क्योंकि सैनिक ने उसकी मां का अपमान किया था। इसी प्रकार मेरे प्रभु का अपमान हो रहा है और उसकी कलीसिया का निरादर। और मुझ पर विश्वास कीजिए कि इस दौहरे आघात के कारण में चुप नहीं रह सकता। कलीसिया के बहुत विरोधी हैं तो क्या मेरी तलवार मेरे हाथ में शांत रह सकती है? कभी नहीं!” – लियोनार्ड रेवनहिल
इस पुस्तक का प्राक्कथन ए डब्ल्यू टोज़र द्वारा लिखा गया है जो निम्नलिखित है…
बड़े-बड़े औद्योगिक संस्थान कुछ ऐसे व्यक्तियों को सेवा में रखते हैं, जिनकी आवश्यकता केवल उस समय पड़ती है जब अकस्मात कहीं कुछ बिगड़ जाता है, जब मशीन में कुछ गड़बड़ी हो जाती है। उस समय ये व्यक्ति तुरंत उसे ढूंढने और ठीक करने के कार्य में लग जाते हैं और मशीन को फिर से चालू कर देते हैं।
इन व्यक्तियों को सुगमता से चलती रहती मशीनों में कोई रुचि नहीं होती है। ये लोग गड़बड़ी का पता लगा लेने और उसे ठीक कर देने की विशेषज्ञ होते हैं।
परमेश्वर के राज्य की स्थिति इससे बहुत अधिक भिन्न नहीं है। परमेश्वर के पास सदा उनके विशेषज्ञ हुए हैं, जिनकी मुख्य चिंता नैतिक गड़बड़ी रही है। अर्थात राष्ट्र अथवा कलीसिया के आत्मिक स्वास्थ्य में पतन। ऐसे व्यक्ति एलिय्याह, यिर्मयाह, मलाकी और उनके जैसे अन्य हुए हैं। इतिहास के संकट पूर्ण क्षणों में परमेश्वर के नाम और धार्मिकता के लिए ताड़ना देने, डांटने और शिक्षा के लिए ये प्रकट हुए।
जब तक इज़राइल या कलीसिया का आत्मिक जीवन सामान्य रहता था, तब तक हजार या दस हजार याजक, पासवान या शिक्षक अपना कार्य शांतिपूर्वक बिना किसी का ध्यान आकर्षित किए करते रहते थे। परंतु जैसे ही परमेश्वर के लोग सत्य के मार्ग से भटक जाते तुरंत ही यह विशेषज्ञ ना जाने कहां से प्रकट हो जाता था। गड़बड़ी जान लेने की उसकी सजह बुद्धि उसे प्रभु और इज़राइल की सहायता के लिए खींच लाती थी।
ऐसा व्यक्ति कठोर, उग्र और किसी किसी समय तीव्र भी हो जाता था। और जिज्ञासु जनसमूह जो उसे कार्य करते देखने हेतु एकत्रित हो जाता, शीघ्र ही उसे उग्रवादी, धर्मांध या नकारवादी कोशिश कर देता। और एक प्रकार से भीड़ ठीक भी होती थी, क्योंकि वह व्यक्ति अपने ही विचारों वाला कठोर और निर्भीक होता था। परिस्थितियों की मांग के अनुसार ये विशेषताएं उसमें होती थी।
वह कुछ को आघात पहुंचाता, कुछ को डराता धमकाता और अनेकों को तो बहिष्कार ही कर देता था। वह जानता था कि उसे किसने बुलाया है और उसे किस कार्य के लिए भेजा गया है। उसकी सेवा संकटकाल के लिए परिमित की गई थी। और यह सच्चाई उसे दूसरों से अलग, एक भिन्न व्यक्ति निरूपित करती थी।
ऐसे व्यक्ति के प्रति कलीसिया अत्यंत भारी ऋण चुकाने के लिए दबी रहती है। विचित्र बात यह है कि उसके जीवित रहते हुए वह विरले ही कभी ऋण लौटाने का प्रयास करती है। परंतु अगली पीढ़ी उसकी समाधि बनाती है और उसकी जीवनी लिखती है, मानो कि प्रेरणा पाकर अपूर्ण रीति से कुछ सीमा तक उस दायित्व को पूरा कर रही हो जिसकी पिछली पीढ़ी ने बहुत अधिक अवहेलना कर दी थी!
लोग लियोनार्ड रेवनहिल को समझते हैं, वे उनमें एक आत्मिक विशेषज्ञ को पहचान लेंगे। वे कलीसिया के परंपरागत कार्य को चलाते रहने के लिए परमेश्वर के द्वारा भेजे गए व्यक्ति नहीं है। परंतु बाल के पुजारियों का उनके अपने ही पर्वत पर सामना करने के लिए, असावधान याजक को वेदी पर लज्जित करने के लिए, झूठे भविष्यवक्ता का सामना करने के लिए और जो लोग उसके द्वारा भटकाए जा रहे हैं उन्हें सावधान करने के लिए।
ऐसा व्यक्ति किसी का आसान साथी नहीं होता। व्यवसायिक प्रचारक जो गढ़ी हुई सभा समाप्त होते ही अपने धन-दाताओं के साथ शीघ्रता से सबसे महंगे होटल में भोज और हंसी मजाक के लिए चला जाता है, इस व्यक्ति को (लियोनॉर्ड रेवनहिल) बड़ी परेशानी का कारण पाएगा। क्योंकि वह पवित्र आत्मा के बोझ को ऐसे बंद नहीं रख सकता जैसे कोई नल बंद कर दे! वह हर समय, हर स्थान पर मसीही रहने पर बल देता है। और पुनः यह बात उसे दूसरों से भिन्न निरूपित करती है।
लियोनॉर्ड रेवनहिल के प्रति तठस्थ रहना असंभव है। उनके परिचित स्पष्ट रूप से दो समूहों में विभाजित हैं। एक तो वे हैं जो सब अनुपात से अधिक उनसे प्रेम करते और उनकी प्रशंसा करते हैं और दूसरे वे हैं जो पूर्ण घृणा के साथ उनसे घृणा करते हैं। और जो इस व्यक्ति के लिए सत्य है, वही इसकी पुस्तक के लिए सत्य होना भी निश्चित है। पढ़ने वाला या तो इसके पन्ने बंद करके प्रार्थना का स्थान ढूंढेगा या उसका हृदय इसकी चेतावनी और अनुरोधों के लिए बंद होने के कारण क्रोध में इसे फेंक देगा।
सब पुस्तकें, सब अच्छी पुस्तकें भी ऊपर से वाणी के रूप में नहीं आती हैं। पर मैं अनुभव करता हूं कि यह आती हैं। यह इस कारण आती है क्योंकि इसका लेखक आता है, और लेखक की आत्मा उसकी पुस्तक के द्वारा श्वास खींचता है।
ए डब्ल्यू टोज़र
(Taken from the book, Why Revival Tarries? By Leonard Ravenhill)
यह ए डब्ल्यू टोज़र द्वारा लिखित प्राक्कथन है जो उन्होंने आत्म “जागृति में देरी क्यों?” पुस्तक और उसके लेखक के बारे में एक संक्षिप्त परिचय देता है।
मैं यहाँ पर आपके साथ इस पुस्तक के हर अध्याय को साझा करूँगा। मेरा आपसे विनम्र निवेदन है कि इस पुस्तक के अध्याय को पढ़ते समय अपने ह्रदय को कठोर न करें बल्कि प्रार्थना पूर्वक उन लेखों को पढ़ें जो इस वेबसाइट पर आपके साथ साझा किया जाएगा। जब प्रभु आपके मन को झकझोरे तो प्रार्थना के लिए प्रभु के पास जरुर जाएं।
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सूचना: यदि आप इस पुस्तक या पुस्तक संबंधी बातों को इस वेबसाइट से हटाना चाहते हैं तो आप मुझसे संपर्क कर सकते हैं। [email protected]
आत्म जागृति में देरी क्यों? का पहला अध्याय पढ़ें: संपूर्ण शक्ति के साथ पवित्र आत्मा का अभिषेक प्राप्त करो। आत्म जागृति में देरी क्यों?