क्या आपकी पीड़ा बहुतों के द्वारा धन्यवाद बढ़ाती है?

क्या आपकी पीड़ा परमेश्वर की महिमा के लिए बहुतों के द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद भी बढ़ाती है? (Do Not Waste Your Pain)

अपनी पीड़ा को व्यर्थ जाने न दें। (Do Not Waste Your Pain) क्या आपकी पीड़ा बहुतों के द्वारा धन्यवाद बढ़ाती है? परमेश्वर आपके दुःख और पीड़ा को कभी व्यर्थ नहीं जाने देगा। क्या आप जानते हैं कि अपनी पीड़ा के द्वारा आप परमेश्वर के अनुग्रह को दूसरों तक पहुंचा सकते हो जो परमेश्वर की महिमा के लिए बहुतों के द्वारा परमेश्वर का धन्यवाद भी बढ़ाती है? (2 कुरिन्थियों 4:15)

आप इस दुनियां में अकेले व्यक्ति नहीं हैं जो पीड़ा और दर्द का अनुभव करते हैं। हाँ शायद आप कह सकते हैं कि यदि आप मेरी जगह होते, तो आपको मालूम होता! वास्तव में मेरे प्रिय, सभी लोग पीड़ा और दर्द का अनुभव करते हैं और वो लोग तो ज्यादा ही अनुभव करेंगे जो प्रभु यीशु में भक्ति के साथ जीवन बिताना चाहते हैं। (2 तीमुथियुस 3:12)

क्या आपकी पीड़ा बहुतों के द्वारा धन्यवाद बढ़ाती है?
Image by Holger Langmaier from Pixabay

एक मसीही होने के नाते हमें ये बात स्मरण रखनी चाहिए कि परमेश्वर हमें इस दुनियां में रखकर भूल नहीं गया है। परमेश्वर हमारे दर्द और पीड़ा को व्यर्थ होने नहीं देगा। बाइबल में ऐसे बहुत से उदाहरण हैं जिन्होंने अपने जीवन में पीड़ा का अनुभव किया उन्होंने हर परिस्थिति में विश्वासयोग्य रहकर अपने जीवन को जीया। उसके बाद हम उनके प्रतिफल को भी देखते हैं कि कैसे परमेश्वर उनके इन अनुभवों को दूसरों की भलाइयों के लिए इस्तेमाल करते हैं।

आप यूसुफ को तो जानते ही हैं कि उसके साथ क्या-क्या हुआ; उसके बचपन से ही उसके भाई उससे द्वेष रखते थे, उन्होंने उसको मारने की योजना बनाई, उसके बाद उसको मिद्यानियों के हाथों बेचा गया, फिर मिद्यानियों के द्वारा उसको मिस्त्र में पोतीपर के हाथों बेचा गया। झूठे आरोपों के बाद उसको जेल में रहना पड़ा। जेल में भी वह भलाई करता रहा, भले ही लोग उसकी की हुई भलाइयों को भूल गए लेकिन परमेश्वर ने उसको सही समय पर मुक्त किया। एक समय आया कि वह पूरे राष्ट्र की अगुवाई कर रहा था।

इस बात को ज़रूर याद रखें कि यदि आप हर परिस्थिति में विश्वासयोग्य रहेंगे तो परमेश्वर आपको वहां पर भी ऊंचा उठाएगा। (यूसुफ के बारे में अधिक जानने के लिए इन अध्यायों को पढ़ें। उत्पति 37-50) परमेश्वर आपके दुःख और पीड़ा को कभी व्यर्थ नहीं जाने देगा। परिस्थितियां आपके लिए रूकावट नहीं होगीं बल्कि एक अवसर होंगी परमेश्वर को और अधिक जानने में और दूसरों के जीवन में उनको उत्साहित करने में।

यदि शद्रक, मेशक अबेदनगो पीड़ा सहने के लिए तैयार ना होते तो शायद नबूकदनेस्सर और उसके साम्राज्य के लोग कभी जीवित परमेश्वर को जान न पाते। यदि दानिय्येल भी अपने विश्वास के साथ समझौता कर देता और पीड़ा सहने से अपने आपको बचाने का प्रयत्न करता तो शायद कभी दारा राजा और उसके राज्य के लोग जीवित परमेश्वर को कभी जान नहीं पाते। हालांकि ये भाग हमें उनकी विश्वासयोग्यता के जीवन के बारे में बताते हैं लेकिन फिर भी उनको गुलामी में तिरस्कार और पीड़ा को सहन करना पड़ा। कई बार परमेश्वर पीड़ा का अनुभव हमें इसलिए करने देते हैं ताकि बहुत लोग परमेश्वर को धन्यवाद दे सकें, उसके वचनों को सीख सकें और उस परमेश्वर की महिमा कर सके जो हमेशा महिमा के योग्य है।

मुझे जो दु:ख हुआ वह मेरे लिये भला ही हुआ है, जिस से मैं तेरी विधियों को सीख सकूं। (भजन संहिता 119:71)

पवित्रशास्त्र कभी वायदा नहीं करता है कि हम जीवन में कठिन समय या मुश्किल परिस्थितियों का सामना नहीं करेंगे; लेकिन यह ऐसे समय में परमेश्वर कि सामर्थ और अनुग्रह का वायदा जरुर करता है। पौलुस एक बहुत उत्साही व्यक्ति था। उसने भी बहुत दर्द और पीड़ा को सहा। पर उसे मालूम था कि ये सब वो क्यों सह रहा है।

पौलुस अपनी पीड़ा के बारे में कुरिन्थियों को बताते हुए उत्साहित कर रहा है कि सारी पीड़ा या कष्ट आपके लाभ के लिए ही हैं। ताकि जो अनुग्रह आपके जीवन में हुआ है उसके द्वारा और भी लोग परमेश्वर को धन्यवाद करें और महिमा भी करें। (2 कुरिन्थियों 4:15) 

जब आप अपने दर्द का इस्तेमाल दूसरों की मदद करने के लिए करते हैं, तो परमेश्वर आपको उन तरीकों से आशीष देगा जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते। प्रेरित पौलुस ने अपने जीवन में अत्यधिक पीड़ा का अनुभव किया, यही कारण है कि परमेश्वर उसे बड़े पैमाने पर उपयोग करने में सक्षम था। अपने अनुभवों के बारे में बात करते हुए पौलुस कहता है: पांच बार उसने उन्तालीस-उन्तालीस कोड़े खाए, तीन बार बेंतें खाईं, तीन बार उसके जहाज टूट गए, एक बार उसपर पथराव किया गया, एक रात-दिन उसने समुद्र में काटा उसने कई बार बिना भोजन, पानी और नींद के समय बिताया। पौलुस आगे बताता है इन सबके बावजूद भी कलीसिया की चिंता प्रतिदिन मुझे दबाती है। (2 कुरिन्थियों 11:16-33)

इतनी अधिक पीड़ा के बाद भी परमेश्वर ने उसका उपयोग पूरे रोमन साम्राज्य में सुसमाचार फैलाने के लिए किया। वास्तव में, यदि आप पौलुस से पूछते, “आपने इतना दर्द कैसे सहा?” वह आपको बताता कि ऐसा इसलिए था क्योंकि वह लोगों को यीशु मसीह के पास लाना चाहता था। वह दूसरों की मदद करना चाहता था।

पौलुस ने 2 कुरिन्थियों 4:15 में कहा, “हमारे ये कष्ट तुम्हारे लाभ के लिए हैं। और आप में से जितने अधिक मसीह के लिए जीते जाते हैं, उतना ही अधिक उनकी महान दया के लिए उन्हें धन्यवाद देना होता है, और उतनी ही अधिक प्रभु की महिमा होती है।”

हो सकता है कि आप उस तरह से कभी भी पीड़ित न हों जैसे पौलुस हुआ था, लेकिन आप जीवन में पीड़ा से गुजरेंगे। तो आप भी अपनी पीड़ा को अच्छे के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं और इसे बर्बाद नहीं करना है।

वास्तव में तीन प्रकार के कष्ट हैं जिनका उपयोग परमेश्वर दूसरों की सहायता करने के लिए करता है: स्वयं के द्वारा आमंत्रित पीड़ा, निर्दोष पीड़ा, और छुटकारे की पीड़ा। (पढ़ें – बुराई और दुःख अस्तित्व में क्यों हैं)

स्वयं के द्वारा आमंत्रित पीड़ा। – कुछ दुःख इस प्रकार हैं जिसे आप स्वयं अपने ऊपर लाते हैं। आप खराब निर्णय लेकर अपनी कुछ समस्याओं का कारण बनते हैं। आप हमेशा सही भोजन नहीं करते हैं, सही निर्णय नहीं लेते हैं, या दूसरों को सही तरीके से प्रतिक्रिया नहीं देते हैं।

निर्दोष पीड़ा। – निर्दोष पीड़ा तब होती है, जब आप अपनी गलती के बिना किसी और से आहत हो जाते हैं। चाहे आपको छोड़ दिया गया हो, अस्वीकार कर दिया गया हो, या धोखा दिया गया हो, हर कोई दूसरे लोगों के पापों से आहत हुआ है।

छुटकारे की पीड़ा। – लेकिन दुःख या पीड़ा का उच्चतम रूप छुटकारे की पीड़ा है। यह तब होता है जब आप दूसरों के लाभ के लिए दर्द या समस्याओं से गुजरते हैं। परमेश्वर आपसे अपेक्षा करता है कि आप अपने दर्द का उपयोग दूसरों की मदद करने के लिए करें। फिर चाहे आपने जो भी गलती, असफलता, परेशानी, परीक्षण, या बुरे निर्णय का अनुभव किया है। इसे छुटकारे की पीड़ा कहा जाता है।

यदि हम क्लेश पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्ति और उद्धार के लिये है; और यदि शान्ति पाते हैं, तो यह तुम्हारी शान्ति के लिये है; जिसके प्रभाव से तुम धीरज के साथ उन क्लेशों को सह लेते हो, जिन्हें हम भी सहते हैं। हमारी आशा तुम्हारे विषय में दृढ़ है; क्योंकि हम जानते हैं कि तुम जैसे हमारे दु:खों में, वैसे ही शान्ति में भी सहभागी हो।  2 कुरिन्थियों 1:6-7  HINOVBSI

अपने जीवन में सबसे बड़ी परेशानियों के बारे में सोचें और सबसे खराब पीड़ा जिसे आपने शारीरिक या भावनात्मक रूप से सहन किया है। परमेश्वर नहीं चाहता कि आप उस चोट को बर्बाद करें; क्योंकि वह आपके दुखों को दूर करना चाहता है। आप अपनी ताकत (Strength) से ज्यादा अपनी कमजोरियों (Weakness) से भी लोगों की मदद कर सकते हैं। पीड़ा के समय दूसरों को अपनी ताकत (Strength) के बारे में बताना मदद नहीं करेगा, लेकिन उनके साथ यह साझा करना कि आपकी पीड़ा के समय परमेश्वर आपके साथ कैसे चले, ये बताना उनका जीवन जरुर बदल सकता है।

हो सकता है कि आप अपनी पीड़ा के बारे में दूसरों से बात करना नहीं चाह रहे हों, क्योंकि आपको लगता है कि यह एक बोझ है जिसे आपको अकेले उठाना ही है। परमेश्वर अभी आपका इस्तेमाल करना चाहता है – तब नहीं जब आप पूरी तरह से ठीक हो गए हों या अपनी पीड़ा को दूर कर चुके हों। वह आपको उन क्षेत्रों में भी उपयोग करना चाहता है, जिनके बारे में आप शर्मिंदा हैं और जो क्षेत्र अभी भी आहत हैं।

आपके जीवन के लिए परमेश्वर की इच्छा का एक हिस्सा यह है कि आप न केवल अपने उपहारों और ताकतों के माध्यम से, बल्कि अपनी पीड़ा के माध्यम से भी लोगों की मदद करें। यह वही है जो यीशु ने आपके लिए किया है। जब यीशु क्रूस पर मरा, जो पाप उसने नहीं किया, उसने उसकी सजा लिया। वह आपके लाभ के लिए उस दर्द से गुजरा ताकि आप बचाए जा सकें और स्वर्ग जा सकें। उसी तरह, परमेश्वर आपके दर्द का उपयोग दूसरों के लिए आशा और चंगाई लाने के लिए करेगा।

जो खुद बीमार हो चुका है, वो अच्छी तरह से दूसरों की बीमारी का दर्द समझ सकता है। जो कर्ज की समस्या से जूझ चुका है वो व्यक्ति दूसरों की पीड़ा को भी जान सकता है कि कर्ज में कैसा महसूस होता है। जो व्यक्ति दिवालियापन से गुजरा हो उससे बेहतर उसकी मदद कौन कर सकता है जो इस स्थिति से गुजर रहा है? जो व्यक्ति किसी व्यसन से जूझा है उससे बेहतर कौन ऐसे व्यक्ति की मदद कर सकता है जो इससे जूझ रहा हो?

जिसने मां-बाप के प्यार को कभी महसूस नहीं किया है उससे बेहतर कौन ऐसों की मदद कर सकता है, जो ऐसी ही पीड़ा को अपने जीवन में अनुभव कर रहे हों? जिसने अपना बच्चा खोया है उससे बेहतर कौन ऐसों की मदद कर सकता है जिसने भी अपना बच्चा खोया हो? परमेश्वर कभी कभी हमें ऐसी परिस्थितियों में से गुजरने देता है ताकि यह बहुतों को परमेश्वर का धन्यवाद करने के लिए प्रेरित करे और लोग परमेश्वर की महिमा करें। इसलिए प्रभु के प्रिय लोगो, अपनी पीड़ा को व्यर्थ न जाने दें। (Do Not Waste Your Pain.)

परमेश्वर एक चोट को भी बर्बाद नहीं होने देंगे। परमेश्वर आपके जीवन में कार्य करेगा ताकि वह आपके द्वारा दूसरों को प्रोत्साहित करने के लिए कार्य कर सके। परमेश्वर की स्तुति करो और परीक्षा के समय आनन्दित रहो, क्योंकि दुःख आपके धीरज का निर्माण करेगा और दूसरों को उनकी पीड़ा में मदद करेगा। परमेश्वर तीनों प्रकार के दुखों का उपयोग भलाई के लिए कर सकते हैं। अपना हर दुःख उसे देकर शुरू करें और कहें, “परमेश्वर, मैं चाहता हूं कि आप मेरे दर्द का इस्तेमाल दूसरों को फायदा पहुंचाने के लिए करें।” 

क्या आपकी पीड़ा बहुतों के द्वारा धन्यवाद बढ़ाती है?
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थोड़ी देर सोचिए कि परमेश्वर ने दूसरों की मदद के लिए आपके अतीत के दर्द को कैसे इस्तेमाल किया है? आप प्रभु से प्रार्थना कर सकते हैं कि वो आपकी मदद करे दूसरों को समझने और उनको प्रोत्साहन में। याद रखिए कि आप परमेश्वर की संतान हैं। वचन बताता है कि सारी सृष्टि दर्द और पीड़ा से कराह रही है और इंतजार कर रही है कि परमेश्वर की संतान मदद के लिए आगे आए। आप कभी भी अकेले नहीं हैं, परमेश्वर का आत्मा सदैव आपके साथ है और ऐसी परिस्थिति में प्रार्थना करने में मदद भी करेगा। (पढ़ें – रोमियों 8:18-27)

शालोम

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Anand Vishwas
Anand Vishwashttps://disciplecare.com
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