बुराई और दुःख अस्तित्व में क्यों है? (Evil And Sorrow)

Why Evil And Sorrow?

बुराई और दुःख अस्तित्व में क्यों है?

बुराई और दुःख अस्तित्व में क्यों है? (Evil And Sorrow) बुराई और दुःख का क्या उद्देश्य है हमारे जीवन में? हम सभी कई बार अपने जीवन में बुराई, क्लेश और दुःख उठाते हैं। बहुत बार हम सोचने पर मजबूर होते हैं कि क्यों हम बुराई और दुःख का सामने करते हैं? यदि परमेश्वर का अस्तित्व है तो फिर बुराई कहां से आई? आज हम इसी विषय पर चर्चा करेंगे।

Table of Contents

विश्वासी, मसीही जीवन जीते हुए कैसे बुराई और दुखों का सामना करते हैं? इतिहास में कई बार, मसीहियों को अपने विश्वास के कारण दुःख का सामना करना पड़ा है, कई बार तो यह सताव, तो कई बार यह शहीदी के रूप में भी आया है। उन्होंने अपने विश्वास के कारण अपने प्राण तक को कुछ न समझा बल्कि अपने विश्वास के लिए उसे भी न्योछावर कर दिया।

बेशक सताव की तेजी एक सदी से दूसरी सदी और एक देश से दूसरे देश में अलग होती है, लेकिन बड़े पैमाने पर कलीसिया को एक शत्रुतापूर्ण समाज के हाथों दुःख सहना पड़ता है, जिस समाज में कलीसिया को “नमक और ज्योति” के रूप में बुलाया गया है।

इस विषय पर बाइबल क्या कहती है?

कभी न कभी आपके मन में भी ये सवाल जरुर आया होगा कि “बुराई और दुःख” आखिर अस्तित्व में क्यों है? क्या ये शैतान की गतिविधियों का परिणाम है? अगर ऐसा है, तो फिर वह (शैतान) आया कहाँ से? और परमेश्वर ने उसे अपनी रचना का हिस्सा क्यों बनने दिया?

यदि बाइबल का परमेश्वर स्वाभाविक रूप से एक अच्छा परमेश्वर है, और उसके पास असीमित ताकत है, तो स्वाभाविक रूप से यह प्रश्न भी उठता है कि परमेश्वर अपनी ताकत का इस्तेमाल सभी प्रकार के बुराई और दुखों को मिटाने के लिए क्यों नहीं करता? खास तौर पर तो तब, जब उसके बच्चे उसके ऊपर भरोसा रखते हैं? इस तरह के प्रश्न हम सभी के मन में दुविधा पैदा कर देते हैं।

बुराई और दुःख अस्तित्व में क्यों है? (Evil And Sorrow)
Contributed by Sweet Publishing

यह बात सच है कि हम एक ऐसी दुनियां में रहते हैं जो बुराई और दुःख से भरी हुई है। फिर भी हमारे सामने ये सवाल है कि क्या सच में हमें इस प्रकार की दुनियां में रहना चाहिए? क्या समस्या, परमेश्वर के साथ है? या इसका कोई और भी बेहतर स्पष्टीकरण हो सकता है? आखिर क्यों परमेश्वर ने अपनी सृष्टि के भीतर बुराई को मौजूद रहने दिया है? यह बात बिल्कुल साफ है कि परमेश्वर बुराई का कारण तो हो ही नहीं सकता है, क्योंकि परमेश्वर पवित्र है।

बुराई का अस्तित्व।

वास्तव में परमेश्वर ने सृष्टि के दौरान, पहले जोड़े अर्थात आदम और हव्वा को चेतावनी दी थी कि वे बुराई को न जाने। हम इस बात को बाइबल उत्पत्ति 2:17 में देख सकते हैं। बाइबल की इस आयत से ये स्पष्ट हो जाता है कि बुराई आदमी और औरत की रचना से पहले ही अस्तित्व में आ गई थी। बगीचे में अचानक सांप के भेष में शैतान का आना, बुराई के फैलाव को शैतानी इरादों से जोड़ता है।

फिर भी आदम और हव्वा के आज्ञाउलंघन ने बुराई की मौजूदगी को परमेश्वर की बनाई व्यवस्था को बाधित करने की अनुमति दी, और इस प्रकार पहली हत्या होने में ज्यादा देर भी नहीं लगी, कैन ने अपने भाई हाबिल को ईर्ष्या के कारण मार डाला।

कई पीढ़ियों के बाद जब हम परमेश्वर के वचन में पढ़ते हैं कि बुराई ने परमेश्वर की बनाई हुई सृष्टि को इतनी बुरी तरह से दूषित कर दिया था कि परमेश्वर ने बाढ़ से दुनियां को नष्ट करने का फैसला किया। केवल नूह और उसके परिवार के सभी लोगों को परमेश्वर ने बचा लिया, जो कि आज के युग की इस पीढ़ी के लिए भी एक चेतावनी है।

यह परिवार इस लिए बचाया गया था क्योंकि नूह परमेश्वर की दृष्टि में एक धार्मिक व्यक्ति था। इस बात से इतना तो साफ हो ही जाता है कि धार्मिकता के द्वारा हमारा और हमारे परिवार का बचाव होता है। ध्यान दें, ये धार्मिकता हमारे अच्छे या नेक कार्यों का परिणाम नहीं है बल्कि ये अपने जीवन में परमेश्वर का आदर करना और उसके ऊपर विश्वास करने से आती है।

आज के समय में ये धार्मिकता, प्रभु यीशु मसीह के ऊपर विश्वास करने से प्राप्त होती है। पौलुस कहते हैं कि हम परमेश्वर के अनुग्रह को व्यर्थ नहीं ठहराते; क्योंकि यदि हमारे अच्छे कामों के द्वारा धार्मिकता होती तो मसीह का मरना व्यर्थ होता। (गलातियों 2:21)

बुराई और दुःख अस्तित्व में क्यों है? (Evil And Sorrow)
Contributed by Sweet Publishing

नूह के समय के दौरान “परमेश्वर ने देखा कि मनुष्यों कि बुराई पृथ्वी पर बढ़ गई है और उसके (मनुष्य) मन में जो कुछ भी उत्पन्न होता है वह निरंतर बुरा ही उत्पन्न होता है।” (उत्पत्ति 6:5) इसलिए परमेश्वर ने नूह और उस के परिवार को छोड़कर, इस दुनियां को जल प्रलय से ख़त्म कर दिया था। फिर भी हम इस बात को पाते हैं कि नूह के समय के विश्वव्यापी जल प्रलय के बावजूद भी बुराई को समाप्त नहीं किया गया था, क्योंकि यह हर पुरुष और स्त्री की आत्मा के कण में जुड़ा हुआ था। (उत्पत्ति 8:21)

प्रत्येक व्यक्ति पाप करने की क्षमता के साथ पैदा हुआ है। केवल परमेश्वर का छुटकारा देने वाला अनुग्रह और प्रभु के मार्ग पर चलने से ही व्यक्ति अपने भीतर की बुराई से ऊपर उठ सकता है। बाइबल की शेष कहानी फिर अच्छे और बुरे के बीच, सत्य और झूठ के बीच संघर्ष की कहानी है।

परमेश्वर ने शैतान और बुराई दोनों को क्यों मौजूद रहने दिया है?

1. कहीं न कहीं ये भी एक अच्छे उद्देश्य की पूर्ति करते हैं।

परमेश्वर ने शैतान और बुराई दोनों को इस दुनियां में इसलिए मौजूद रहने दिया है क्योंकि कहीं न कहीं बुराई और शैतान भी एक अच्छे उद्देश्य की पूर्ति करते है।

2. हम परमेश्वर के अवर्णनीय प्रेम को देखते हैं।

परमेश्वर ने शैतान और बुराई दोनों को इस दुनियां में इसलिए मौजूद रहने दिया है क्योंकि इस वजह से परमेश्वर को भी सभी मानवजाति के लिए अपने अवर्णनीय प्रेम और निस्वार्थ प्रेम को प्रकट करने का मौका मिलता है, जिसे हम प्रभु यीशु के धरती पर आने की योजना में स्पष्ट रूप से देख सकते हैं।

3. ताकि मानवजाति यह जान ले कि सृष्टि में शैतान की उपस्थिति और बुराई कितनी विनाशकारी है।

परमेश्वर ने शैतान और बुराई दोनों को इस दुनियां में इसलिए मौजूद रहने दिया है ताकि मानवजाति यह भी देख सके कि परमेश्वर की सृष्टि में शैतान की उपस्थिति और बुराई कितनी विनाशकारी है। जिससे मानवजाति परमेश्वर के साथ सहमत होगी कि बुराई को, परमेश्वर के राज्य में साथ-साथ मौजूद नहीं रहने देना चाहिए।

4. मानवजाति यह भी समझ जाएगी कि क्यों परमेश्वर को अंत में बुराई, शैतान, और जो उसके साथ है उन्हें अनंतकाल के लिए अपनी उपस्थिति से दूर करना होगा।

साथ ही साथ मानवजाति यह भी समझ जाएगी कि क्यों परमेश्वर को अंत में बुराई, शैतान, और जो उसके साथ है उन्हें अनंतकाल के लिए अपनी उपस्थिति से दूर करना होगा।

दुःख का अस्तित्व और उद्देश्य।

क्योंकि परमेश्वर की सृष्टि में बुराई की उपस्थिति है इसलिए दुख का अस्तित्व भी है, दुःख के कुछ प्रकार है:-

सामान्य प्रकार के दुःख

कुछ सामान्य प्रकार के दुःख होते हैं। जिसका अनुभव सभी मानव जाति करते हैं चाहे परमेश्वर के साथ संबंध में हो या ना हो इसके उदाहरण हैं:- प्राकृतिक आपदाएं, पशु संबंधी हमले, और बीमारी इत्यादि।

सामाजिक दुःख

एक सामाजिक दुःख भी होता है जो सामान्य रूप से समाज में बुराई के कारण होता है, जिसका कारण व्यक्तिगत प्रभाव भी हो सकता है और नहीं भी। उदाहरण के लिए मनुष्य के भीतर की बुरी इच्छाएं अंततः युद्ध का कारण बन जाती है, जिसमें बहुसंख्यक पीड़ित होते हैं।

योग्य दुःख

एक योग्य दुःख भी होता है जो स्वयं के कारणों से आता है। उदाहरण के लिए यदि कोई ऐसी चीज चुराता है जो उसकी नहीं है तो अधिक संभावना है कि देश के कानून के अनुसार उसको दंड दिया जाएगा। या यूं कहें कि व्यक्ति को उसकी करनी का फल मिल रहा है।

मसीही दुःख

एक मसीही दुःख भी है जो कि कष्ट या सताव है, जो एक व्यक्ति इसलिए अनुभव करता है क्योंकि वह यीशु मसीह का एक शिष्य है जो यीशु को परमेश्वर और उद्धारकर्ता के रूप में मानता है। सीधे शब्दों में कहें तो हम जो मसीही हैं एक ऐसी दुनियां में रहते हैं जो मसीही में हमारे विश्वास की विरोधी है। यह शत्रुता, परमेश्वर के प्रति शैतान के विद्रोह पर आधारित है यह शैतान की कपटी योजनाओं और झूठ से अंधे हो चुके लोगों द्वारा फैलाया जाता है।

सारांश।

हमें जो कि परमेश्वर के परिवार के सदस्य हैं, अपने आप को बुराई से अलग रहने को कहा गया है। हमारा भी बुराई और शैतान के साथ तब तक ही संघर्ष रहेगा, जब तक परमेश्वर के नए स्वर्ग और नई पृथ्वी के निर्माण का समय नहीं आता। नीतिवचन का लेखक लिखता है कि बुद्धिमान डरकर बुराई से हटता है। (नीतिवचन 14:16)

जब कोई व्यक्ति मसीह पर विश्वास करता है तो वह धीरे-धीरे सीखता है कि एक बुद्धिमान व्यक्ति को क्यों बुराई से मुड़ना है, लेकिन उसे यह भी सीखना चाहिए कि ऐसा प्रभावी रूप से कैसे किया जा सकता है?

जब हम नए नियम का अध्ययन करते हैं हम समझ सकते हैं कि परमेश्वर ने हमें सहायक अर्थात पवित्रात्मा इसलिए दिया है, ताकि हम आत्मा में चलकर अपने भीतरी मनुष्यत्व पर विजय प्राप्त कर सकें, और इस प्रकार बुरी इच्छाओं को अपने ऊपर हावी होने से रोक सकें।

आशा करता हूं कि आप हमारे जीवन में आने वाले दुखों के उद्देश्य को समझ गए होंगे। परमेश्वर पिता चाहते हैं कि एक मसीही होने के नाते हम इस विरोधी दुनियां में विश्वासयोग्य बने रहकर जीवन जीयें। ये कभी भी न भूलें कि अभी भी सब कुछ परमेश्वर के नियंत्रण में है। परमेश्वर आपसे प्यार करता है, परमेश्वर जीवन के हर क्षेत्र में आपकी अगुवाई और रक्षा करता है, वह सदैव हमारे साथ रहता है। वह विश्वासयोग्य परमेश्वर है।

शालोम

  1. आप प्रभु की सही शिक्षा दे रहे हैं। प्रभु यीशु ने हमारे उद्धार के लिए दुःख उठाया। तो संभव है कि हमें भी दुःख उठाना पड़े। सही मसीही शिक्षा देने के लिए आप मेहनत कर रहे हैं। आपकी हिम्मत और मेहनत के लिए आपको धन्यवाद्। प्रभु आपको आशीष और गूढ़ रहस्यों की समझ दे। आमीन

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Anand Vishwas
Anand Vishwas
आशा है कि यहां पर उपलब्ध संसाधन आपकी आत्मिक उन्नति के लिए सहायक उपकरण सिद्ध होंगे। आइए साथ में उस दौड़ को पूरा करें, जिसके लिए प्रभु ने हम सबको बुलाया है। प्रभु का आनंद हमारी ताकत है।

More articles ―

NLT ChronologicalLife Application Study Bible

The stunning full-color Chronological Life Application Study Bible is a refreshing way to experience God’s Story and a trusted way to apply it to life. Journey through the 10 eras of Bible history in a chronological Bible experience and gain a deeper understanding of God’s Word. Includes Life Application notes and features from the best-selling Life Application Study Bible as well as new features on Bible history and geography The Bible is arranged in 10 chronological sections that help the reader to see how the various pieces of the Bible fit together. Section intros and timelines set the stage for the passages in each section. Archaeological notes and photographs help to bring God’s story to life in a whole new way. And of course, the Life Application resources answer the all-important question—“so what?”