तुम पृथ्वी के नमक हो। (The Salt of the Earth)

तुम पृथ्वी के नमक हो। (What Does it Mean to Be the Salt of the Earth?)

Posted by Anand Vishwas

September 8, 2020

तुम पृथ्वी के नमक हो। (What Does it Mean to Be the Salt of the Earth?) आप दुनियां के नमक अर्थात अधिक सम्मानित व्यक्ति हैं। मती 5:13 के अनुसार प्रभु यीशु अपने अनुयाइयों को दुनियां का नमक कहते हैं। साथ ही साथ हमें चेतावनी भी देते हैं कि यदि नमक अपना गुण खो देता है अर्थात अपनी लवणता, तो वह किसी काम का नहीं है।

यदि प्रभु यीशु ने कहा कि हम इस दुनियां के नमक (The Salt of the Earth) हैं तो यह बहुत ही महत्व की बात है। यह बात आपको हैरान कर सकती है कि हमारे जीवन के महत्व को बताने के लिए प्रभु यीशु ने नमक के रूप में संदर्भित किया। हमें प्राकृतिक खाने वाले नमक को समझने की आवश्यकता है, जिसे यीशु ने हमारे जीवन की महत्वता को समझाने के लिए संदर्भित किया है।

आप पृथ्वी के नमक (Salt) हैं क्योंकि

नमक का कोई दूसरा विकल्प नहीं है।

प्रतिदिन की आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए हमारे पास चीनी, तेल और कई अन्य चीजों के विकल्प हैं जो कि हमारे प्रतिदिन के जीवन के लिए चाहिए। लेकिन नमक का कोई विकल्प नहीं है। दूसरे शब्दों में कहें तो हम नमक के बजाय किसी दूसरी वस्तु को उसके स्थान में नहीं जोड़ सकते हैं। उसकी जगह कोई दूसरी वस्तु नहीं ले सकती।

तुम पृथ्वी के नमक हो। (What Does it Mean to Be the Salt of the Earth?)
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उसी तरह कोई भी मसीही व्यक्ति की जगह नहीं ले सकता। आपको परमेश्वर ने अद्वितीय बनाया है कोई भी आपकी जगह नहीं ले सकता है। आप परमेश्वर की अनमोल रचना हैं। इसलिए प्रभु यीशु ने आपको दुनियां का नमक (the Salt of the Earth) कहा है तो कृपया दूसरों के साथ अपनी तुलना करना छोड़ दें। मसीही जीवन एक अद्वितीय जीवन है।

सभी को नमक की आवश्यकता होती है।

चाहे वह राजा हो, या भिखारी, पश्चिमी या पूर्वी, मसीही या अन्य, काला या गोरा, देशी या विदेशी, सभी लोगों को नमक की आवश्यकता होती है। नमक का हर घर में पाया जाना सभी घरों में एक आम बात है।

ठीक इसी प्रकार दुनियां को मसीहियों की जरूरत है क्योंकि केवल मसीहियों के माध्यम से ही दुनियां प्रभु यीशु मसीह के शुभ सन्देश को जानेगी।

नमक भोजन को स्वाद देता है।

हम सभी जानते हैं कि भले ही सबसे अच्छा बावर्ची भी कई मसालों के साथ भी खाना पकाए, पर अगर भोजन में नमक न हो तो भी भोजन का स्वाद नहीं आएगा। नमक के बिना हमारे लिए भोजन निगलना भी मुश्किल हो जाएगा। मुझे लगता है कि आप समझ रहे होंगे कि नमक कितना महत्वपूर्ण है। 

इसी प्रकार मसीहियों के बिना यह दुनियां बेस्वाद होगी। इसलिए हम जो मसीही हैं हमें हमारे आस-पास के लोगों के जीवन को स्वादिष्ट बनाने के लिए कहा जाता है।

नमक खाद्य पदार्थों को संरक्षित करता है।

इसे संरक्षित करने के लिए अचार में अच्छी मात्रा में नमक का उपयोग किया जाता है। क्योंकि समुद्र और समुद्र का पानी खारा होता है, यह सड़ने से अथवा नाश होने से बचाता है।

तुम पृथ्वी के नमक हो। (What Does it Mean to Be the Salt of the Earth?)
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हम मसीहियों को इस दुनियां को क्षय या नाश नहीं होने देना है। पाप इस दुनियां को नष्ट कर रहा है। वचन स्पष्टता से बताता है की सृष्टि कराह रही है और परमेश्वर के पुत्रों के प्रकट होने की बाट जोह रही है। आप परमेश्वर के पुत्र व पुत्रियाँ हैं क्योंकि आपने उसको ग्रहण किया है।

नमक का सफ़ेद रंग।

सफ़ेद रंग को पवित्रता का प्रतीक भी माना जाता है। यह मसीही जीवन की पवित्रता के बारे में कहता है। आप जानते ही हैं कि आपको पवित्र जीवन जीने के लिए बुलाया गया है क्योंकि आपको बुलाने वाला भी पवित्र है। 

पवित्रता एक मसीही का स्वभाव और पहचान है।

नमक आसानी से उपलब्ध होता है।

हालाँकि नमक का उपयोग बहुतायत से किया जाता है। फिर भी यह आसानी से उपलब्ध है। यह अपनी कीमत में भी सस्ता है। इसलिए हम मसीहियों को उन सभी लोगों के लिए आसानी से उपलब्ध होने की जरूरत है, जिन्हें हमारी जरूरत है। केवल हम लोगों के जीवन को स्वाद दे सकते हैं, केवल हम प्रत्येक घर में बदलाव ला सकते हैं।

सारांश।

कभी भी अपनी तुलना किसी से न करें क्योकि परमेश्वर ने आपको सबसे अलग बनाया है। आपकी जगह को कोई नहीं ले सकता है। आप परमेश्वर की अनमोल रचना हैं। इसलिए नमक के गुणों को कभी न भूलें आप समाज के सर्वश्रेष्ठ या सबसे महान तत्वों के प्रतिनिधि हैं।

आप यूनिक हैं और सभों को आपकी आवश्यकता है, आपको अपने जीवन में स्वाद रखना है क्योकि आपको इसे दूसरों को देना है, आपके पास जिम्मेदारी है कि सुसमाचार को लोगों तक पहुंचाएं ताकि लोग प्रभु यीशु पर  विश्वास करें और नाश न हों।

पवित्रता में बढ़ते जाएँ, आपके स्वभाव में पवित्रता पाई जाए। अपने जीवन तक लोगों की पहुँच को आसान बनाएं। अब शायद आप प्रभु यीशु के आशय को समझ पाए होंगे जो उनको आपको दुनियां का नमक (The Salt Of The Earth) कहने के पीछे था।

शालोम 

3 Comments

  1. Shyam

    Yes, we are salt of the earth and we are precious and valuable and we need to be keep taste in us and quality.

    Reply
    • Anand

      That’s why Jesus Said, “You are the Salt of the World”…. Thanks

      Reply
  2. Ranjeet Singh

    आमीन

    Reply

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anandvishwas

Anand Vishwas

आशा है कि यहाँ पर उपलब्ध संसाधन आपकी आत्मिक उन्नति के लिए सहायक उपकरण सिद्ध होंगे। आइए साथ में उस दौड़ को पूरा करें, जिसके लिए प्रभु ने हमें बुलाया है।