शैतान और पाप कहाँ से आया? (Where Did Satan And Sin Come From?) पिछले विषय “बुराई और दुख क्यों” में हमने बात किया था कि शैतान द्वारा किए गए कुटिल कार्यों से बुराई और पीड़ा उत्पन्न होती है और हमने यह भी देखा था कि शैतान ने पहले जोड़े को अदन के बगीचे में चालाकी से धोखा दिया था।
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लेकिन एक सवाल उत्पन्न होता है कि जिसे शैतान कहा जाता है वह आखिर आया कहाँ से? क्या परमेश्वर ने उसे दुष्ट बनाया था? यदि ऐसा है तो क्या परमेश्वर, दुनियां में बुराई और दुख के लिए दोषी या जिम्मेदार है? आइए आज इन सवालों के जवाब ढूंढें।
हो सकता है कि आज तक आप यही समझ रहे होंगे कि मेरा तो कोई और दुश्मन है पर आज आपके असली दुश्मन से आपको रूबरू करवाएंगे। सबसे पहले हम देखेंगे कि…
शैतान को एक बुरे प्राणी के रूप में नहीं बनाया गया था।
परमेश्वर के पवित्र वचन बाइबिल में शैतान के बारे में बहुत कुछ कहा गया है बाइबिल का अध्ययन करके हम सुरक्षित रूप से यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि परमेश्वर ने शैतान को एक बुरे प्राणी के रूप में नहीं बनाया था। क्योंकि परमेश्वर स्वयं सिद्ध है, पवित्र है और वह जो कुछ भी सोचता है और करता है वह भी सिद्ध और पवित्र है जिसमें उसकी सारी सृष्टि शामिल है।
बाइबिल का अध्ययन करके हम सुरक्षित रूप से यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि परमेश्वर ने शैतान को एक बुरे प्राणी के रूप में नहीं बनाया था।
शैतान, जिसका अर्थ है विरोधी इस दुष्ट का असल नाम नहीं था। बाइबल उसे हे चमकने वाले भोर के तारे के रूप में संबोधित करती है। (यशायाह 14:12-14)
इन आयतों में हम स्पष्ट रीति से देख सकते हैं कि जब उसको बनाया गया था, उसको निर्दोष और पवित्र बनाया गया था। परंतु उसका पाप था, अभिमान और यह सोच कि वह परमेश्वर के समान हो सकता है। वह मन में कहता था कि मैं मेघों से भी ऊंचे-ऊंचे स्थानों पर चढ़ जाऊंगा और परमप्रधान के तुल्य हो जाऊंगा। इस कारण से परमप्रधान परमेश्वर को उसका न्याय करना पड़ा और वह दोषी ठहराया गया।
इसके अलावा यहेजकेल 28:14-15 शैतान के असली स्वभाव के बारे में जानकारी देता है और फिर हम पौलुस को भी देखते हैं; जब वह प्राचीनों की योग्यता बता रहा था। वह कह रहा था कि वह नया चेला न हो; ऐसा न हो कि अभिमान करके शैतान का सा साथ दंड पाए। (1तीमुथियुस 3:6)
इससे हम स्पष्ट रीती से समझ सकते हैं कि शैतान के मन में घमंड आ गया था। वह परमेश्वर की बराबरी करना चाहता था और परमेश्वर के सिंहासन पर बैठना चाहता था। इसी वजह से उसको और उसके साथियों को स्वर्ग से गिरा दिया गया, जिन्हें आज हम शैतान और दुष्ट आत्माओं के नाम से जानते हैं। आज उनका काम है परमेश्वर के विरोध में काम करना, लोगों को परमेश्वर के विरुद्ध में बहकाना, बुराई में लगाना इत्यादि।
शैतान, परमेश्वर का कट्टर दुश्मन है।
यदि संक्षेप में कहें तो शैतान, परमेश्वर का कट्टर दुश्मन है और वह यह जानता है कि उसका अंत नर्क की उस आग में है जो उसके और उसके साथियों के लिए तैयार किया गया है। उसका उद्देश्य मानव जाति के लिए परमेश्वर के उद्देश्यों को पूरा होने में रुकावट डालना, बाधा डालना और विरोध करना, वह झूठ बोलेगा, घात करेगा, चोरी करेगा, वह प्रलोभन लेकर आएगा और वह विश्वासियों पर हमला करेगा, वह लोगों को ये भी धोखा देगा कि परमेश्वर वास्तव में न्याय और प्रेम करने वाला नहीं है।
उसने यीशु को भी क्रूस पर जाने से रोकने का पूरा-पूरा प्रयास किया। (मत्ती 4:1-11) इस युग में उसके पास विशाल शक्ति है कि वह समाज में बुराई के प्रसार को बढ़ावा दे और अधार्मिकता का प्रचार करे। यही कारण है कि परमेश्वर का वचन उसे संसार का सरदार (यूहन्ना 12:31 16:11) और आकाश के अधिकार का हाकिम कहता है। (इफिसियों 2:2)
शैतान के नाम और काम।
शैतान हमेशा से एक बुराई और एक दुष्ट के रूप में अस्तित्व में नहीं था। बाइबिल में कई नाम और रीति से उसका उल्लेख किया गया है:-
शैतान – जिसका अर्थ है विरोधी। (अय्यूब 1:6) यह शब्द 53 बार बाइबल में आया है।
इब्लीस – जिसका अर्थ है निंदक या दोष लगाने वाला यह शब्द बाइबिल में 34 बार आया है।
सर्प – जिसमें वो अपना भेष बदलकर बगीचे में आया था (उत्पत्ति 3:1-2, 2 कुरिन्थियों 11:3) जी हां आप सांप के चरित्र को पहचानते होंगे वह अपने आप को बहुत चालाक समझता है, बहुत तेज समझता है और इसी चतुराई से उसने अदन के बगीचे में हव्वा को भी बहकाया था। ये पुराना सांप सारे संसार को भरमाने वाला है। (प्रकाशितवाक्य 12:9, 14, 15)
अजगर – एक भयानक प्राणी के रूप में दर्शाते हुए। (प्रकाशितवाक्य अध्याय 12 और 13, 16:13, 20:2)
परखनेवाला – (मती 4:3) उसने यीशु की भी परीक्षा ली, पर जैसा कि आप जानते ही हैं कि परखनेवाला खुद ही हार गया। (1 थिसलुनिकियों 3:5) उसका काम परखना और प्रलोभन को लाना है।
एक दुष्ट – यह शब्द बाइबिल में 10 बार आया है। मती 13:19 जिसमें लिखा है कि वह बीज को छीन ले जाता है। पूरी दुनियां उस दुष्ट के वश में पड़ी है। (1 यूहन्ना 5:19)
भाइयों पर दोष लगाने वाला – प्रकाशितवाक्य 12:10 जिसमें इस प्रकार से लिखा है कि वह परमेश्वर के सामने भाइयों पर रात दिन दोष लगाता रहता है।
आकाश के अधिकार का हाकिम – इफिसियों 2:2
संसार का ईश्वर – 2 कुरिंथियो 4:4
संसार का सरदार – यूहन्ना 12:31, यूहन्ना 16:11
शैतान के स्वयं के पतन के अलावा हमें बाइबल से पता चलता है कि उसने परमेश्वर के विरुद्ध एक विद्रोह का नेतृत्व किया और कई अन्य स्वर्गदूतों को अपने साथ इस में भाग लेने के लिए प्रभावित किया। इसलिए मती 25:41 शैतान और उसके दूतों की बात करता है और प्रकाशितवाक्य 12:9, वे स्वर्गदूत जो शैतान के साथ मिल गए जिनका न्याय किया गया वह दुष्ट आत्मा या गिराए हुए दूत कहलाए जाने लगे।
शैतान के काम।
- इस प्रकार वह यहोवा परमेश्वर के विरुद्ध राष्ट्रों के अगुवों को मोड़ने का काम करता है। (भजन संहिता 2:1-2)
- वह मसीहियों पर सताव का कारण बनता है। (प्रेरितों 4:18-31, 8:1, 2 तीमुथियुस 3:12)
- वह अविश्वासियों के बुद्धि को अंधा कर देता है ताकि वे सुसमाचार पर विश्वास ना करें। (2 कुरिन्थियों 4:4)
- वह मसीहियों के जीवन को दुखदाई बना देता है, जिससे वे आशाहीन और निराश हो जाएं। (2 कुरिन्थियों 1:8-9)
- वह सुसमाचार और मिशनों की प्रगति में बाधा डालता है। (1 थिस्सलुनीकियों 2:18)
- वह कलीसिया में फूट डालने का काम करता है और विश्वासियों के बीच तालमेल को बिगड़ता है। (इफिसियों 4:3, फिलिपियों 4:2)
- अंततः वह अपना झूठा मसीह खड़ा करके उसे सशक्त बनाकर जो मसीह विरोधी या अधर्मी माना जाएगा। (2 थिस्सलुनीकियों 2:8-10, प्रकाशितवाक्य 13:2-4)
- मसीह के पुनरागमन और धरती पर उसके राज्य की स्थापना को रोकने की कोशिश करेगा।
अभी तक हम देख पाए की परीक्षाएं, सताव और दुख शैतान की गतिविधि का हिस्सा हैं। एक बार जब हम सुसमाचार पर विश्वास कर लेते हैं और प्रभु यीशु मसीह की और फिर जाते हैं तो हम स्वयं को शैतान का निशाना और एक दुश्मन बना लेते हैं जिसे वह कुचलने के लिए तैयार रहता है।
हमारे प्रभु यीशु का धन्यवाद हो क्योंकि हम जानते हैं कि हम जीतने वाले की ओर हैं। परमेश्वर का धन्यवाद हो जो मसीह में सदा हमको जय के उत्सव में लिए फिरता है। (2 कुरिन्थियों 2:14-16)
शैतान के बारे में जानने की जरुरत क्यों?
अभी तक आपने देखा होगा कि हम ने इस विषय में शैतान के बारे में बहुत बात किया। वह इसलिए कि मसीहियों के लिए शैतान को समझना जरूरी है कि वह कैसे काम करता है। उसकी रणनीति, चालाकी, धूर्तता और चालों को समझना जरूरी है।
मेरे प्रियो, हमें याद रखने की जरूरत है कि हम एक आत्मिक युद्ध में है और हमारी लड़ाई लहू और मांस से नहीं है। यह आत्मिक लड़ाई है इसलिए हमें अपने शत्रु और उसके काम करने के तरीके को समझना होगा तभी हम उसका सामना कर पाएंगे और उसको हरा पाएंगे क्योंकि वह पहले से ही हारा हुआ है।
चलिए साथ में प्रार्थना करते हैं: सर्वशक्तिमान पिता परमेश्वर आपका धन्यवाद देते हैं पिता, कि आज आपने हमें मौका दिया कि हम इन वचनों के द्वारा अपने विरोधी शैतान के बारे में कुछ सीख सकें ताकि हम उसकी चालों को पहचान कर उसका सामना कर सकें, उसके विरुद्ध खड़े रह सके और प्रभु हमारे जीवन के द्वारा हम आप की महिमा कर सकें। यीशु के नाम से मांगता हूँ। आमीन।
Thanks for sharing
इस पोस्ट के माध्यम से शैतान के बारे में जानने का अवसर मिला धन्यवाद देता हूं इस पोस्ट को डालने के लिए
आपका भी धन्यवाद, पढ़ने के लिए
बहुत बहुत धन्यवाद आप सब का जो आप प्रभु के वचन को हम लोगों तक पहुंचाते हैं आप को मेरी ओर से और कलीसिया की ओर से धन्यवाद…