प्रार्थना में क्या माँगें? (Give Me Prayer)

प्रार्थना में क्या माँगें? (Give Me Prayer)

Posted by Anand Vishwas

May 11, 2021

प्रार्थना में क्या माँगें? (Give Me Prayer) “मुझे दीजिए” प्रार्थना में परमेश्वर से क्या माँगें? आज हम फिर से प्रार्थना के बारे में बात करने जा रहे हैं। प्रार्थना में हम क्या मांगते है? यह बात बहुत मायने रखती है क्योंकि यह बात हमारी आत्मिक परिपक्वता को भी प्रदर्शित करती है। हाँ प्रार्थना परमेश्वर के साथ हमारे रिश्ते को घनिष्ठ बनाने का माध्यम भी है और प्रार्थना का दूसरा हिस्सा अपनी आवश्यकताओं को, अपनी बातचीत के द्वारा परमेश्वर के समक्ष रखना भी है। प्रार्थना में आपको ये बातें अपने लिए भी मांगना जरूरी है क्योंकि प्रभु के भक्त लोग भी अपने लिए प्रभु से इन प्रार्थनाओं को किया करते थे। आइए सबसे पहले राजा सुलैमान के बारे में बात करें।  

बुद्धि और ज्ञान के लिए प्रार्थना।

राजा दाऊद के बाद जब सुलैमान राजा बना तो एक दिन प्रभु ने सुलैमान को दर्शन में बात की और कहा, “जो कुछ तू चाहे कि मैं तुझे दूं, वह मांग” तब राजा सुलैमान ने जो भी प्रभु से माँगा वो सच में सराहनीय है। सुलैमान ने कहा कि प्रभु आपके उपकार हमारे जीवन में बहुत हैं, आपने मेरे पिता को चरवाहे से राजा बना दिया और उसके बाद यह जिम्मेदारी मुझे भी सौंप दी अब मुझे आप बुद्धि और ज्ञान दें (“GIVE ME WISDOM AND KNOWLEDGE”) ताकि मैं आपके लोगों की अगुवाई कर सकूँ, क्योंकि ऐसा कौन है जो आपकी इतनी बड़ी प्रजा का न्याय कर सके। (2 इतिहास 1:10) ध्यान दें उन्होंने बुद्धि और ज्ञान इसलिए माँगा ताकि वे लोगों की अगुवाई कर सकें

“Give me wisdom and knowledge, that I may lead this people, for who is able to govern this great people of yours?”

2 Chronicles 1:10 NIV

मेरे प्रिय यदि आपको भी ऐसा मौका मिले तो आप क्या मांगेंगे? मुझे मालूम है ज्यादातर लोग तो सिर्फ सांसारिक सुख-शांति और भौतिक वस्तुओं की ही मांग करेंगे। पर हमें यहाँ राजा सुलैमान से सीखने की आवश्यकता है कि हम भी प्रभु से बुद्धि और ज्ञान मांगें ताकि हम भी एक अच्छे पथ प्रदर्शक बन सकें। 

प्रार्थना में क्या माँगें? (Give Me Prayer)
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याद रखिये, बुद्धि और ज्ञान के सब सोते परमेश्वर के पास ही है। अपने जीवन में परमेश्वर का आदर करना बुद्धि की शुरुआत है (नीतिवचन 1:7) क्योंकि बुद्धि परमेश्वर ही देता है; ज्ञान और समझ की बातें उसी के मुंह से निकलती हैं। (नीतिवचन 2:5) इसलिए याकूब भी स्पष्ट करता है कि यदि किसी को बुद्धि की घटी हो तो परमेश्वर से मांगें जो बिना झिड़की, हमें उदारता से देता है। (याकूब 1:5) आज हमारे दैनिक जीवन के हर क्षेत्र में, हर निर्णय के लिए बुद्धि की आवश्यकता है। यहाँ तक कि जो ज्ञान हमें प्राप्त हुआ है उसी बुद्धि के द्वारा ही इस्तेमाल किया जाता है।

अविभाज्य ह्रदय के लिए प्रार्थना।

राजा दाऊद जो कि राजा सुलैमान के पिता थे, बहुत प्रार्थना करने वाले व्यक्ति थे। वो एक ऐसे व्यक्ति थे जिसे परमेश्वर के ह्रदय अनुरूप व्यक्ति कहा जाता था। वो प्रार्थना करते हैं कि प्रभु मुझे आप एक मन अर्थात एक चित करें (Give me an undivided heart) ताकि मैं आपका भय मानूं। (भजन संहिता 86:11) यहाँ जो भय मानने वाली बात हो रही है इसका मतलब यह नहीं है कि हम प्रभु के सामने कांपते रहें, इसका मतलब है प्रभु का आदर करना, प्रभु को प्राथमिकता देना, प्रभु को अपने जीवन में सर्वोच्च स्थान देना। 

Teach me your way, Lord, that I may rely on your faithfulness; give me an undivided heart, that I may fear your name.”

Psalms 86:11 NIV

हमें भी उनसे सीखने की आवश्यकता है कि हम भी प्रभु का भय मान सकें अर्थात जो आदर प्रभु को मिलना चाहिए वो आदर हम प्रभु को दें। हम अपने विचारों में चंचल व्यक्ति न बनें बल्कि एक स्थिर व्यक्ति बने रहें, क्योंकि स्वाभाव में चंचलता एक दुष्ट व्यक्ति की पहचान है। (भजन संहिता 1:4-6) चंचलता, अविश्वास को भी प्रकट करती है। ऐसा व्यक्ति न तो परमेश्वर को प्रसन्न कर सकता है और न ही परमेश्वर से कुछ प्राप्त कर सकता है, क्योंकि वह तो समुद्र की लहर के समान हवा से उछाला जाता है। (इब्रानियों 11:6, याकूब 1:6-8) इसलिए मेरे प्रियो, आइये हम भी अपने लिए प्रार्थना करें कि प्रभु हमें अविभाज्य ह्रदय दे ताकि हम प्रभु का आदर कर सकें।

समझ के लिए प्रार्थना।

वही राजा दाऊद ये भी प्रार्थना करते हैं कि मुझे आप समझ दें (GIVE ME UNDERSTANDING) ताकि मैं आपके नियमों का पालन सम्पूर्ण हृदय से कर सकूँ। (भजन संहिता 119:34) मेरे प्रिय क्या आप भी इतने गंभीर हैं इस विषय में? क्या आप भी परमेश्वर के नियमों, व्यवस्था के माननेवाले अर्थात परमेश्वर के आज्ञाकारी होना चाहते हैं? यदि हाँ तो आप भी प्रभु से समझ मांगे ताकि आप भी उसकी व्यवस्था को पकड़े रहें और सम्पूर्ण हृदय से उसके आज्ञाकारी हों। 

Give me understanding, so that I may keep your law and obey it with all my heart.”

Psalms 119:34 NIV

यह बात तो हर प्रकार से मानने योग्य है कि परमेश्वर का वचन ही हमें समझदार बना सकता है। (2 तीमुथियुस 3:15) परमेश्वर की व्यवस्था तो प्राणों को बहाल करती है (भजन संहिता 19:7), वो तो मधु से भी मीठी है। (भजन 119:103)

परमेश्वर का वचन तो हमारा पथप्रदर्शक है। परमेश्वर की व्यवस्था अर्थात उसका वचन हमारे पावों के लिए दीपक और रास्ते के लिए उजाला भी है। (भजन 119:105) दाऊद कहते हैं कि तेरे उपदेशों के कारण मैं समझदार हो जाता हूँ। (भजन 119:104) क्या आप भी परमेश्वर के नियमों का पालन सम्पूर्ण ह्रदय से करना चाहते हैं? तो आप भी अपने लिए ऐसी प्रार्थना कर सकते हैं।

प्रार्थना में क्या माँगें? (Give Me Prayer)
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हम परमेश्वर के हाथों की रचना हैं उसने हमें बनाया है। हमें उसकी आज्ञाओं को सीखने की आवश्यकता है। हम भी प्रभु से प्रार्थना करें कि “प्रभु मुझे समझ दे” कि मैं तेरी आज्ञाओं को सीखूं। (भजन संहिता 119:73) क्या हम भी परमेश्वर की चितौनियों  को समझना चाहते हैं? परमेश्वर ही हमें वो परख दे सकता है जिससे हम उसकी चितौनियों को समझ सके। (भजन संहिता 119:125)

हमें जीने के लिए समझ की आवश्यकता है। (भजन संहिता 119:144) हमें समझदारी के साथ प्रार्थना करने की आवश्यकता है ताकि हमारी प्रार्थनाओं की पहुँच प्रभु तक हो। (भजन संहिता 119:169)

संतुलित जीवन के लिए प्रार्थना।

हमें परमेश्वर के इन लोगों के जैसे ही संतुलित जीवन शैली के लिए भी प्रार्थना करनी चाहिए। कि मुझे न निर्धन कर और न धनी बना; ऐसा नहीं होना चाहिए कि जब पेट भर जाये तो हम परमेश्वर को ही भूल जाएँ और ऐसा भी न हो की गरीबी के कारण अपना भाग खोकर चोरी करें और परमेश्वर का नाम अनुचित रीति से लें। (नीतिवचन 30:8-9) क्या आपको स्मरण है जब एक धनवान व्यक्ति प्रभु यीशु के पास यह जानने के लिए आया कि अनंत जीवन का अधिकारी होने के लिए वह क्या करे? ऐसा क्या था जिसके कारण उसने प्रभु यीशु के निमंत्रण को भी ठुकरा दिया? वह बहुत धनी था।

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शायद वह सुखविलास को छोड़ना नहीं चाह रहा था। तब याद कीजिये यीशु ने क्या कहा था, “धनवानों का परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करना कैसा कठिन है!” (मरकुस 10:23) क्या धनवान होना गलत है? जी नहीं, पर धन पर भरोसा रखना गलत है। अपने धन को परमेश्वर के राज्य के लिए इस्तेमाल न करना गलत है। अक्सर धनवान लोग यह भूल जाते हैं कि परमेश्वर ही है जो उन्हें धन-सम्पति प्राप्त करने के लिए सामर्थ देता है। जिससे वे परमेश्वर का अपमान करते हैं।

हमें अपने आप को हर प्रकार के लोभ से बचा कर रखना है, क्योंकि किसी का भी जीवन उसकी सम्पति की बहुतायत से नहीं होता बल्कि परमेश्वर के अनुग्रह से होता है। (लूका 12:15) कई बार ऐसे लोगों की नजर अपनी डेवड़ी पर के जरुरतमंदों की ओर भी नहीं जाती। (लूका 16:19-31) इसलिए हमें अपने जीवन को संतुलित बनाये रखना है और इसके लिए प्रार्थना भी करना है ताकि हम परमेश्वर का अनादर न कर सके।

व्यर्थ और झूठी बात मुझ से दूर रख; मुझे न तो निर्धन कर और न धनी बना; प्रतिदिन की रोटी मुझे खिलाया कर। ऐसा न हो कि जब मेरा पेट भर जाए, तब मैं इन्कार करके कहूँ कि यहोवा कौन है? या अपना भाग खोकर चोरी करूँ, और अपने परमेश्‍वर का नाम अनुचित रीति से लूँ। (नीतिवचन 30:8-9)

“Keep falsehood and lies far from me; give me neither poverty nor riches, but give me only my daily bread. Otherwise, I may have too much and disown you and say, ‘Who is the Lord?’ Or I may become poor and steal, and so dishonor the name of my God.”

Proverbs 30:8-9

Give Me Prayer Chart.

पवित्रशास्त्रकौन?मुझे दे – क्या?मुझे इसकी आवश्यकता क्यों है?
2 इतिहास 1:10सुलैमानबुद्धि और ज्ञान परमेश्वर के लोगों की अगुवाई के लिए
भजन संहिता 86:11दाऊदअविभाज्य ह्रदयताकि मैं प्रभु का भय मान सकूँ
भजन सहिंता 119:34दाऊदसमझ ताकि मैं परमेश्वर की व्यवस्था का आज्ञापालन कर सकूँ और उनको अपने हृदय में रख सकूँ
भजन सहिंता 119:73दाऊदसमझताकि परमेश्वर की आज्ञाओं को सीखूं
भजन सहिंता 119:144दाऊदसमझताकि मैं जीवित रहूँ
भजन सहिंता 119:169दाऊदसमझताकि मेरी प्रार्थना प्रभु तक पहुँच सके
भजन सहिंता 119:125दाऊदपरख  ताकि मैं आपकी विधियों को समझ सकूँ
नीतिवचन 30:8-9सुलैमानन गरीब न धनी बनाताकि मैं प्रभु को अस्वीकार न कर सकूँ और प्रभु का अनादर न कर सकूँ 
Give Me Prayer

जैसा कि हमने बात किया था कि हमारी प्रार्थना शैली हमारी आत्मिक परिपक्वता को प्रदर्शित करती है। परमेश्वर हमें सब कुछ जो जीवन और भक्ति से सम्बन्ध रखता है देने की सामर्थ रखता है। वह अपने खोजियों को किसी भली वस्तु की कमी होने नहीं देता है। वह हमारा अच्छा चरवाहा है। बस हम उससे मांगें, वह विश्वासयोग्य परमेश्वर है। उससे प्राप्त बुद्धि, ज्ञान, अविभाज्य ह्रदय और समझ हमें संतुलित जीवन जीने में सहायता करती है जिससे हम परमेश्वर की इच्छा को जानकर, उसके योग्य आदर और महिमा प्रदान कर सकते हैं।

“प्रभु का भय मानना यही बुद्धि है; बुराई से दूर रहना यही समझ है” – अय्यूब 28:28 HINDI-BSI


4 Comments

  1. Shrishti Raahi

    Hallelujah hallelujah. Praise Jesus Christ 🙏🏻

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  2. Naresh Chhetri

    Blessed teaching
    God bless u brother

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  3. Manoj Rajta

    Bhai ji, bahut badia teaching hai. Parmeshwer aapko aashish de.

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anandvishwas

Anand Vishwas

आशा है कि यहाँ पर उपलब्ध संसाधन आपकी आत्मिक उन्नति के लिए सहायक उपकरण सिद्ध होंगे। आइए साथ में उस दौड़ को पूरा करें, जिसके लिए प्रभु ने हमें बुलाया है।