क्या सीखने के लिए प्रार्थना करें? (Teach Me Prayer) आज के समय में बहुत से लोग प्रार्थना को तवज्जो नहीं देते हैं। अधिकतर मसीही लोग आज दुनियां की भीड़ में खोते ही जा रहे हैं। मसीही लोग अगर प्रार्थना करने प्रभु के पास आते भी हैं तो एक लंबी शॉपिंग लिस्ट लेकर। जिसे देखकर कई बार लगता है कि मसीही लोग अपने स्वर्गीय पिता से कितनी दूर हैं, उनका रिश्ता तो एक दुकानदार और ग्राहक जैसा प्रतीत होता है। इस प्रकार वे प्रभु के साथ अपने संबध के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
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कितने स्वार्थी हो गए हैं मसीही लोग भी! है ना! बस जब-जब कुछ जरूरत हो तो प्रभु के सामने अपनी लंबी सी लिस्ट लेकर जाएं और प्रभु से मांगना शुरू कर दें। आपको क्या लगता है? क्या हमें मसीही होकर अपने पिता की इच्छा को जानना आवश्यक नहीं?
वो तो एक उत्तम गुरु है। एलिहू कहता है कि उसके समान शिक्षक कौन है? (अय्यूब 36:22) अतः जब वो एक उत्तम शिक्षक है तो क्या हमें भी ये आवश्यकता नहीं है कि हम उससे मांगे अथवा वो हमें सिखाए? परमेश्वर तो महान है और हमारे ज्ञान से कहीं परे हैं। उसके विचार और हमारे विचारों में जमीन और आकाश का अंतर है। तो क्या हमें यह नहीं मांगना चाहिए कि उसने जो हमें जीवन दिया है बुद्धिमानी के साथ व्यतीत करें।
आज के खोजकर्ताओं की खोज उस पिता की उत्तम बुद्धि का वर्णन करती है। जब हम परमेश्वर की बनाई हुई सृष्टि को देखते हैं तो क्या आपने गौर किया कि उसने हर चीज को कितनी सूक्ष्मता के साथ बनाया है यहां तक कि उसने मानव को भी उसने बड़ी सूक्ष्मता से बनाया है।
इसलिए कई विद्वान प्रभु से प्रार्थना करते हैं कि प्रभु उन्हें सिखाए। आइए बाइबल से कुछ उदाहरण देखते हैं…
मुझे अपनी गति सिखा दे ताकि मैं तुझे जान सकूं।
मसीही होने के नाते हमारा यह कर्तव्य भी है कि हम मसीह को जाने, अन्यथा प्रभु के पीछे चलना निरर्थक होगा। पृथ्वी का सबसे नम्र व्यक्ति मूसा प्रार्थना करता है कि प्रभु यदि आप मुझसे प्रसन्न हैं और आपके अनुग्रह की दृष्टि मुझ पर है तो मुझे अपने रास्ते अथवा अपनी गति सिखाएं ताकि मैं आपको जान सकूं। (निर्गमन 33:13) कितनी सुंदर बात है न! मूसा को प्रभु से बातचीत करते हुए काफी समय हो गया है और अभी भी मूसा प्रभु को जानना चाहता है।
मेरे प्रिय, हो सकता है कि आप जन्मजात मसीही हो, अथवा कुछ सालों या महीनों से यीशु के अनुयाई हो। फिर भी हमें प्रभु को जानने की आवश्यकता है। और हमें भी प्रार्थना करने की आवश्यकता है कि हम प्रभु के मार्गों को समझें और उसे जाने। बिना मसीह को जाने यदि हम कहते रहें कि हम मसीही हैं तो उसका कोई लाभ नहीं होगा। मसीही होने के नाते हमारा कर्तव्य भी है कि हम प्रभु के साथ घनिष्ठता में भी बढ़ते जाएँ। ध्यान दे, परमेश्वर को जानना महत्वपूर्ण है इसलिए हमें अपनी प्रार्थना में ये भी मांगना चाहिए कि हम परमेश्वर के मार्गों को सीखें ताकि हम उसे जान सकें। (निर्गमन 33:13)
If you are pleased with me, teach me your ways so I may know you and continue to find favor with you. Remember that this nation is your people.”
Exodus 33:13 NIV
मुझे अपना मार्ग सिखा ताकि मैं तेरी विश्वासयोग्यता में चल सकूं।
क्या आपने गौर किया कि प्रभु का दास दाऊद राजा भी इसी प्रकार प्रार्थना करता है? कि प्रभु मुझे अपने मार्ग सिखा। ताकि मैं सत्य मार्गों पर चल सकूं। (भजन संहिता 86:11)
इस वक्त संसार में हर कोई अपने अपने मार्ग पर चला हुआ है। इसी बीच में प्रभु का भय मानने वाला व्यक्ति प्रभु से प्रार्थना करता है कि प्रभु उसे अपने मार्ग सिखाए, ताकि वह उन सत्य मार्गों पर विश्वासयोग्यता से चल सकें।
क्या आप अपनी विश्वासयोग्यता के प्रति गंभीर हैं? प्रभु तो पहले से विश्वासयोग्य है। क्या आपको लगता है कि जब दाऊद राजा होकर भी प्रभु से अपने मार्ग सिखाने के लिए प्रार्थना करता है तो क्या आपको और मुझको भी ऐसी ही प्रार्थना नहीं करना चाहिए? हमें अवश्य सत्य मार्ग पर चलते रहने के लिए प्रार्थना करना चाहिए क्योंकि परमेश्वर के साथ चलना महत्वपूर्ण है।
आपको और मुझको प्रभु ने विशेष जिम्मेदारी दी है। प्रभु चाहता है कि जो कुछ भी हमें सौंपा गया है हम उसमें विश्वासयोग्य रहें, और सत्य मार्ग पर चलते रहें।
Teach me your way, Lord , that I may rely on your faithfulness; give me an undivided heart, that I may fear your name.
Psalms 86:11 NIV
मुझे अपने दिन गिनना सिखा ताकि मैं बुद्धिमान हो जाऊं।
मूसा अपने जीवन के प्रति गंभीर है। वो जानता है कि पृथ्वी पर हमारा जीवन थोड़े समय के लिए है। मूसा कहता है कि हमारा जीवन तो पिछले दिन की तरह है जो बीत गया, वो तो एक पहर के समान है, मनुष्यों का जीवन इस धरती पर स्वप्न के जैसा है, घास के समान है। तो फिर हम क्यों घमंड के साथ अपना जीवन बितायें?
मूसा प्रार्थना करता है कि प्रभु मुझे अपने दिनों को गिनना सिखाएं ताकि मैं बुद्धिमानी के साथ अपने जीवन को व्यतीत कर सकूं। (भजन संहिता 90:12)
क्या आप भी अपने जीवन के प्रति गंभीर हैं? या फिर आप भूल गए हैं कि हम इस दुनियां में थोड़े समय के लिए है? ध्यान दें, धरती पर हमारा जीवन एक उद्देश्य के साथ है, इसे बर्बाद न करें। निश्चय ही हमें भी इसी प्रकार प्रार्थना करना चाहिए ताकि हम अपने समय को, अपने जीवन को और अपने धन को सही तरीके से इस्तेमाल सीख सकें।
Teach us to number our days, that we may gain a heart of wisdom.
Psalms 90:12 NIV
मुझे अपनी विधियों का मार्ग सिखा दे ताकि मैं उन्हें अंत तक पकड़ रखूं।
भजनकार प्रार्थना करता है कि प्रभु मुझे अपनी विधियों का मार्ग सिखा दें, ताकि मैं अंत तक उनके अनुसार अपना जीवन व्यतीत कर सकूं। (भजन संहिता 119:33) बहुत बार हम अपनी ही विधियों के अनुसार या सांसारिक विधियों के अनुसार जीवन बिताते रहते हैं, जिस कारण से हम भटकते रहते हैं। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि जिस परमेश्वर ने हमें बनाया है उसने हमारे लिए अपने बहुमूल्य निर्देश भी दिए है। वो चाहता है कि हम उन निर्देशों अथवा विधियों के अनुसार अपना जीवन बिताएँ।
परमेश्वर की विधियाँ जो उन्होंने हमें अपने पवित्रशास्त्र में दी हैं वे बहुत बहुमूल्य हैं। उनमें हमारे जीवन के लिए सभी बातें पहले से बता दी गई हैं, क्योंकि पवित्रशास्त्र हमारे लिए परमेश्वर की निर्देशिका है। इसलिए यह बहुत जरुरी हो जाता है कि हम उनको मानना सीखें और उनको अंत तक पकड़े रहें।
मेरे प्रिय, अब भी समय है। अपने जीवन के प्रति गंभीर हो जाइए और प्रभु के इन जनों के जैसे ही अपने लिए प्रार्थना करते रहें। जिससे आप प्रभु की इच्छा को जानकर पूरा कर सकें।
Teach me, Lord , the way of your decrees, that I may follow it to the end.
Psalms 119:33 NIV
मुझे अपनी इच्छा को पूरी करना सिखा।
जैसे कि हमने पहले ही बात कर दी है कि हमें प्रभु ने बनाया है। इससे यह बात तो साफ हो जाती है कि बनाने वाले ने हमें अपने लिए बनाया है ताकि हम उसकी इच्छा को पूरा कर सकें। प्रभु यीशु के धरती पर आगमन से यह बात तो स्पष्ट हो जाती है कि परमेश्वर चाहता है कि कोई भी प्राणी नाश न हों पर सभी अनंत जीवन को प्राप्त करें।
प्रभु यीशु ने यह जिम्मेदारी हमें भी दी है कि हर एक जन प्रभु के उद्धार की योजना पर विश्वास करें। पर फिर भी ज्यादातर मसीही लोग सुसमाचार सुनाने को राजी नहीं, क्योंकि उन्हें सिर्फ इस बात से संतुष्टि है कि वे अनंत विनाश से बच गए हैं।
पर क्या आप जानते हैं कि प्रभु की इच्छा सम्पूर्ण जगत के लिए क्या है? यही कि कोई भी नाश न हो एक भी नहीं। कुछ मसीही लोग ये भूल गये हैं कि वे भी परमेश्वर के सहकर्मी हैं। हम सभी को अपने जीवन में परमेश्वर की इच्छा को पूरी करना आवश्यक है, क्योंकि वह हमारा परमेश्वर पिता है। राजा दाऊद इस बात को भली भांति जानते थे, इसलिए वे परमेश्वर की इच्छा को पूरा करना सीखना चाहते थे। यह इतना महत्वपूर्ण था कि उन्होंने इसे अपनी प्रार्थना में शामिल किया था। (भजन संहिता 143:10) ध्यान दें, परमेश्वर की इच्छा को पूरा करना बहुत महत्वपूर्ण हैं। आइये हम भी प्रार्थना करें कि मुझे अपनी इच्छा को पूरी करना सिखा।
Teach me to do your will, for you are my God; may your good Spirit lead me on level ground.
Psalms 143:10 NIV
हमें प्रार्थना करना सिखा।
हम बहुत बार प्रार्थना तो करते हैं पर क्या हमें प्रार्थना करनी आती है? मैंने कई बार महसूस किया है कि जब हम प्रार्थना करते हैं तो हमें खुद भी मालूम नहीं होता कि हमने क्या प्रार्थना किया है। ऐसा इस कारण भी हो सकता है जब हम सिर्फ औपचारिकता पूरी करने के लिए प्रार्थना करते हैं। क्या हम भी प्रभु यीशु के शिष्यों की तरह ये मांग सकते हैं कि हमें प्रार्थना करना सिखाएं। (लूका 11:1)
वे ऐसा इसलिए मांग पाए क्योंकि उन्होंने अपनी प्रार्थमिकता को पहचाना। उन्होंने इस बात पर गौर किया कि यूहन्ना ने भी अपने चेलों को प्रार्थना करना सिखाया था और हम यह भी कह सकते हैं कि वे प्रभु यीशु के प्रार्थना को प्रार्थमिकता वाले जीवन को देखकर भी प्रभावित थे। इसलिए हमारे लिए भी यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि हम प्रार्थना करना सीखें।
One day Jesus was praying in a certain place. When he finished, one of his disciples said to him, “Lord, teach us to pray, just as John taught his disciples.”
Luke 11:1 NIV
Teach Me Prayer Chart
पवित्रशास्त्र | कौन? | किसे? | क्या? | क्यों? | अतिआवश्यक |
निर्गमन 33:13 | मूसा | मुझे | परमेश्वर के मार्ग | ताकि मैं आपको जान सकूँ | परमेश्वर को जानना |
भजन संहिता 86:11 | दाऊद | मुझे | आपके मार्ग | ताकि मैं तेरे सत्य मार्ग में चलूँ | परमेश्वर के साथ चलना |
भजन संहिता 90:12 | मूसा | हमें | अपने दिनों को गिनना | ताकि हम बुद्धिमान हो जाएँ | धरती पर समय |
भजन संहिता 119:33 | दाऊद | मुझे | विधियों का पालन | तब मैं उन्हें अंत तक पकड़े रहूँगा | परमेश्वर की व्यवस्था का पालन |
भजन संहिता 143:10 | दाऊद | मुझे | आपकी इच्छा को पूरा करना | क्योंकि आप मेरे परमेश्वर हैं | परमेश्वर की इच्छा पूरा करना |
लूका 11:1 | प्रेरित | हमें | प्रार्थना करना | उन्होंने अपनी प्रार्थमिकता को देखा | प्रार्थना करना |
हम कैसे प्रार्थना करते हैं? यह बात स्पष्ट करती है कि हम अपने जीवन के प्रति और परमेश्वर की इच्छा को पूरी करने के प्रति कितने गंभीर हैं। इस जीवन में यह बहुत आवश्यक है कि अपने रचयिता पिता परमेश्वर को जाने, उसके साथ चलें, धरती पर के जीवन को बुद्धिमानी के साथ व्यतीत करें, परमेश्वर के नियमों का अनुसरण करें, परमेश्वर की इच्छा को पूरा करें और उससे प्रार्थना करते रहें। हमें प्रभु के इन जनों जैसे प्रार्थना करना जरुर सीखना चाहिए। आप भी इन्हें अपनी दैनिक प्रार्थना बनाएं कि प्रभु आपको सिखाये।
शालोम