बुद्धिमानी से खर्च कैसे करें? (How To Spend Wisely?) बहुत बार हम खुमारी से भर कर बिना सोचे समझे खर्च कर देते हैं, जिसका खामियाज़ा हमें समय आने पर भुगतना पड़ता है। परमेश्वर के वचन में हमारे खर्च करने के विषय में भी कई सिद्धांत दिए गए हैं। एक मसीही को खर्च करते समय अनंत काल को ध्यान में रखना चाहिए।
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खर्च करने के सिद्धांत।
संतुष्ट रहना सीखें।
पवित्र वचन में संतोष शब्द का उपयोग सात बार किया गया है और छः बार उसका संबंध रुपये – पैसे से है। पौलुस कहता है कि मैंने अपनी घटती में यही सीखा है कि मैं जिस दशा में हूँ, उसी में सन्तोष करूं। क्योंकि मैं दीन होना भी जानता हूँ और बढ़ना भी जानता हूँ; हर एक बात और सब दशाओं में मैंने तृप्त होना, भूखा रहना, और घटना-बढ़ना सीखा है। जो मुझे सामर्थ देता है, उसमें मैं सब कुछ कर सकता हूँ। (फिलिप्पियों 4:11-13) पौलुस के जीवन में हम देखते हैं कि उसने संतुष्ट रहना सीखा। हम में से किसी को भी संतुष्ट रहने का गुण जन्मजात नहीं मिला है।
संतुष्टि एक आत्मिक शांति है। आत्मिक पिता होने के नाते परमेश्वर ने जो भी हमारे वर्तमान कार्य और आर्थिक स्थिति के लिए चुना है, संतुष्टि उसे धन्यवाद के साथ ग्रहण करती है। आपके पास जो भी है, आपको उसमें संतोष रखना चाहिए। क्योंकि परमेश्वर आपको कभी नहीं छोड़ेगा और न त्यागेगा। (इब्रानियों 13:5) आपका स्वभाव लोभ रहित होना चाहिए।
लालच से दूर रहें।
लालच का अर्थ होता है किसी दूसरे की सम्पति का मोह करना और पवित्रशास्त्र इसका विरोध करता है। पवित्र शास्त्र हमें बताता है कि हमें लालच नहीं करना है फिर चाहे वो किसी का घर हो या किसी की स्त्री या किसी के नौकर-चाकर या फिर किसी के जानवर, हमें दूसरे की किसी भी चीज का लालच नहीं करना है। (निर्गमन 20:17) हमें लालच नहीं करना है बल्कि संतुष्ट रहना है। लालच पाप और बुराई को बढ़ावा देता है, और जीवन में दुःख को उत्पन्न करता है। पैसे का लालच अथवा प्रेम हर प्रकार की बुराइयों की जड़ है।
परमेश्वर पर भरोसा रखें कि वह हमारी जरूरतों को पूरा करेगा।
कभी भी अपनी समझ का सहारा न लेना बल्कि पूरे मन से परमेश्वर पर भरोसा रखना। (नीतिवचन 3:5) परमेश्वर हमारी जरूरतों को जानता है। उसके राज्य और धार्मिकता की खोज में लगे रहें। आपको जो कार्य और जिम्मेदारियां परमेश्वर ने दी हैं उनको विश्वासयोग्यता के साथ निभाएं। परमेश्वर आपको भूल नहीं गया है, उसको आपका ध्यान है। वह उपाय करने वाला परमेश्वर है। वह आशीष देने वाला परमेश्वर है। बढ़ती न पूर्व से, न पश्चिम से आती है बल्कि हमारे न्यायी परमेश्वर से आती हैं। इसलिए परिस्थिति चाहे कितनी भी विकट हो, परमेश्वर पर भरोसा रखें।
सादगीपूर्ण जीवन बिताएं।
परमेश्वर का वचन वैसे भी हमें दिखावटी जीवन जीने के लिए मना करता है। स्मरण रखें कि हमारी नागरिकता स्वर्ग की है। (फिलिप्पियों 3:20) इस संसार की चमक-दमक में खो न जाएँ। (1 पतरस 2:11) क्योंकि वचन स्पष्ट बताता है कि संसार और उसकी अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं पर जो परमेश्वर की इच्छा के अनुसार चलता है वो हमेशा बना रहेगा। (1 यूहन्ना 1:15-16) दूसरों की बराबरी करके अपना खर्च तय न करें। अपने हाथों से परिश्रम करें और अपने काम पर मन लगाएं, ताकि आपको किसी वस्तु की घटी न हो। (1 थिस्सलुनीकियों 4:11-12)
हमारी जरूरतें मसीह की कलीसिया में पूरी हों।
प्रभु यीशु ने कहा कि “जहाँ तुम्हारा धन होगा वहां तुम्हारा मन होगा” हमें अपने धन का ज्यादातर हिस्सा को कलीसिया की जरूरतों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल करना चाहिए। इसका मतलब मैं यहाँ किसी इमारत की बात नहीं कर रहा हूँ क्योंकि कलीसिया का मतलब कोई ईमारत नहीं बल्कि मसीही लोग हैं। इतिहास इस बात का गवाह है, आज तक कलीसिया ही है, जो सच्ची समाज सेवा कर रही है। जरूरतों को पूरा करने के बारे में प्रारम्भिक कलीसिया हमारे लिए आदर्श है।
क्योंकि कलीसिया अपने लक्ष्य को जानती है कि उसे संसार में रहकर परमेश्वर की इच्छा को पूरी करना है और उसकी महिमा करना है। जरुर इस सिद्धांत पर गौर करें “जिसने बहुत मन्ना बटोरा था उसका कुछ अधिक न निकला, और जिसने थोड़ा मन्ना बटोरा था उसका कुछ अधिक न निकला।” (2 कुरिन्थियों 8:13-15)
विज्ञापनों के प्रभाव से सावधान रहें।
आज का समाज विज्ञापनों से बहुत ज्यादा प्रभावित है। बड़े दुख की बात तो यह है कि लोग आसानी से इस जाल में फंसते भी हैं। और तो और कई लोग जो महीने का बजट भी बनाते हैं, वो भी इसके शिकार हो जाते हैं क्योंकि किसी चीज कि Sale जो लगी है 50% off, 80% Off. स्मरण रखें कि विज्ञापन का उद्देश्य आपको पैसा खर्च करने के लिए प्रेरित करना है। विज्ञापन अक्सर असंतोष उत्पन्न करते हैं और प्रलोभित करते हैं।
ज्यादातर विज्ञापनों के द्वारा हमें ये गलत सन्देश मिलता है कि यदि हम किसी वस्तु को खरीदेंगे तो हम खुश रहेंगे। याद रखें कि उनका उद्देश्य हमेशा आपको खर्चा करने के लिए प्रोत्साहित करना है, कि कैसे आपकी जेब से पैसा निकाले और अपना जेब भरे। यह दुनियां बहुत स्वार्थी है। खर्च करने का निर्णय लेते समय परमेश्वर का मार्गदर्शन खोजें। यदि आपको लगता है कि इस खरीददारी से परमेश्वर को प्रसन्नता नहीं होगी तो उस वस्तु को मत खरीदें। यहाँ भी संतुष्ट रहने का सिद्धांत आपकी मदद करेगा। सच्ची ख़ुशी हमेशा प्रभु से आती है न कि किसी वस्तु से।
अपने खर्च पर नियंत्रण रखने के लिए बजट बनाएं और इसका उपयोग करें।
आप अगर अभी तक महीने का बजट नहीं बनाते है तो कृपया कर लिखित बजट बनाना शुरू करें। बजट बनाना तो आसान है पर साथ ही साथ आपको इसका मूल्यांकन भी करना है और अपने आपको अनुशासित भी करना है। (नीतिवचन 27:23) बिना अनुशासन के बजट बनाना भी लाभप्रद नहीं होगा। अपने खर्चे का बजट बनाना एक व्यावहारिक तरीका है जो यह जांचने में भी आपकी मदद करेगा कि हम कहाँ पर पैसा बर्बाद कर रहे हैं? कहाँ पर कटौती की जरुरत है? इत्यादि। बजट बनाना जरुरत (Need) और अभिलाषा (Greed) को समझने में भी आपकी मदद करेगा। इसलिए बजट बनाने की आदत डालें और अपने बजट के अनुसार खर्चा करें।
30 दिनों तक अपने खर्च का व्यौरा रखें।
इसके लिए भी आज के समय में काफी सारे मोबाईल एप आ गये हैं जो हमारा हिसाब रखने में काफी मददगार भी हैं। मैं आपको सलाह दूंगा कि आप Spending Tracker App का इस्तेमाल करें। इस एप को मैं भी व्यक्तिगत तौर पर काफी समय से इस्तेमाल करता हूँ। बड़ी बाल्टी से छोटी-छोटी बाल्टियों में अपने खर्च को बांटे। बड़ी बाल्टी आपकी पूरी आय है और छोटी-छोटी बाल्टियाँ आपकी जरूरतें हैं।
अपनी आय और व्यय के लिए आप डायरी भी इस्तेमाल कर सकते हैं। बहुत सारे लोग ये शिकायत करते हैं कि वे पैसा तो बहुत कमाते हैं पर उसका पता ही नहीं चलता है, ये एक आसान तरीका है कि आप हर आय और व्यय का व्यौरा रखें। ताकि आप खुद ही देख सकें कि आपका पैसा कहाँ जा रहा है। और अपने खर्चों को देखकर आप अपने आत्मिक जीवन का भी मूल्यांकन कर सकते हैं कि आप स्वकेंद्रित हैं या प्रभु के राज्य पर केन्द्रित हैं।
Online Payments जितना संभव हो, कम करें।
आज जानबूझ कर आपको आदत डाली जा रही है कि आप ऑनलाइन पेमेंट का चुनाव करें। जबकि ये फायदेमंद की जगह नुकसानदायक है। ऐसा इसलिए क्योंकि जब हम ऑनलाइन पेमेंट करते हैं तो हमें महसूस ही नहीं होता है कि हमने बजट से बाहर भी खर्चा कर दिया है। हमेशा नगदी में ही पेमेंट करें।
Credit Card का इस्तेमाल न करें।
याद रखिए Credit Card भी आप के लिए एक प्रकार का प्रलोभन ही है। जिसका मतलब ही ऋण वाला कार्ड है। आजकल तो बैंक भी इसका काफी प्रसार कर रहे हैं। प्रेम को छोड़कर किसी और बात के कर्जदार मत बनिए परमेश्वर का वचन तो हमें ऐसी ही शिक्षा देता है। हमेशा कर्जा लेने से बचें, फिर से संतुष्ट रहने वाला सिद्धांत आपकी मदद करेगा।
लिफाफा प्रणाली (Envelope System) का इस्तेमाल कर सकते हैं।
लिफाफा प्रणाली (Envelope System) एक तरह से यह Track करने का एक तरीका है कि आपके पास प्रत्येक बजट श्रेणी में महीने के लिए कितना पैसा है, जो आपकी नकदी को लिफाफे में बंद करके रखता है। महीने के अंत में, आप देख सकते हैं कि आपके लिफाफे में कितनी नकदी बची है। इसे इमरजेंसी फंड के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
लिफाफा बजट प्रणाली बहुत ही ठोस है। इससे काफी हद तक आप अपने खर्च को नियंत्रित कर सकते हैं। यह प्रणाली आपको अनुशासित होकर खर्च करने में मदद करेगी। हम सभी को बेहतर व्यक्ति बनने के लिए हमारे जीवन में अनुशासन की आवश्यकता है, चाहे वह हमारे खर्च करने की आदतों, हमारे खाने की आदतों या काम पर हमारी उत्पादकता के साथ हो।
परमेश्वर हमसे प्रेम करते हैं इसलिए बाइबल में उन्होंने हमारे लिए कई आर्थिक सिद्धांत भी दिए हैं। अपना पैसा बुद्धिमानी के साथ उपयोग करने के लिए बाइबल में कई व्यवहारिक सिद्धांत दिए गए हैं। किसी बात में किसी के कर्जदार न हो। (रोमियों 13:8)
परमेश्वर चाहता है कि हम कर्ज से दूर हों क्योंकि उधार लेनेवाला उधार देनेवाला का दास होता है। (नीतिवचन 22:7) परमेश्वर चाहता है कि हम उसकी सेवा के लिए स्वतंत्र रहें। बुद्धिमानी के साथ अपने धन का प्रबंधन करें, खर्च करें और बुद्धिमान और विश्वासयोग्य भंडारी बनें। (पढ़ें मती 25:14-30)
शालोम
बाइबल के आर्थिक सिद्धांत जानिए
- कर्ज में क्या करें? What To Do In Debt?
- जिम्मेदारी और काम के बारे में बाइबिल क्या कहती है? Responsibility And Work?
- सलाह लेने के बारे में बाइबल क्या कहती है?
- देने के बारे में बाइबिल क्या सिखाती है? What Does The Bible Say About Giving?
- बचत करने के महत्त्व को समझिए What Does The Bible Say About Savings?
- कर्ज चुकाने के बारे में बाइबल क्या कहती है? What Does Bible Say About Repaying Debts?
- बुद्धिमानी से खर्च कैसे करें? How To Spend Wisely?
- बाइबल खराई के बारे में क्या कहती है? (Integrity)
This is true… this is very important for all Christian people and another people.
Thanks Bro