कर्ज़ चुकाने के बारे में बाइबल क्या कहती है?

What Does The Bible Say About Repaying Debts?

कर्ज़ चुकाने के बारे में बाइबल क्या कहती है? (What Does The Bible Say About Repaying Debts?) आज प्रायः सभी देशों में लोग व्यकितगत तौर पर ऋण का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर करने लगे हैं। आजकल तो एक मोबाइल फोन को खरीदने के लिए भी क़र्ज़ लेने की व्यवस्था है। कर्ज वह पैसा है जिसे एक व्यक्ति, दूसरे व्यक्ति को देने के लिए बाध्य होता है। क़र्ज़ वह है, जो किसी से माँगा या लिया जाता है। सामान्यतः यह ली गयी संपत्ति को व्यक्त करता है।

कर्ज या ऋण में क्रेडिट कार्ड, बैंक का कर्ज, परिवार या मित्रों के कर्ज, सम्पति ऋण या गिरवी सम्मिलित हैं। किसी से कुछ लिया गया सामान या वस्तु भी कर्ज की ही श्रेणी में आता है। जैसे – किसी से ली गयी पुस्तक, पेन, कपड़े इत्यादि।

ऋण लेने से मना किया गया है

Bible यह नहीं कहती कि कर्ज लेना पाप है, लेकिन बाइबल कर्ज को बढ़ावा भी बिलकुल नहीं देती। चूँकि प्रेम करना परमेश्वर की व्यवस्था को पूरी करना है, इसलिए हमें प्रेम को छोड़कर किसी दूसरी बात के कर्जदार होने को मना किया गया है। (रोमियों 13ः8) हमने पहले भी देख लिया था कि कर्जा गुलामी की ओर ले जाता है। उधार लेनेवाला उधार देनेवाले का दास होता है। (नीतिवचन 22ः7)

आज्ञापालन का प्रतिफल – दूसरों को उधार देना।

व्यवस्थाविवरण 28ः1-2 में जब व्यवस्था दी जा रही थी, निर्देश बिलकुल स्पष्ट था कि तू अपने परमेश्वर की सब आज्ञाएं, जो मैं आज तुझे सुनाता हूँ, चौकसी से पूरी करने का चित्त लगाकर उसकी सुने, तो वह तुझे पृथ्वी की सब जातियों में श्रेष्ठ करेगा। फिर अपने परमेश्वर की सुनने के कारण ये सब आर्शीवाद तुझ पर पूरे होंगे।

व्यवस्थाविवरण 28ः12 के अनुसार आज्ञाकारिता का परिणाम है परमेश्वर अपने आकाशरूपी उत्तम भण्डार को खोलकर भूमि पर समय पर मेंह बरसाया करेगा, सारे कामों पर आशीष देगा; और तू बहुतों को उधार देगा, परन्तु तुझे किसी से उधार लेना न पड़ेगा। इसलिए यदि हम परमेश्वर के प्रति आज्ञाकारी बने रहते हैं तो कर्जदार होने की नौबत भी नहीं आएगी। बल्कि आज्ञाकारी व्यक्ति तो एक देने वाला व्यक्ति होगा।

अनाज्ञाकारिता का परिणाम – दूसरों से उधार लेना।

और परमेश्वर की आज्ञा न मानने का परिणाम भी बता दिया गया था कि यदि तू अपने परमेश्वर यहोवा की बात न सुने, और उसकी सारी आज्ञाओं का पालन करने में, जो मैं आज सुनाता हूं चौकसी नहीं करेगा, तो ये सब श्राप तुझ पर आ पड़ेंगे। (व्यवस्थाविवरण 28ः15) अनाज्ञाकारिता के परिणामस्वरुप किसी से उधार लेना पड़ेगा यानि कि कर्जा लेने वाला बनेगा। (व्यवस्थाविवरण 28ः43-44)

ऋण भविष्य पर निर्भर होता है।

बहुत बार जब हम ऋण अथवा कर्जा लेते हैं तो हम भविष्य पर निर्भर होकर कदम उठाते हैं और हम बड़े हियाव के साथ कहते हैं कि कल हम ये करेंगे या वो करेंगे, फिर व्यापार करके लाभ उठाएँगे।

क्योंकि हम नहीं जानते कि कल क्या होगा। हमारा जीवन तो भाप के समान है जो थोड़ी देर दिखाई देता है और फिर लोप हो जाता है, इसके बनिस्त हमें यह कहना चाहिए कि यदि प्रभु चाहे तो हम जीवित रहेंगे फिर यह या वह काम करेंगे। (याकूब 4ः13-15)

कर्ज या ऋण की ओर ले जाने वाले कुछ बातें

ज्यादातर मामलों में क़र्ज़ का कारण अज्ञानता भी है। आवश्यकता (Need) और अभिलाषा (Greed) के बीच के अन्तर को नहीं समझ पाना भी क़र्ज़ की ओर ले जाता है। प्राथमिकताओं को निर्धारित करने में असफल होना भी क़र्ज़ की ओर ले जाता है। जीवन में अनुशासन का अभाव भी क़र्ज़ की ओर ले जाता है। सुख विलास में जीना भी क़र्ज़ का कारण बन जाता है।

कर्ज़ चुकाने के बारे में बाइबल क्या कहती है? (What Does The Bible Say About Repaying Debts?)
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व्यक्ति के जीवन में कुछ परिस्थितियां भी उसको क़र्ज़ की ओर ले जाती हैं। धीरज की कमी अर्थात अधीरता भी क़र्ज़ की वजह बन जाती है। (नीतिवचन 21ः5) खर्च योजना की कमी भी अक्सर क़र्ज़ की ओर ले जाती है। अधिकांश लोग ऋण से छुटकारा पाने के लिये कोई योजना नहीं बनाते हैं। या कमजोर योजना भी क़र्ज़ की ओर ले जाती है। हमेशा अपनी आर्थिक परिस्थिति को पहचानें।

उधार लौटाने की जिम्मेदारी।

प्रभु का वचन हमें प्रोत्साहित करता है कि जब तक हममें भला करने की शक्ति है तो भला करने से न रूकना। और यदि हमारे पास देने को कुछ हो तो कभी भी अपने पड़ोसी से न कहें कि कल फिर आना, कल मैं तुझे दूंगा। (नीतिवचन 3ः27-28)

यदि आपने किसी से कुछ लिया हो तो समय से पहले लौटा दें ऐसा न हो कि जिसका कर्जा चुकाना है वो आपके नीचे से आपकी खाट भी ले जाए और आपको जलील होना पड़े। याद रखें नीतिवचन का लेखक उसको दुष्ट कहता है जो लेता तो है पर भरता नहीं। (नीतिवचन 22:26-27, 17:18)

ऋण से बाहर कैसे निकलें ?

ऋण या कर्ज से बाहर निकलने के लिए जरूरी बातें

  1. प्रार्थना करें(2 राजा 4ः1-7) परमेश्वर ने कर्जदार विधवा की सुधि ली।
  2. प्रभु को देंनीतिवचन 3:9-10 याद रखें जो कुछ भी हमारे पास है उसका स्वामी परमेश्वर है और आप भंडारी हैं इसलिए अपनी भूमि हो या उपज पहला स्थान परमेश्वर का ही है, और ऐसा करने से आप पाएँगे कि आपके खत्ते भरे और पूरे रहेंगे। (मलाकी 3:6-12)
  3. और नया ऋण न लें
  4. अपने ऋण की और जो कुछ आपके पास है उसकी सूची तैयार करें।
  5. लिखित खर्च योजना या बजट बनाएं।
  6. Online शॉपिंग करने से परहेज करें।
  7. शॉपिंग करने के बाद नगद कैश में भुगतान करें।
  8. हर एक ऋण के लिए भुगतान की योजना बनाएं।
  9. अतिरिक्त आमदनी कमाने पर विचार करें।
  10. हिम्मत न हारें अथवा हार न मानें।

व्यवहारिक योजना सूची।

क्रम संख्यायोजनाखर्च कम करनाआय बढ़ानाआमदनी (रूपया के रूप में बढ़ाना), कुछ चीजों का बिक्री करना
1.
2.
3.

ऋण कब स्वीकारणीय हो सकता है?

  • शैक्षणिक कार्यों के लिए
  • व्यवसाय करने के लिए
  • व्यवसायिक प्रशिक्षण के लिए
  • घर के लिए
  • अन्य के लिए – मेडिकल खर्च, आक्समिक एवं अप्रत्याशित आवश्यकताएँ
कर्ज़ चुकाने के बारे में बाइबल क्या कहती है? (What Does The Bible Say About Repaying Debts?)
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यदि आप उपरोक्त लिखित में से किसी के लिए ऋण लेते हैं तो निम्नलिखित निर्देशों का पालन करें।

  • ऋण को अपवाद समझें, नियम नहीं।
  • जितनी जल्द संभव हो, अदायगी की योजना बनाएँ।
  • लिखित बजट बना लें।

निर्बुद्धि मनुष्य हाथ पर हाथ मारता है, और अपने पड़ोसी के सामने उत्तरदायी होता है। नीतिवचन 17ः18


अपना पैसा बुद्धिमानी के साथ उपयोग करने के लिए बाइबल में कई व्यवहारिक सिद्धांत दिए गए हैं। बाइबल ऋण लेने को मना करती है। किसी बात में किसी के कर्जदार न हो। (रोमियों 13ः8) परमेश्वर चाहता है कि हम कर्ज से दूर हों, क्योंकि उधार लेनेवाला उधार देनेवाला का दास होता है। (नीतिवचन 22ः7) वैसे भी जब हम कर्ज मुक्त होते हैं तो हम अपने ऊपर कोई दबाव भी महसूस नहीं करते हैं और हम चिंतामुक्त रहते हैं। परमेश्वर चाहता है कि हम उसकी सेवा के लिए स्वतंत्र रहें।

शालोम

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Anand Vishwas
Anand Vishwashttps://disciplecare.com
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