बाइबल खराई के बारे में क्या कहती है? (What does the Bible Say about Integrity?) खराई अतिआवश्यक क्यों है? खराई क्या है? खराई ईमानदार होने और मजबूत नैतिक सिद्धांतों की गुणवत्ता है। संपूर्ण और अविभाजित होने की अवस्था को खराई कहते हैं। खराई मजबूत नैतिक सिद्धांतों और मूल्यों के अनुरूप और निरंतर पालन दिखाने की Practice है।
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खराई को किसी के कार्यों की ईमानदारी और सच्चाई या सटीकता के रूप में माना जाता है। खराई, पाखंड के विरोध में खड़ी हो सकती है। खराई या खराई शब्द Latin विशेषण Integer से विकसित हुआ, जिसका अर्थ है संपूर्ण या पूर्ण। इस संदर्भ में, खराई, ईमानदारी और चरित्र की स्थिरता जैसे गुणों से उत्पन्न “पूर्णता” की आंतरिक भावना है।
जो व्यक्ति खराई (Integrity) से चलता है वह चोट खाकर या हानि उठाकर भी अपने वचन का पालन करता है। हम मेें से हर एक को प्रति दिन यह निर्णय लेना है कि रुपये – पैसों का इस्तेमाल ईमानदारी के साथ करें या न करें।
जब हमें गलती से खुले रुपये दिए जाते हैं तो क्या हम बताते हैं? क्या आप किसी वस्तु को बेचना चाहते हैं, और पूरी सच्चाई नहीं बताते क्योंकि आपको लगता है कि आप अपनी वस्तु को बेच नहीं पाएंगे? इस तरह का निर्णय लेना ज्यादा कठिन होता है, क्योंकि आपके आसपास के लोग आपको बेईमानी के साथ बर्ताव करते नजर आते हैं।
परमेश्वर चाहता है कि हम पूर्ण रूप से ईमानदार रहें।
नीतिवचन 12ः22 में इस प्रकार लिखा है कि ‘‘झूठों से यहोवा को घृणा आती है।’’ परमेश्वर चाहता है कि हम अपना जीवन सत्य में बिताएं, और ईमानदार बने रहें। नीतिवचन 6ः16-17 में भी सात बातों का जिक्र किया गया है जो हमारी ईमानदारी के लिए खतरा हैं।
‘‘छः वस्तुओं से यहोवा बैर रखता है, वरन सात हैं जिनसे उसको घृणा है; अर्थात् घमण्ड से चढ़ी हुई आंखें, झूठ बोलनेवाले जीभ।’’ प्रभु चाहते हैं हम अपना चरित्र साफ सुथरा रखें। (व्यव्यवस्था 19ः11) ‘‘तुम चोरी न करना, और एक दूसरे से न तो कपट करना, और न झूठ बोलना।’’
परमेश्वर ने खराई का मानक क्यों निर्धारित किया है?
खराई परमेश्वर का एक गुण है। – परमेश्वर पवित्र हैं। यीशु ने कहा सत्य मैं हूँ।’’ (यूहन्ना 14ः6)
हम बेईमानी करना और परमेश्वर से प्रेम करना दोनो एक साथ नहीं कर सकते। (नीतिवचन 14ः2) ‘‘जो सीधाई से चलता है वह परमेश्वर का भय माननेवाला है, परंतु जो टेढ़ी चाल चलता है वह परमेश्वर तुच्छ जानने वाला ठहरता है।’’
जब हम बेईमानी से चलते हैं तब मानो हम यह जताते हैं कि परमेश्वर है ही नहीं। – उस वक़्त मानों हम विश्वास करते हैं कि परमेश्वर हमारी जरुरतों को पूरा करने की योग्यता नहीं रखता, यद्यपि उसने वैसी प्रतिज्ञा की है (मत्ती 6ः33) हम ऐसा बर्ताव करते हैं जैसा परमेश्वर हमारी बेईमानी को खोज निकालने में असमर्थ है, और हमें अनुशासित नहीं कर सकता। यदि हम वास्तव में विश्वास करते हैं कि परमेश्वर हमें अनुशासित करेगा, या हमें दंड देगा, तो हम बेईमानी का काम नहीं करते।
ईमानदारीपूर्ण आचरण विश्वास का विषय है। – ईमानदारी का फैसला शायद हमें मूर्खतापूर्ण लगे, परंतु धर्मी व्यक्ति जानता है कि यद्यपि प्रभु यीशु दिखायी नहीं देता, फिर भी वह जीवित है। जो ईमानदारी का निर्णय हम लेते हैं वह परमेश्वर में हमारे विश्वास को मजबूत बनाता है।
हम बेईमानी करना और पड़ोसी से प्रेम करना दोनो एक साथ नहीं कर सकते। – (रोमियों 13ः9-10) ‘‘चोरी न करना, लालच न करना, और इनको छोड़ और कोई भी आज्ञा हो तो सबका सारांश इस बात में पाया जाता है कि अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम रख। प्रेम पड़ोसी की कुछ बुराई नहीं करता।’’ जब हम बेईमानी करते हैं तब हम दूसरों से चुराते हैं।
कई बार हम अपनी बेईमानी को यह कहकर समर्थन करते हैं कि हमने सरकार के या किसी व्यवसाय के विरोध में यह किया है, परंतु उसके शिकार हमेशा लोग ही होते हैं। व्यवसाय के मालिक और करदाता हानि उठाते हैं।
खराई से परमेश्वर प्रसन्न होता है। – (1 इतिहास 29ः17) परमेश्वर मन को जांचता है और सीधाई से प्रसन्न रहता है।
खराई से सुरक्षा प्रदान होती है। – (नीतिवचन 10ः9) इस बात को स्पष्ट बताता है कि ‘‘जो मनुष्य खराई से चलता है वह निडर चलता है।
खराई से विश्वसनीयता उत्पन्न होती है ताकि Gospel प्रभावपूर्ण हो।
खराई के द्वारा हम प्रभु यीशु की सच्चाई को उन लोगों के सामने प्रदर्शित करते हैं, जो प्रभु यीशु को नहीं जानते। – हमारी ईमानदारी इस बात की पुष्टि करती है कि हम पवित्र परमेश्वर की सेवा करते हैं। (फिलिप्पियों 2ः15) ‘‘ताकी तुम निर्दोष और भोले होकर टेढ़े और हठीले लोगों के बीच परमेश्वर के निष्कलंक संतान बने रहो, जिनके बीच में तुम जीवन का वचन लिए हुए जगत में जलते दीपकों के समान दिखाई देते हो।’’
Integrity से मार्गदर्शन और परमेश्वर का निर्देश मिलता है। – (नीतिवचन 11ः3) ‘‘सीधे लोग अपनी खराई से अगुवाई पाते हैं परंतु विश्वासघाती अपने कपट से विनाश होते हैं।’’ ‘‘टेढ़ी बात अपने मुंह से मत बोल, और चालबाजी की बातें कहना तुझसे दूर रहे। (नीतिवचन 4ः24-26)
अगुवों के लिए खराई आवश्यक क्यों है?
मसीह में हम सभी संसार के लोगों के लिए अगुवों के समान हैं। इसलिए यह बात न सिर्फ कलिसिया के अगुवों और विभिन्न प्रकार के सेवकाई के अगुवों के लिए लागू होती है वरन हरेक विश्वासी जो परमेश्वर से प्रेम करता है एवं मसीह के आने की बाट जोहता है, उस पर लागू होती है।
पर तुम एक चुना हुआ वंश, और राज-पदधारी याजकों का समाज, और पवित्र लोग, और परमेश्वर की निज प्रजा हो, हमें अन्धकार में से परमेश्वर ने अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है ताकि हम उसके गुण प्रगट करें। क्योंकि हम तो पहले कुछ भी नहीं थे, पर अब परमेश्वर की प्रजा हैं, हम पर दया नहीं हुई थी पर अब हम पर दया हुई है। (1 पतरस 2ः9-10)
जिस व्यक्ति में Integrity का अभाव पाया जाए उसे अगुवे के पद के लिए अयोग्य समझा जाए। – अगुवों का चुनाव करते समय Integrity देखना जरुरी है ‘‘फिर तू अब इन सब लोगों में से ऐसे पुरूषों को छांट ले, जो गुणी और परमेश्वर का भय माननेवाले, सच्चे और अन्याय के लाभ से घृणा करने वाले हों और उनको हजार-हजार, सौ-सौ, पचास -पचास और दस-दस मनुष्यों पर नियुक्त कर दे।’’ (निर्गमन 18ः21)
(1तीमुथियुस 3ः1) यह बात सत्य है, कि जो अध्यक्ष होना चाहता है, तो वह भले काम की इच्छा करता है। (1तीमुथियुस 3ः3) पियक्कड़ या मारपीट करनेवाला न हो; वरन कोमल हो, और न झगड़ालू, और न लोभी हो। (1तीमुथियुस 3ः8) वैसे ही सेवकों को भी गम्भीर होना चाहिए, दोरंगी, पियक्कड़, और नीच कमाई के लोभी न हों।
(1तीमुथियुस 3ः10) और ये भी पहिले परखे जाएं, तब यदि निर्दोष निकलें, तो सेवक का काम करें। (1 तीमुथियुस 3ः11) इसी प्रकार से स्त्रियों को भी गम्भीर होना चाहिए; दोष लगानेवाली न हों, पर सचेत और सब बातों में विश्वासयोग्य हों।
बेईमान अगुवा बेईमान अनुयायियों को उत्पन्न करता है। – (नीतिवचन 29ः12) ‘‘जब हाकिम झूठी बात की ओर मन लगाता है, तब उसके सब सेवक दुष्ट हो जाते हैं।’’ वो इसलिए क्योंकि लोग अगुवों का अनुसरण करते हैं।
अगुवे ईमानदारीपूर्ण आचरण की वजह से अपने पद को बनाए रखते हैं। – (नीतिवचन 28ः16) ‘‘……. जो लालच का बैरी होता है वह दीर्घायु होता है।’’ (1तीमुथियुस 3ः10) हमें बताता है कि अगुवाई की जिम्मेदारी मिलने से पहले परख होनी चाहिए, तब यदि निर्दोष निकलें, तो सेवक का काम करें।
खराई जीवन के सभी क्षेत्रों में पाई जाए।
सभी छोटी छोटी बातों में ईमानदार रहना महत्वपूर्ण है। मैंने कई बार इस बात को देखा है कि लोग छोटी छोटी बातों में ईमानदार नहीं होते हैं शायद वो भूल जाते हैं कि जो थोड़े में विश्वासयोग्य नहीं हो सकता वो बहुत में भी विश्वासयोग्य नही हो सकता। (लूका 16ः10) ‘‘जो थोड़े से थोड़ा में सच्चा है वह बहुत में भी सच्चा है; और जो थोड़े से थोड़ा में अधर्मी है वह बहुत में भी अधर्मी है’’
उदाहरण के लिए यदि आप किसी से कुछ उधार लेते हैं और आपने स्वयं ही अदायगी की तिथि निर्धारित की है और अब आप ये भूल गये हैं कि आपको उन्हें वापिस भी देना है तो आप अगली बार क्या आशा रखेंगे? क्योंकि आप तो थोड़े में भी विश्वासयोग्य नही है। हमारे जीवन के छोटे से छोटे भाग भी में खराई अतिआवश्यक है।
रिश्वत लेने व देने से बचें।
रिश्वत लेना व देना दोनों ही खराई के विरुद्ध है। ये एक चारित्रिक दोष है। हालांकि रिश्वत देने से दूर रहना हमारे लिए इस दुनियां में बहुत मुश्किल है क्योंकि हम हर कहीं देखते हैं कि उसके बिना काम ही नहीं होते पर फिर भी मेरे प्रिय, परमेश्वर सब कुछ देख रहा है एक दिन आपको परमेश्वर के सम्मुख खड़े होकर हर एक बात का लेखा देना है।
इसीलिए रिश्वत लेने वह देने से पहले एक बार उस न्याय को भी ध्यान में रखना कि परमेश्वर हर एक बातों का आपसे लेखा लेगा। (निर्गमन 23ः8) ‘‘घूस न लेना, क्योंकि घूस देखनेवालों को भी अंधा कर देता है।’’ (नीतिवचन 17ः23) ‘‘दुष्ट जन न्याय बिगाड़ने के लिए अपनी गांठ से घूस निकालता है।’’ यह दुष्ट व्यक्ति का चिन्ह है। वचन बताता है कि ये तो देखने वालों को भी अन्धा बना देता है।
बच्चों को खराई के बारे में शिक्षा देना।
हमें अपने बच्चों को अभी से ही नैतिक मूल्य सिखाने चाहिए, क्योंकि जो नीव आज डलेगी वो बुढ़ापे में भी बनी रहेगी ‘‘लड़के को शिक्षा उसी मार्ग की दे जिसमे उसको चलना चाहिए, और वह बुढ़ापे में भी उससे न हटेगा।’’ (नीतिवचन 22ः6)
- मौखिक शिक्षा दें – (व्यवस्थाविरण 6ः6-7) परमेश्वर का वचन हमें उत्साहित करता है कि परमेश्वर की बातें हमारे मन में बनी रहे और हमें इन्हें अपने बच्चो को भी सिखाना है हमें आज्ञा दी गई है कि तू इन्हें अपने बाल बच्चों को समझाकर सिखाया करना और घर बैठे, मार्ग पर चलते, लेटते, उठते, इनकी चर्चा किया करना।’’
- उदाहरण के द्वारा शिक्षा दें – (1 कुरिन्थियों 11ः1) ‘‘तुम मेरी सी चाल चलो, जैसा मैं मसीह की सी चाल चलता हूं।’’ (लूका 6ः40) ‘‘चेला अपने गुरू से बड़ा नहीं, परंतु जो कोई सिद्ध होगा, वह अपने गुरू के समान होगा।’’
- व्यक्तिगत सहभागिता के द्वारा शिक्षा दें।
ईमानदारों के लिए आशीष।
- प्रभु के साथ और अधिक निकट संबन्ध। – (नीतिवचन 3ः32) जो लोग ईमानदार रहते हैं प्रभु उन पर अपना भेद प्रकट करता है।
- परिवार पर आशीष। – (नीतिवचन 20ः7) जो व्यक्ति खराई से चलता रहता है, उसके पीछे उसके बच्चे भी धन्य होते हैं।’’
- पूर्ण जीवन। – (नीतिवचन 12ः19) ‘‘सच्चाई सदा बनी रहेगी, परंतु झूठ थोड़े ही समय का होता है।’’
- भरपूरी। – (नीतिवचन 15ः6) ‘‘धर्मी के घर में बहुत धन होता है, क्योंकि परमेश्वर की आशीष उस पर रहती है, परंतु दुष्ट के उपार्जन में भी दुख रहता है।’’
बेईमानों के लिए शाप।
- प्रभु से दूरी। – (नीतिवचन 3ः32) हमें स्पष्ट करता है कि यहोवा कुटिल से घृणा करता है…..’’
- परिवार के साथ परेशानी। – (नीतिवचन 15ः27) ‘‘लालची अपने घर को दुख देता है, परंतु घूस से घृणा करने वाला जीवित रहता है।’’ यानि कि जिसके जीवन में खराई नहीं है वो अपने परिवार को भी दुःख देता है।
- अल्प जीवन। – लोग धन प्राप्त करने के लिए झूठ का इस्तेमाल करते है इस बात को जानने के बावजूद भी कि जो धन झूठ के द्वारा प्राप्त हो, वह वायु से उड़ जानेवाला कुहरा है। (नीतिवचन 21ः6)
- भरपूरी का अभाव। – (नीतिवचन 13ः11) ‘‘निर्धन के पास माल नहीं रहता, परंतु जो अपने परिश्रम से बटोरता, उसकी बढ़ती होती है।’’
अपनी खराई को बढ़ाना।
अपने हृदय की खराई का मूल्य जानें। – (1राजा 9ः4) ‘‘और यदि तू अपने पिता दाउद की नाई मन की खराई और सीधाई से अपने को मेरे सामने जानकर चलता रहे’’ खराई मूल्यवान होती है और प्रभु उसकी कद्र करता है। (नीतिवचन 4ः23) हमें बताता है कि हमें ‘‘सबसे ज्यादा अपने मन की सुरक्षा करनी है; क्योंकि जीवन का मूल स्रोत वही है।’’
अनुशासन का स्वस्थ भय रखें। – (इब्रानियों 12ः11) ‘‘और वर्तमान में हर प्रकार की ताड़ना आनन्द की नहीं, परंतु शोक ही की बात दिखाई पड़ती है, फिर भी जो उसको सहते सहते पक्के हो गए हैं, पीछे उन्हें चैन के साथ धार्मिकता का प्रतिफल मिलता है।’’ कई बार प्रभु हमारी ताड़ना इसलिए करता है कि हम खराई से जीवन बिताएं और संसार के साथ दोषी न ठहरें।
समझौता न करने का और अशुद्ध न होने का निर्णय लें। – (भजन संहिता 15ः1-2) वचन स्पष्ट बताता है कि परमेश्वर के तम्बू में वही रहेगा जो खराई से चलता और धार्मिकता के काम करता और हृदय से सच बोलता है।’’
अपने आचरण की सीमाओं के लिए स्पष्ट रेखा निर्धारित करें। (उत्पति 4ः7) ‘‘यदि तू भला करे तो क्या तेरी भेंट ग्रहण न की जायेगी? और यदि तू भला न करे तो पाप द्वार पर छिपा रहता है, और उसकी लालसा तेरी ओर होगी, और तू उसपर प्रभुता करेगा।’’ …if desires to have you, but you must rule over it. हमेशा सावधान रहें।
ईमानदार लोगों से घिरे रहें। – (1कुरिन्थियों 15ः33) हमें हमेशा धोखे से बचना है क्योंकि बुरी संगति अच्छे चरित्र को बिगाड़ देती है।
दूसरों के प्रति उत्तरदायी रहें। – (याकूब 5ः16) याकूब हमें उत्साहित करता है कि हम आपस में एक दूसरे के सामने अपने अपने पापों को मान लें; और एक दूसरे के लिए प्रार्थना करें।’’
प्रार्थना करें और पवित्र आत्मा के अधीन रहें। – (गलातियों 5ः16) पौलुस भी गलातियों को कहता है कि आत्मा के अनुसार चलो तो तुम शरीर की लालसा किसी रीति से पूरी करोगे।
परमेश्वर हमसे क्यों चाहते हैं कि इस पृथ्वी पर रहते हुए हम परमेश्वर की अर्थव्यव्स्था पर चलें?
क्योंकि हम परमेश्वर के स्वरूप में बनाए गए हैं…. जब परमेश्वर ने मनुष्य की रचना की तो परमेश्वर ने मनुष्य को अपनी समानता व् अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया, नर और नारी करके उसने मनुष्यों की सृष्टि की। (उत्पत्ति 1:27)
अनंतकाल को मध्य नज़र रख कर जीएं।
- पृथ्वी पर हमारा जीवन कुछ ही समय का है। – याकूब 4ः14 में याकूब कहता है कि तुम्हारा जीवन है ही क्या ? तुम तो मानो भाप के समान हो, जो थोड़ी देर दिखाई देती है, फिर लोप हो जाती है।
- पृथ्वी पर अपने दिन गिनें। – हमें भी मूसा की तरह प्रार्थना करनी चाहिए कि हम को दिन गिनने की समझ दे कि हम बुद्धिमान हो जाएं। (भजन संहिता 90ः10-12)
- अंत में हरेक का काम प्रगट होगा। (1कुरिन्थियों 3ः13-15) में वचन हमें चेतावनी देता है कि समय आने पर हर एक का काम प्रगट हो जाएगा; क्योंकि वह दिन उसे बताएगा।
स्मरण रखें कि प्रभु हमसे इतना अधिक प्रेम करता है कि उसने हमारे लिये Bible में धन और संपत्ति से संबंधित 2350 से अधिक पद दिये हैं। वह जानता था कि पैसों के लेनदेन के विषय में उसके मार्गों को समझने के लिये यह महत्वपूर्ण है।
कुछ लोग इस बात से जल्दी निराश हो जाते हैं कि वे अपने आर्थिक समस्या को तुरंत सुलझा नहीं सकते। परंतु रुपयों के विषय में विश्वासयोग्य बनना यह एक लम्बी यात्रा है जिसमें काफी समय लग जाता है।
जो कुछ आपके पास है उसमें विश्वासयोग्य रहें – चाहे वह कम हो या ज्यादा। कुछ लोग कर्ज मुक्त रहने के लक्ष्य को या अपनी बचत करने या देने के लक्ष्य को त्याग देते हैं क्योंकि यह काम उन्हें असंभव जान पड़ता है, परमेश्वर की सहायता के बिना यह असंभव हो सकता है।
आपका कर्तव्य है कि आप प्रयास करें, और फल की आशा परमेश्वर पर छोड़ दें। निराश न हों। यत्नशील बने रहें। छोटी बातों में भी विश्वासयोग्य बने रहें। हम नियमित रुप से देखते हैं कि किस तरह प्रभु उन लोगों को आशीष देता है जो विश्वासयोग्य बनने का अभ्यास करते हैं।
शालोम
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